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बजट 2017: सोशल सेक्टर पर होगी पैसों की बारिश!

स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं शिशु विकास जैसे सामाजिक क्षेत्र में बढ़ेगा खर्च

Pratima Sharma

आम आदमी पर नोटबंदी का बम फोड़ने के बाद सरकार अगले फाइनेंशियल ईयर में जनता को राहत का तोहफा दे सकती है.

सरकार अगले फाइनेंशियल ईयर में स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं शिशु विकास जैसे सामाजिक क्षेत्र में 10-12 फीसदी का खर्च बढ़ा सकती है.


स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं शिशु विकास जैसे सामाजिक क्षेत्रों पर राज्य सरकारों के साथ केंद्र भी अपना खर्च बढ़ाएगी. इनमें से ज्यादातर क्षेत्र राज्य सरकारों के अधीन आता है. चौदहवें वित्तीय आयोग एफएफसी ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि राज्यों को ऐसे सामाजिक क्षेत्रों पर ज्यादा खर्च करना चाहिए.

एफएफसी ने यह भी कहा था कि डिविजिबल (विभाजित) पूल ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू का वह हिस्सा जो राज्य और केंद्र सरकार के बीच बांटी जाएगी, उसमें राज्यों को मिलने वाला हिस्सा 32 फीसदी से बढ़ाकर 42 फीसदी किया जाए. हालांकि, एफएफसी ने नॉन टैक्स ट्रांसफर कम कर दिया.

एफएफसी के हेड वाई वी रेड्डी ने कहा था, 'सोशल सेक्टर पर खर्च बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों को टैक्स में बड़ा हिस्सा मिलना चाहिए.'

बदलेगा ट्रेंड

एफएफसी का सुझाव मानने के बाद केंद्र सरकार ने फिस्कल ईयर 2015-16 और 2016-17 में सोशल सेक्टर स्कीम पर अपना खर्च घटा दिया. अब यह ट्रेंड बदलने वाला है.

सरकारी सूत्रों के मुताबिक बजट बनाने वालों का मानना है कि हालिया वॉलेन्ट्री डिस्क्लोजर स्कीम से हासिल रकम, आयकर छापों में हासिल रकम और आरबीआई को मिले डिविडेंड से इस अतिरिक्त खर्च को सपोर्ट मिलेगा.

'फील गुड' बजट पेश करने की तैयारी

सोशल सेक्टर पर खर्च बढ़ाना सरकार के उस कदम का हिस्सा है जिसके तहत वह 'फील गुड' यूनियन बजट से नोटबंदी के असर को कम करना चाहती है. इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'बजट में जिन एरिया पर फोकस किया जाएगा, उनमें से सोशल सेक्टर सबसे अहम है.'

उदाहरण के तौर पर हेल्थ मिनिस्ट्री नेशनल हेल्थ मिशन में फंड बढ़ाने की उम्मीद कर रही है, ताकि डिजिटल हो सके. फिस्कल ईयर 2016-17 में इस मिशन के लिए सरकारी खजाने से 19,037 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे.

गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिए सरकार 1 लाख रुपए तक का हेल्थकेयर प्रोवाइड कराएगी. प्रधानमंत्री ने स्वाधिनता दिवस पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मौजूदा सीमा 30,000 को बढ़ाने का ऐलान किया था.

इस स्कीम के तहत इंश्योरेंस प्रीमियम चुकाने के लिए कम से कम 4,000-5,000 करोड़ रुपए का बजटीय सपोर्ट चाहिए. सरकार की कोशिश इसे अगले साल 1 अप्रैल से लागू करने की है.