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अगस्ता वेस्टलैंड डील कराने वाले क्रिश्चियन मिशेल 5 दिन की CBI कस्टडी में

NSA अजीत डोवाल के नेतृत्व में 'ऑपरेशन यूनिकॉर्न' नाम के मिशन के तहत क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाया गया

FP Staff

दिल्ली पटियाला कोर्ट ने क्रिश्चियन मिशेल को 5 दिन के लिए CBI कस्टडी में भेज दिया है. इन पांच दिनों में CBI मिशेल से पूछताछ करेगी. देखना है कि इस दौरान क्या खुलासा होता है. CBI ने कोर्ट से कहा कि वह इस पूरे नेक्सस के तह तक जाना चाहते हैं.

कौन है वकील?


कोर्ट ने मिशेल के वकील ल्जो के जोसेफ को हर दिन उनसे 2 घंटे मिलने का वक्त दिया है. मिशेल के लॉयर अल्जो के जोसेफ से जब यह पूछा गया कि वह कांग्रेस पार्टी में क्या पोस्ट होल्ड कर रहे हैं. तब उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के इंडियन यूथ कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के नेशनल इंचार्ज हैं.

दिल्ली पटियाला कोर्ट में पूछताछ के दौरान मिशेल की तबीयत खराब होने लगी. इसके बाद उन्हें दवा दी गई. इससे पहले मिशेल ने कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की थी. सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि मिशेल के परिवार को बता दिया है कि दुबई से उनका प्रत्यर्पण भारत कर दिया गया है.

इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए पहले ही इस मामले में अपना पक्ष साफ कर दिया है. अब प्रधानमंत्री को यह बताना चाहिए कि उन्होंने राफेल डील में अनिल अंबानी को क्यों 30,000 करोड़ रुपए दिए.

ऑपरेशन यूनिकॉर्न का कमाल

NSA अजीत डोवाल के नेतृत्व में 'ऑपरेशन यूनिकॉर्न' नाम के मिशन के तहत क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाया गया. भारत आने से पहले दुबई अथॉरिटी के समक्ष क्रिश्चियन मिशेल ने बताया 'मैं जांच में दिए गए अपने पिछले बयान पर जोर देता हूं और कंफर्म है कि मेरे ऊपर लगे आरोपों के पीछे कारण है कि मैंने इस डील में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के साथ काम किया था.

अब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने मुझे पिछली सरकार पर प्रेशर डालने के लिए इस केस में घसीटा गया. इस डील में कोई भी फ्रॉड नहीं हुआ था और न ही मैंने रिश्वत ली थी. मैं कंपनी की भारत स्थित ब्रांच में काम नहीं कर रहा था. मैं कंपनी की यूके स्थित ब्रांच में काम कर रहा था. विशेष रूप से उस समय जब ऊंचाई में बदलाव कर 6000 मीटर से 4000 मीटर किया गया.'

आगे बोलते हुए मिशेल ने कहा 'मैंने यह भी उल्लेख किया था कि मेरे खिलाफ पहले भी केस भारत सरकार के द्वारा दर्ज कराया गया था और इटैलियन जज के निधन के बाद आरोप इतालवी अधिकारियों द्वारा लगाया गया था.'