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गृह मंत्रालय ने राज्यों को लिखा लेटर, SC/ST एक्ट में हुए संशोधन को लेकर किया अलर्ट

एक गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि चूंकि मामला बहुत संवेदनशील है और देश में बहुत अशांति और असामंजस्य की भावना पैदा हुई है, इसलिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को संशोधित एक्ट के बारे में सूचित करने के लिए लिखा गया है

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दलित संगठनों द्वारा इसका विरोध हुआ, जिसके बाद सरकार ने संसद में बिल लाकर एससी/एसटी एक्ट में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया. सरकार के इस फैसले के बाद नाराज होने की बारी सवर्णों को थी. नाराजगी दिखी और कई राज्यों में प्रदर्शन भी हुआ. जिन राज्यों में इस साल के अंत तक चुनाव होने वाले हैं वहां की सरकारें संसद द्वारा एससी/एसटी एक्ट में हुए संशोधन को लागू करने में आनाकानी कर रहीं थीं.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो ट्विटर पर घोषणा कर दी कि वह सुनिश्चित करेंगे कि नए संशोधित कानून का दुरूपयोग न हो और जांच से पहले किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सके. शिवराज के घोषणा के एक दिन बाद ही गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिख कर संसद में हुए संशोधन के बारे में स्पष्ट किया है.


पत्र में बताया गया है कि संसद ने एससी/एसटी एक्ट में संशोधन किया है जिसके तहत अब एफआईआर दर्ज करने या आरोपी की गिरफ्तारी से पहले किसी भी अथॉरिटी से मंजूरी लेने के प्रावधान को रद्द कर दिया गया है.

जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं वहां से रिपोर्ट आ रही थी कि राज्य सरकारें संशोधित कानून को लागू करने में आनाकानी कर रही हैं. इसी के बाद गृह मंत्रालय का यह निर्देश आया है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना उन राज्यों में शामिल हैं जहां इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं. इन राज्यों में ऊंची जाती के लोग और ओबीसी समुदाय आपस में हाथ मिलाकर इस कानून के कड़े प्रावधानों के खिलाफ अपनी नाराजगी जता रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एक गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि चूंकि मामला बहुत संवेदनशील है और देश में बहुत अशांति और असामंजस्य की भावना पैदा हुई है, इसलिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को संशोधित एक्ट के बारे में सूचित करने के लिए लिखा गया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी एक्ट में किए गए बदलाव को संसद ने 9 अगस्त को संशोधित कर दिया था और कानून अपने पहले के स्वरूप में आ गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि बगैर प्राथमिक जांच के एफआईआर दर्ज नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही कोर्ट के फैसले में यह भी था कि किसी आरोपी की गिरफ्तारी से पहले उस व्यक्ति से संबंधित अथॉरिटी से मंजूरी लेनी होगी. संसद ने इन दोनों प्रावधानों को संशोधित कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल दिया था.