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नेशनल हेराल्ड मामला: AJL का तर्क, शेयरधारिता में बदलाव मालिकाना हक में बदलाव नहीं

यह पीठ एक एकल पीठ के 21 दिसंबर 2018 के उस फैसले के खिलाफ एजेएल की अपील पर दलीलें सुन रही थी, जिसमें परिसर खाली करने के केंद्र के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की गई थी.

Bhasha

नेशनल हेराल्ड की प्रकाशक कंपनी ‘एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड’ (एजेएल) ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि उसके बहुमत के शेयर ‘यंग इंडिया’ (वाईआई) को हस्तांतरित करने से वाईआई के शेयरधारक राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया यहां इसके परिसर के मालिक नहीं बन जाते, जिसे उसे खाली करने को कहा गया है.

दिल्ली में इस परिसर को खाली करने का एजेएल को निर्देश देने वाले एक न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए एजेएल ने मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ से कहा कि किसी कंपनी का सौ फीसदी शेयरधारक भी इसकी संपत्तियों का मालिक नहीं बन सकता. यह दलील प्रकाशक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दी.


सिंघवी ने केन्द्र की इस दलील का जवाब दिया कि एजेएल के शेयरमालिक बनकर वाईआई ने हेराल्ड बिल्डिंग का मालिकाना हक गुप्तचुप तरीके से हस्तांतरित कर लिया. उन्होंने दलील दी, 'किसी कंपनी का सौ फीसदी का शेयर मालिक भी इसकी संपत्तियों का मालिक नहीं बन सकता.'

केन्द्र की ओर से पेश सालीसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि जिस तरीके से शेयर हस्तांतरित हुए, अदालत को एजेएल के ऊपर का कार्पोरेट-आवरण उठाने की जरूरत है ताकि यह देखा जाए कि ‘हेराल्ड हाउस’ परिसर का मालिक कौन है. एजेएल प्रिटिंग प्रेस चलाने के लिए इस इमारत को पट्टे पर दिया गया था.

यह पीठ एक एकल पीठ के 21 दिसंबर 2018 के उस फैसले के खिलाफ एजेएल की अपील पर दलीलें सुन रही थी, जिसमें परिसर खाली करने के केंद्र के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की गई थी. अदालत 18 फरवरी को इस मामले में आगे की सुनवाई करेगी.