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अलवर हमला: अल्पसंख्यक मंत्रालय आपका... कुछ तो खबर रखिए नकवी जी

गुरुवार को संसद में नकवी ने कहा कि उन्हें इस तरह कि किसी मामले की जानकारी नहीं है

FP Staff

अलवर में गोरक्षकों ने गाय लेकर जाते हुए मुसलमान युवकों की इतनी पिटाई कर दी कि उनमें से एक की जान चली गई.

देश भर में इस खबर को लेकर माहौल गरम है. लेकिन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को इसकी जानकारी ही नहीं है. मोदी सरकार ने अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा की जिम्मेदारी (जिनमें मुसलमान भी आते हैं) नकवी को दी है. लेकिन नकवी जी को उनके हालात का पता ही नहीं है.


यह एक बड़ी घटना है. सोशल मीडिया से लेकर टीवी तक इस घटना का वीडियो बार-बार दिखाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने के लिए मशहूर मोदी सरकार के इस मंत्री पर यह बयान सूट नहीं कर रहा है.

अगर यह वीडियो नकली भी है तो कम से कम सरकार को सजग रूप से आगे आकर यह बताना चाहिए. हालांकि अभी तक किसी ने इस वीडियो को गलत नहीं बताया  है.

गुरुवार को संसद में नकवी ने कहा कि उन्हें इस तरह कि किसी मामले की जानकारी नहीं है. जब अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का रवैया ही इतना ठंडा है तो मुसलमानों की कौन सुनेगा.

क्या था मामला?

अलवर के बहरोड़ थाना क्षेत्र में गायें ले जा रहे हरियाणा के एक समूह पर शनिवार शाम को हमला किया गया था. इसमें पहलू खान को गंभीर चोट लगी और इलाज के दौरान सोमवार को उनकी मौत हो गई.

पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार पहलू खान की मौत पिटाई की वजह से हुई है.

मेवात की नूह तहसील में रहने वाला 55 साल का पहलू खान पिछले शुक्रवार एक दूध वाली भैंस खरीदने अपने गांव जयसिंहपुर से जयपुर के लिए निकला था. वह एक डेयरी किसान था, जिसने सोचा था कि वह रमजान के दौरान अपने दूध का उत्पादन बढ़ा ले.

बेटे के सामने ही हुआ था हमला

मृतक पहलू खान के बेटे इरशाद ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘ये हमला उन पर तब हुआ जब हम लोग 31 मार्च को पशु खरीदने के लिए गांव से जयपुर गए थे. हम भैंस लेने गए थे लेकिन शनिवार को जब गाय बेचने वाले ने हमारे सामने ही 12 लीटर दूध निकालकर दिखाया तो हमने सोचा भैंस की जगह गाय ही खरीद ली जाए.'

इरशाद कहते हैं, 'और ये हमारे लिए हमारा सबसे गलत फैसला साबित हुआ.’

इरशाद और उनके भाई आरिफ उस वक्त पहलू खान के साथ ही थे जब उनपर हमला हुआ था.

आरिफ ने बताया कि, ‘मेरे पिता गांव के ही एक व्यक्ति अज़मत के साथ ट्रक से आ रहे थे. उनके साथ दो गायें और दो गाय के बच्चे थे. मैं और इरशाद दूसरी गाड़ी में थे जिसमें तीन गायें और उसके तीन बच्चे थे.’

उसके बाद अरिफ ने बताया कि, किस तरह वे गौरक्षक वहां आए और उन्होंने उनकी गाड़ियां रोकी. उनलोगों को ट्रक से खींचकर नीचे उतारा और वे लोग उन्हें बेल्ट, डंडे से पीटने लगे. आरिफ के अनुसार, जब तक पुलिस पहुंची तब तक वे लोग लगभग बेहोश हो चुके थे.

गौरक्षकों ने कथित तौर पर आरोप लगाया कि ये सभी गायों की तस्करी कर रहे थे. राजस्थान पुलिस ने दामोदर सिंह नाम के व्यक्ति की शिकायत के आधार पर पहलू खान व अन्य के खिलाफ गैरकानूनी तौर पर पशुओं को बूचड़खाने ले जाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की. एफआईआर में कहा गया कि उन लोगों के पास गाय खरीदने के दस्तावेज या रसीद नहीं थी.

हालांकि इरशाद का कहना है कि, हमने उन्हें वो रसीद दिखाई है जिसमें जयपुर म्युन्सिपल कारपोरेशन की मुहर भी लगी है. वे कहते हैं कि हमला करने वाले लोग तेल छिड़क कर आग लगाने की बात कर रहे थे.

इरशाद ने कहा, ‘हमें नहीं पता कैसे एफआईआर दर्ज हुआ है जबकि हमारे पास तो पर्ची थी. हमने 45,000 रुपए की गायें खरीदीं थीं. उन्होंने ये भी कहा कि, पांच लोगों ने उनके पैसे, सेलफोन भी छीन लिए.

सोशल मीडिया पर  कथित हमले की वायरल हुई तस्वीर

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पहलु खान डेयरी फार्मर था

रिपोर्ट के अनुसार जयसिंहपुर गांव में लगभग लोग किसान हैं, जिनमें 10 डेयरी चलाने वाले किसान हैं उनमें से एक पहलू खान थे. शुक्रवार को पहलू खान के साथ गांव के और भी लोग पशु खरीदने निकले थे. जाकिर खान गांव के काफी बड़े डेयरी फार्मर हैं जो घटना के वक्त उनके साथ थे.

जाकिर खान का कहना है कि, वे अपने साथ एक गाय, एक बछड़े और एक भैंस लेकर आ रहे थे. वे उस पर जगह तब पहुंचे जब वहां लगभग 200 लोग थे और पुलिस भी थी.

जाकिर ने बताया, ‘मैंने वहां पहलू खान की गाड़ी देखी और वहां मौजूद लोगों से सुना कि उसे पीटा गया है. मैं वहां से फिर चला गया’ उन्होंने बताया कि गांव के लोग उनकी डेयरी तक दूध पहुंचाते थे जिनमें पहलू खान भी एक थे. साथ ही जाकिर ने यह भी बताया कि इरशाद पिछले 4 साल से दूध का व्यवसाय कर रहे हैं.

इस घटना के 15-20 मिनट बाद पुलिस आई और हमला करने वालों को धमकाकर भगाया. वो बताते हैं कि प्रशासन ने एंबुलेंस बुलाकर घायलों को कैलाश अस्पताल पहुंचाया.

आखिरी वक्त में भी नहीं मिल पाया पिता से

बीबीसी से हुई बातचीत में इरशाद बताते हैं, 'अस्पताल में दाखिल होने के तीसरे दिन मेरे पिता ने दम तोड़ दिया, अस्पताल में हम उनसे मिल भी नहीं पाए. जब अस्पताल में भर्ती किया गया तो उन्हें और हमें इमरजेंसी में रखा गया तभी आखिरी बार देखा था.'

वो कहते हैं, 'मरने के बाद भी उनसे हमारी मुलाकात नहीं हुई. मेरे पिता को मौत के बाद प्रशासन की तरफ से सरकारी अस्पताल ले जाया गया और हम चार लोगों का अस्पताल से निकालकर थाने में डाल दिया.'

इरशाद का कहना है कि प्रशासन ने अपनी पूरी कोशिश की लेकिन उन लोगों के आगे किसी की नहीं चलती. पहलू खान का परिवार पशु पालन से जुड़ा हुआ था और इरशाद बताते हैं कि इसके अलावा परिवार के पास और कोई काम भी नहीं है.

हालांकि पुलिस ने पहलू खान की गवाही के अनुसार घटना के 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.