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यूपी: हाईकोर्ट ने पूछा किस नीति से दे रहे हैं बूचड़खानों को लाइसेंस

कोर्ट ने कहा सरकार लाइसेंस को मंजूरी देने संबंधित अपनी नीति की जानकारी अदालत को दे

Bhasha

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यूपी सरकार से बूचड़खाने चलाने की नीति के बारे में जानकारी मांगी है. न्यायालय ने प्रदेश सरकार से कहा है कि वह बूचड़खाना चलाने के लिए लाइसेंस को मंजूरी देने संबंधित अपनी नीति की जानकारी अदालत को दें.

मुख्य न्यायाधीश डी बी घोष और न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की एक खंडपीठ ने इस बारे में सरकार से जवाब मांगा है. खंडपीठ ने झांसी के निवासी यूनिस खान की एक याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.


खान ने मांस की दुकान खोलने के लिए ये याचिका दायर की थी. उन्होंने नगर निगम द्वारा लाइसेंस जारी नहीं किए जाने की शिकायत को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच जुलाई की तारीख तय की है

उत्तर प्रदेश में बूचड़खानों की हकीकत

उत्तर प्रदेश में करीब तीन दर्जन बूचड़खाने ऐसे हैं जो केंद्र सरकार से लाइसेंस प्राप्त और रजिस्टर्ड हैं.

जिनमें सबसे ज्यादा, अलीगढ़ (7), गाजियाबाद (5), उन्नाव (4), मेरठ (3) और सहारनपुर (2) में हैं. इसके अलावा बाराबंकी, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, झांसी, लखनऊ और बुलंदशहर में एक-एक बूचड़खाना रजिस्टर्ड है.

पशुपालन विभाग के अनुसार वर्ष 2014-15 में उत्तर प्रदेश ने 7,515.14 किलोग्राम बीफ का कारोबार किया. एक आंकड़ा ये भी है कि वर्ष 2015-16 में देश के मांस निर्यातकों ने 13 लाख टन से ज्यादा बीफ और मांस का निर्यात किया. जो सालाना 26 हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार था.