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'आपदाओं में एयर इंडिया ने दिया हाथ, अब उसका दीजिए साथ'

संसदीय समिति ने कहा है कि राष्ट्रीय गर्व के प्रतीक एयर इंडिया के विनिवेश का विकल्प खोजना चाहिए

Bhasha

एक संसदीय समिति ने सरकार से कहा है कि सार्वजनिक विमानन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश का यह सही समय नहीं है. समिति एयर इंडिया को उबरने के लिए कम से कम पांच साल देने और उसका ऋण माफ करने का सुझाव भी दे सकती है.

समिति ने पाया है कि एयर इंडिया आपदाओं, देश और विदेश में सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता आदि में मौके पर खड़ा रहा है. उसने कहा कि नीति आयोग की ओर से इन सब बातों को अलग कर महज कारोबारी दृष्टिकोण से एयर इंडिया का मूल्यांकन-विश्लेषण किया गया है.


स्थायी समिति (परिवहन, पर्यटन और संस्कृति) के निष्कर्ष के अनुसार सरकार को एयर इंडिया के निजीकरण या विनिवेश के निर्णय की समीक्षा करना चाहिए.  राष्ट्रीय गर्व के प्रतीक एयर इंडिया के विनिवेश का विकल्प खोजना चाहिए.

संसद की स्थाई समिति ने की है समीक्षा 

समिति ने तय किया है कि एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचे जाने का निर्णय क्रमिक आधार पर लिया गया है. जिससे उसके वित्तीय और परिचालन प्रदर्शन पर उलटा प्रभाव पड़ा है. उसे अधिक ब्याज दर पर ऋण लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

समिति ने प्रस्तावित विनिवेश पर संशोधित ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा है कि एयर इंडिया की वित्तीय पुनर्गठन योजना 2012 से 2022 तक 10 साल के लिए थी.  विभिन्न पैमानों पर कंपनी में सुधार भी हुआ है जिससे लगता है कि वह उबर रही है.

समिति ने कहा, ‘यह अवधि समाप्त होने के बाद सरकार एयर इंडिया के वित्तीय व परिचालन प्रदर्शन का मूल्यांकन कर सकती है तथा उसके आधार पर निर्णय ले सकती है.’

सहयोगी इकाइयां चल रही हैं प्रॉफिट में 

संसदीय समिति ने सभी संबंधित पक्षों की राय जानने के बाद कहा, जब एयर इंडिया ने परिचालन से मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है तब यह उसके विनिवेश का सही समय नहीं है.

उसने कहा कि एयर इंडिया की कुछ सहयोगी इकाइयां जैसे एयर इंडिया, एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड, एयर इंडिया एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, एलायंस एयर और एयर इंडिया एक्सप्रेस मुनाफा कमा रही हैं अत: इनका विनिवेश नहीं होना चाहिए.

समिति ने कहा कि एयर इंडिया पर कर्ज नागर विमानन मंत्री के निर्णयों के वजह से हुआ है. इसे एक सार्वजनिक कंपनी के नाते कम सरकारी नियंत्रण के साथ परिचालन में बरकरार रखना चाहिए.