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कहां जाएं दिल्ली-NCR वाले, अब गर्मियों में भी बढ़ने लगा है प्रदूषण

दिल्ली के आस-पास गुरुग्राम, गजियाबाद और भिवाडी शहर में भी प्रदूषण का स्तर चिंतनीय हैं

FP Staff

राष्ट्रीय राजधानी में सर्दियों के दौरान प्रदूषण होना आम बात थी, लेकिन इस बार गर्मियों में भी प्रदूषण का वही स्तर देखने को मिल रहा है.

राजस्थान से उठने वाली धूल भारी आंधी ने दिल्ली के प्रदूषण स्तर को और गिरा दिया. आंधी में आने वाले धूल के कण हवा में मिलकर प्रदूषण के स्तर को अचानक बढ़ा दिया. जिसके बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली-एनसीआर शहरों की हवा गुणवत्ता स्तर के आंकड़े जारी किए.


जिसमें दिखाया गया है कि इन शहरों की हवाओं में सर्दी के मौसम की हवा से गर्मी के मौसम की हवाओं में मामूली सुधार है. हालांकि मार्च के महीने में हवा की गुणवत्ता में मामूली सा सुधार था लेकिन अप्रैल और मई में यह स्तर और गिर गया.

दिल्ली के आस-पास गुरुग्राम, गजियाबाद और भिवाडी शहर में भी प्रदूषण का स्तर चिंतनीय हैं. मार्च महीने के दौरान अलवर को छोड़कर एनसीआर के किसी भी शहर में एक भी दिन प्रदूषण कम दर्ज नहीं किया गया. हालांकि अप्रैल महीने के दौरान दिल्ली, गाजियाबाद और फरीदाबाद में एक बार और गुरुग्राम में दो बार प्रदूषण पिछले दिन से कम दर्ज किया गया.

इस दौरान गुरुग्राम में 9 दिन और भिवाड़ी में 10 दिन हालत बदतर थे. वहीं मई में यह रिकॉर्ड और बिगड़ जाता है. मई महीने में भिवाड़ी में 11 दिन और गुरुग्राम में 10 दिन वायु प्रदूषण अपने उच्च स्तर पर था.

मई में दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और भिवाड़ी में एक भी दिन हालातों में सुधार देखने को नहीं मिला. विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मियों के दौरान एनसीआर में हवा की गुणवत्ता सुधार के लिए एक अच्छे प्लान की जरुरत है. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में प्रदूषण का स्तर और गिरने के आसार हैं.

आईएमडी के क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि इस साल पश्चिमी पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवा में धूल और मिटटी के कण मिले हैं. साल 2014 में भी ऐसे 7-8 बार तूफान आए थे, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह एक प्रक्रिया है. लेकिन इस साल धूल भारी आंधियो का स्तर काफी ऊपर था और हालत बेहद चिंतनीय हैं.

आईआईटी कानपुर के द्वारा साल 2013 और 2014 की एक स्टडी में पाया गया था कि दिल्ली के प्रदूषण स्तर और ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते प्रभाव का कारण धूल भारी हवाएं और अन्य उड़ने वाले कड़ जैसे जले हुए कोयले की रख आदि जिम्मेदार हैं. गर्मी के मौसम में पीएम 2.5 की औसत एकाग्रता प्रति घन मीटर 60 माइक्रोग्राम के स्तर से 300 प्रति घन मीटर माइक्रोग्राम थी. क्रस्टल घटक कुल पीएम 2.5 के लगभग 20% के लिए जिम्मेदार है. इससे पता चलता है कि मिट्टी और सड़क पर उड़ने वाली धूल गर्मी में पीएम 2.5 प्रदूषण का एक जिम्मेदार कारक है.

आपको बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण हालत बदतर हो चुके हैं. चारो तरफ धूल की चादर देखी जा सकती है, जिसके कारण सांस लेना भी दूभर हो चुका है. सडकों पर चलने वाली गाडियां रेंग रेंग कर चल रही हैं. पिछले कई दिनों से धूल भारी आंधी के कारण सैकडों लोगों की जान जा चुकी है.