view all

अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के हाइटेक उपाय, सेटेलाइट से हो रही निगरानी

इस साल केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बस (सीएपीएफ) और जम्मू कश्मीर पुलिस के 24,000 से ज्यादा जवान यात्रा में तैनात किए गए हैं

Sameer Yasir

जिस समय 2900 श्रद्धालुओं का पहला जत्था बम-बम भोले के नारे लगाता हुआ अमरनाथ यात्रा पर आगे बढ़ रहा होगा, उन्हें शायद ही पता होगा कि जम्मू से पवित्र गुफा तक की यात्रा पर सेटेलाइट से निगरानी रखी जा रही है. अमरनाथ यात्रा 2018 में आपका स्वागत है, जिसमें इसकी शुरुआत के बाद से पहली बार टेक्नोलॉजी सुरक्षित और दुर्घटनारहित तीर्थयात्रा संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

हाईटेक उपकरणों का इस्तेमाल बीते साल की 10 जुलाई जैसी किसी घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए किया जा रहा है, जिसमें आतंकवादियों द्वारा यात्रा बस पर गोलियां बरसाने से आठ लोगों की मौत हो गई थी और 20 जख्मी हो गए थे. वह बस अकेले सफर कर रही थी और वह भी यात्रियों के लिए तैनात पुलिस को सूचना दिए बगैर.


इस तरह रखी जाएगी सेटेलाइट से नजर

अब, पहली बार जम्मू बेस कैंप बागवती नगर से रवाना होने वाले सभी वाहनों में आरएफआईडी (रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस) लगाया गया है, जो कोई भी अनपेक्षित घटना को रोकने के लिए सेटेलाइट के माध्यम से उनके मूवमेंट पर नजर रखेगा. इस साल सुगम, शांतिपूर्ण और दुर्घटनारहित अमरनाथ यात्रा को संपन्न कराने के लिए यात्रियों को ले जाने वाले वाहन में आईपी बेस्ड सीसीटीवी भी लगे हैं.

जम्मू के अतिरिक्त उपायुक्त अरुण मनहास ने फ़र्स्टपोस्ट से फोन पर बातचीत में बताया कि 'टेक्नोलॉजी की यह मदद यात्रियों की सुरक्षा को अधिकतम पक्का करने लिए ली गई है. अगर कोई वाहन कारवां से बिछड़ जाता है तो इससे उसका पता लगाने में खर्च होने वाला हमारा समय भी बचेगा. हर वाहन के मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए एक चिप लगाई गई है और इसकी निगरानी सीआरपीएफ कर रहा है.'

मनहास बताते हैं कि बढ़ाए गए सुरक्षा उपाय राज्यपाल एन.एन. वोहरा की पहल पर किए गए हैं, जो कि अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के चेयरमैन भी हैं. श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने मंगलवार को राज्यपाल वोहरा को बताया कि इस साल, अभी तक यात्रा के लिए नाम दर्ज कराने वाले यात्रियों की संख्या 2,11,994 तक पहुंच चुकी है. मनहास कहते हैं कि सुबह से ऑन स्पॉट रजिस्ट्रेशन के लिए आने वाले नए यात्रियों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है.

60 दिन चलने वाली अमरनाथ यात्रा भारी सुरक्षा बंदोबस्त के साथ हो रही है और गृह मंत्रालय ने तय किया है कि सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी सिर्फ जम्मू कश्मीर सरकार के कंधों पर ना छोड़ी जाए. आतंकवादी ग्रुप हिज्ब-उल-मुजाहिदीन ने भी कहा है कि वो यात्रा पर हमला नहीं करेगा, जैसी कि पहले पुलिस की तरफ से आशंका जताई गई थी. हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नायकू ने कहा कि वो यात्रियों को बिना सुरक्षा के आने का निमंत्रण देते हैं.

अत्याधुनिक ड्रोन्स का भी हो रहा है इस्तेमाल

जम्मू में बुधवार सुबह बी.बी. व्यास और के. विजय कुमार द्वारा 2995 यात्रियों का जत्था रवाना करने के साथ ही अत्याधुनिक ड्रोन भी इन पर निगरानी के लिए तैनात कर दिए गए. यात्रा मार्ग के साथ जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर सीआरपीएफ ने दर्जनों नए बंकर बनाए हैं. सेना के जवान भी बेस कैंप को जाने वाले रास्ते पर गश्त कर रहे हैं. नए बनाए गए काजीगुंड-श्रीनगर हाईवे का इस्तेमाल यात्री जत्थों को सुरक्षित रास्ता देने के लिए किया जा रहा है. 65 किलोमीटर का नया हाईवे- जो श्रीनगर में नौगाम से शुरू होकर काजीगुंड में वानपोह पर खत्म होता है, और कम घनी आबादी से गुजरता है, यात्रियों के लिए एक सुरक्षित रूट साबित होगा.

राज्यपाल के सलाहकार विजय कुमार कहते हैं कि 'अमरनाथ यात्रा एक बहुत महत्वपूर्ण सालाना आयोजन है. जनता, सुरक्षा एजेंसियां और डेवलपमेंट एजेंसियां के सहयोग से हमने एक योजना लागू की है और यात्रियों की चिंताओं को दूर करने व सुगम यातायात के लिए अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं.'

सीआरपीएफ श्रीनगर सेक्टर के इंस्पेक्टर जनरल रविदीप साही बताते हैं कि, 'यात्रा वाहनों में आईपी आधारित सीसीटीवी लगाए गए हैं. ड्रोन द्वारा वाहनों के रास्ते के मूवमेंट को और बेस कैंप नुनवान व बालटाल में भी ट्रैक किया जाएगा.' सुरक्षा एजेंसियों ने चौबीसों घंटे निगरानी के लिए विभिन्न स्थानों पर 500 से ज्यादा सीसीटीवी लगाए हैं.

हुई है 24 हजार से ज्यादा जवानों की तैनाती

बुधवार सुबह जब यात्रियों का पहला जत्था जम्मू कश्मीर हाईवे पर पहाड़ियों की तरफ रवाना हुआ तो सीआरपीएफ के जवान उनके साथ सुरक्षा घेरा बनाए चलते दिखाई दे रहे थे.

पहली बार शुरुआत के बाद दशकों तक यात्रा में कुछ हजार लोग ही हिस्सा लेते थे, जिनमें ज्यादातर साधु और कश्मीरी पंडित होते थे, लेकिन 1990 के दशक में कश्मीर घाटी में आतंकवाद पनपने के बाद यात्रियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. साल 2010 में करीब छह लाख तीर्थयात्री यहां आए. यात्रा की अवधि में भी समय के साथ बदलाव आया है.

इस साल केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बस (सीएपीएफ) और जम्मू कश्मीर पुलिस के 24,000 से ज्यादा जवान यात्रा में तैनात किए गए हैं. आधिकारिक आंकड़ों में बताया गया है कि सीएपीएफ की 213 कंपनी भी तैनात की गई हैं, जबकि 2017 में इनकी संख्या 181 थी.

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक अमरनाथ गुफा की सालाना तीर्थयात्रा ज्येष्ठ पूर्णिमा से, जो कि इस बार 28 जून है, शुरू हो रही है. इस साल दो महीने की तीर्थयात्रा श्रावण पूर्णिमा (रक्षा बंधन) पर समाप्त होगी, जो 26 अगस्त को पड़ेगा.