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400 साल बाद पुरुषों ने किया ओडिशा के इस मंदिर में प्रवेश

ऐसी मान्यता है कि गांव को आपदाओं से बचाने के लिए ही मंदिर में पुरुषों के प्रवेश की 400 सालों से मनाही रही है

FP Staff

ओडिशा से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है जिसमें एक मंदिर में करीब 400 साल बाद पुरुषों ने प्रवेश किया. मां पंचबाराही का ये मंदिर केंद्रपारा प्रांत के सतभाया गांव में स्थित है. बताया जाता है कि इस मंदिर में 400 सालों से पुरुषों का प्रवेश निषेध है. दरअसल ये मंदिर केवल शादीशुदा दलित महिलाएं ही चलाती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मंदिर में पांच दलित महिला पुजारी है और केवल यही महिलाएं मंदिर की पांच प्रतिमाओं को छू सकती हैं साथ ही मंदिर में होने वाले सभी कर्मकांड भी इन्ही पांच दलित महिलाएं के हाथों होते हैं.

ऐसी मान्यता है कि गांव को आपदाओं से बचाने के लिए ही मंदिर में पुरुषों के प्रवेश की 400 सालों से मनाही रही है, लेकिन बीते शनिवार को एक दिन के लिए इस मंदिर में पांच पुरुषों का प्रवेश करवाया गया. इस मंदिर में पुरुषों के प्रवेश का ऐतिहासिक फैसला सतभाया गांव में लगातार बढ़ते जल-स्तर को देखते हुए लिया गया. मंदिर को जल-सैलाब से बचाने के लिए करीब 1000 लोगों के समुदाय ने मंदिर को किसी सुरक्षित जगह पर पुर्नस्थापित करने की ज़रूरत पर जोर दिया.


इस फैसले के तहत पांच पुरुषों को पूजनीय प्रतिमाओं को छूने के लिए मुख्य कक्ष में प्रवेश दिया गया, 1.5 टन की भारी प्रतिमाओं को उठाने के लिए पुरुषों का प्रवेश करवाया गया. अब मंदिर का नया पता शहर में अंदर की ओर 12 किलोमीटर दूर बागापतिया गांव है.

मंदिर की नई जगह पर पहुंचने पर पुजारियों ने शुद्धिकरण समारोह भी किया. लगातार बढ़ते समुद्री जल-स्तर से ओडिशा का सतभाया गांव सबसे ज्यादा प्रभावित है. पिछले कई दशको से लगातार बढ़ते जल-स्तर की वजह से गांव और गांव वालों की प्रॉपर्टी का बड़ा हिस्सा पानी में डूबा हुआ है.

समुद्री जल-स्तर बढ़ने से 1930 से गांव का 350 स्वेयर मीटर का एरिया आज सिर्फ 140 स्वेयर मीटर रह गया है. बाढ़ ग्रस्त सतभाया गांव को 1992 से ही दोबारा बसाने का काम चल रहा है. राज्य सरकार के आदेशानुसार सतभाया गांव के 571 परिवारों को सुरक्षित बागापतिया गांव में पुर्नस्थापित करने काम किया जा रहा है जिसके लिए एक-एक परिवार को घर बनाने के लिए 1.5 लाख रुपए दिए गए हैं.