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चार जजों की PC पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने आज बुलाई बैठक

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट के चार जजों का खुलेआम चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ मोर्चा खोलने से पूरा देश सन्न है. अब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी जजों के आरोपों को लेकर शनिवार को मीटिंग बुलाई है.

सुप्रीम कोर्ट बार की शनिवार को होने वाली मीटिंग में जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के सीजेआई दीपक मिश्रा पर लगाए गए आरोपों पर विचार किया जाएगा. इसके बाद बार एसोसिएशन प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने वाला है.


सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास सिंह का कहना है, "चार जज मीडिया के सामने आए तो सही, लेकिन कोई मुद्दा लेकर नहीं आए. उन्होंने बस कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कुछ गड़बड़ है. कैसा गड़बड़ है? असली बात क्या है? चारों जजों ने इसपर कोई बात नहीं की. उन्होंने लोगों को जूडिशरी को लेकर एक तरह सस्पेंस में डाल दिया. इन चारों जजों ने जस्टिस लोया को लेकर भी कुछ नहीं कहा."

क्या है मामला

स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहला मौका था, जब सुप्रीम कोर्ट के चार सिटिंग जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया के सामने अपनी बात रखी. जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कूरियन जोसेफ इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे. जजों का कहना था कि चीफ जस्टिस 4 सबसे सीनियर जजों की बात भी नहीं सुनते.

जस्टिस चेलमेश्वर के निवास पर हुए इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के 4 सबसे वरिष्ठ जज चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा को समझाने में नाकाम रहे.

जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि हम खुश हो कर इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को करने के लिए नहीं आए हैं. सुप्रीम कोर्ट का प्राशासन ठीक से काम नहीं कर रहा है. पिछले कुछ महीनों में जो चीजें नहीं होनी चाहिए थी, वो भी हुई हैं.

क्या कहा जस्टिस चेलमेश्वर ने

जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका के बिना लोकतंत्र का अस्तित्व संभव नहीं है. किसी भी देश के लोकतंत्र के लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता भी जरूरी है. अगर ऐसा नहीं होता है तो लोकतंत्र नहीं बच पाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा जजों ने सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ मीडिया के सामने नाराजगी जाहिर की है. लेकिन वो कुछ भी खुलकर बोलने से बचते रहे. जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि उनलोगों ने कुछ महीने पहले चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी थी. इनलोगों ने सीजेआई से मुलाकात भी की थी. जजों ने पीसी में कहा कि हमने चीफ जस्टिस के सामने कुछ मुद्दे उठाए थे, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए.

मीडिया के ये पूछे जाने पर कि क्या चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग चलाया जाना चाहिए उन्होंने कहा कि ये देश को तय करने दें.