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जल्लाद ने नहीं, सिपाही ने दी थी अफजल गुरु को फांसी!

इस मामले की गंभीरता देखते हुए तब कई चीजे गोपनीय रखने की कोशिश की गई थी, इस वजह से यह साफ नहीं हो सका था कि फांसी दरअसल किसने दी

FP Staff

संसद हमले के दोषी प्रोफेसर अफजल गुरु को 2013 में फांसी किसी जल्लाद ने नहीं, जेल के ही एक सिपाही ने दी थी. पड़ताल में इस बात का खुलासा हुआ है. हालांकि तिहाड़ जेल के पूर्व अधिकारी इससे इनकार कर रहे हैं.

दरअसल इस मामले की गंभीरता देखते हुए तब कई चीजे गोपनीय रखने की कोशिश की गई थी. इस वजह से यह साफ नहीं हो सका था कि फांसी दरअसल किसने दी. हालांकि तब कहा गया था कि फांसी जल्लाद ने दी थी. मगर तिहाड़ जेल के पूर्व डीजी के एक किताब में छपे बयान ने इसे पेचीदा बना दिया.


पड़ताल में पता चला कि तिहाड़ जेल के दो पूर्व अधिकारियों के बयानों में ही अंतर है. उधर, यूपी के एक जल्लाद की कहानी कुछ और ही है.

तिहाड़ के तत्कालीन डीजी बीके गुप्ता के हवाले से एक किताब में छपा था कि अफजल को फांसी देने के लिए उन्हें कोई जल्लाद नहीं मिला था.

अफजल गुरु की फांसी के समय तिहाड़ जेल में लॉ अधिकारी रहे सुनील गुप्ता डीजी के हवाले से छपी बात को सही नहीं मानते. वह कहते हैं, ‘ये बात सही नहीं है कि अफजल गुरु को फांसी किसी जल्लाद ने नहीं बल्कि जेल के ही एक सिपाही ने दी थी. हमने गाजियाबाद से एक जल्लाद बुलवाया था. उसी जल्लाद ने अफ़ज़ल गुरु को फांसी दी थी. अगर पूर्व डीजी बीके गुप्ता (तिहाड़ जेल) कहीं यह बयान दे रहे हैं तो गलत है कि अफजल गुरु को जल्लाद ने फांसी नहीं दी थी.’

मेरठ के जल्लाद पवन का कहना है कि ‘जब कोर्ट से अफजल गुरु को फांसी देने की घोषणा हुई तो मैं तिहाड़ जेल जाकर खुद लॉ अधिकारी सुनील गुप्ता से मिला था. मैंने फांसी दिए जाने के इंतजामों को लेकर बात भी की थी और जल्लाद के बतौर मुझे बुलाने के लिए भी कहा था. तब सुनील गुप्ता ने कहा था कि जब कुछ ऐसा होगा तो हम आपको बता देंगे.’

पवन यह भी बताते हैं कि ‘गाजियाबाद और नोएडा में कोई फांसी देने का काम नहीं करता. यूपी में सरकारी मान्यता प्राप्त सिर्फ दो परिवार ही यह काम करते हैं. एक मैं खुद हूं और दूसरे लखनऊ के अहमद हैं. लेकिन अहमद अब उम्रदराज़ हो गए हैं तो उन्होंने यह काम बंद कर दिया है.’

क्या किसी दोषी को फांसी देने का काम सिर्फ जल्लाद का है? इस सवाल को लेकर हमने मध्य प्रदेश जेल के पूर्व आईजी जीके अग्रवाल से बात की. उनका कहना था कि ‘ऐसा कोई जरूरी नहीं है कि सिर्फ जल्लाद ही फांसी देने का काम करेगा. अगर आपको किसी दोषी को फांसी देने के लिए जल्लाद नहीं मिलता, तो आप किसी से भी फांसी दिलाने का काम कर सकते हैं. फिर वो चाहे वह जेल कर्मचारी हो या फिर बाहर का कोई व्यक्ति.’

क्या कहते हैं जेल के दिशा-निर्देश

फांसी देने के संबंध में MODEL PRISON MANUAL FOR THE SUPERINTENDENCE AND MANAGEMENT OF PRISONS IN INDIA का पेज नम्बर 159 कहता है कि जब किसी दोषी को फांसी दी जाएगी तो वहां फांसी को देने वाला भी मौजूद रहेगा. इतना ही नहीं फांसी देने वाले को फीस के रूप में मेहनताना भी दिया जाएगा. वहीं हर एक जेल में फांसी देने वाले की तैनाती करने की बात भी की गई है.

(न्यूज-18 के लिए नासिर हुसैन की रिपोर्ट)