जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों की बस पर हुए आतंकी हमले के बाद यात्री उस भयावह घटना को नहीं भुला पा रहे हैं. सोमवार रात 8 बजकर 20 मिनट पर हुए इस आतंकी हमले में 7 लोग मारे गए थे.
बस में सवार महाराष्ट्र की 55 वर्षीय पल्लवी अभयंकर को फायरिंग सुन कर लगा कि शायद कुछ लोग पटाखे छोड़ रहे हैं. इसके कुछ सेकेंड बाद ही बस में सवार यात्रियों को गोलियां लगनी शुरू हो गई. पल्लवी ने यह बातें द टाइम्स ऑफ इंडिया को अपनी आपबीती सुनाते हुए बताई.
उसने कहा कि अगर वो और कई अन्य यात्री सुरक्षित हैं तो इसका कारण बस ड्राइवर की सूझबूझ है जिसने ताबड़तोड़ फायरिंग के बीच गाड़ी को वहां से निकाल लिया.
'बस की दायीं ओर बैठे लोग बने शिकार'
बस में गुजरात और महाराष्ट्र के 50 से ज्यादा श्रद्धालु सवार थे. श्रीनगर से निकलने के बाद पामपोर के पास बस पंक्चर हो गई थी जिसके चलते देर हो गई. उसने यह भी बताया कि हमले के वक्त ज्यादातर यात्री सो रहे थे. आतंकियों ने बस के सामने और दाहिनी ओर से फायरिंग की. ज्यादातर मरने वाले या घायल लोग दाहिनी ओर ही बैठे थे.
मोहनलाल सोनकर, जिनकी पत्नी उषा सोनकर की इस हादसे में मौत हो गई, ने बताया कि एक दिन पहले जब मेरी उससे बात हुई थी तब वह बेहद खुश थी पर ऐसा हादसा हो जाएगा ऐसा नहीं सोचा था.
ग्रेटर कश्मीर ने चश्मदीदों के हवाले से हमले का ब्योरा दिया है. हमले की जगह से मात्र 100 मीटर दूर मौजूद कुछ मोचियों ने बताया कि 'पठानी कपड़ों' में कुछ हमलावरों के AK-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग करनी शुरू कर दी जिसके बाद हम सब बहुत डर गए. लगभग 7 मिनट तक चली फायरिंग के बाद हमने घायलों की मदद करनी चाही पर सुरक्षाबलों ने वहां पहुंचे के बाद हमें रोक दिया.
'आखिर कड़ी सुरक्षा के बाद भी कैसे हो गया हमला'
स्थानीय लोगों ने भी हमले पर हैरानी जताई. लोगों ने आश्चर्य जताया कि आखिर इतनी कड़ी सुरक्षा होने के बाद भी बस कई चेक पोस्ट से गुजर गई और यह हादसा हो गया.
ग्रेटर कश्मीर में छपी खबर के मुताबिक राष्ट्रीय राइफल और सीआरपीएफ के सुरक्षाबलों ने हमले वाली जगह के पास स्थित घरों से 5 लोगों को गिरफ्तार किया और स्थानीय लोगों ने उनके द्वारा कई लोगों को पीटने का भी आरोप लगाया.