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अफस्पा कानून का उल्लंघन है सेना के 300 जवानों पर मुकदमा? आज SC करेगा सुनवाई

याचिका में कहा गया है कि ऐसे मुकदमे सेना और अर्द्धसैन्य बलों का मनोबल गिराएंगे. सेना के जवानों पर मणिपुर जैसे इलाकों में 'फर्जी' मुठभेड़ के लिए मामला दर्ज किया जा रहा है

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट सेना के 300 से अधिक जवानों की उस याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा जिसमें उन्होंने उन इलाकों में सैन्य अभियान चलाने पर उनके खिलाफ केस दर्ज करने को चुनौती दी है जहां अफस्पा लागू है.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविल्कर की पीठ ने वकील ऐश्वर्या भाटी की इन दलीलों पर विचार किया कि सेना के जवानों पर अशांत इलाकों में ड्यूटी निभाने के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है.


याचिका में कहा गया है कि केस दर्ज करना और सेना के जवानों पर मुकदमा चलाना अफस्पा के प्रावधानों के खिलाफ है क्योंकि उन्हें आधिकारिक ड्यूटी के दौरान कार्रवाई करने के लिए उन पर मुकदमा दर्ज करने से छूट मिली हुई है.

याचिका में कहा गया है कि ऐसे मुकदमे सेना और अर्द्धसैन्य बलों का मनोबल गिराएंगे. सेना के जवानों पर मणिपुर जैसे इलाकों में कथित ज्यादतियां करने और फर्जी मुठभेड़ के लिए मामला दर्ज किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद कुछ मुकदमे शुरू किए गए.

45 साल पहले भारतीय संसद ने अफस्पा यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 को लागू किया, जो एक फौजी कानून है, जिसे अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है. यह कानून सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार देता है.

इन कानून के तहत चेतावनी के बाद, यदि कोई व्यक्ति कानून तोड़ता है, अशांति फैलाता है, तो उस पर मृत्यु तक बल का प्रयोग कर किया जा सकता है. किसी आश्रय स्थल या ढांचे को तबाह किया जा सकता है जहां से हथियार बंद हमले का अंदेशा हो.

किसी भी असंदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है. गिरफ्तारी के दौरान उनके द्वारा किसी भी तरह की शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है.

(भाषा से इनपुट)