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बच्चों को रखना है फिट तो दौड़ने-फिरने और खेलने की दें आजादी: स्टडी

स्टडी के मुताबिक संगठित खेलकूद या एक्सरसाइज क्लासेस भी बच्चो को उतना फिट नहीं रख पाते जितना उन्हें होने की जरूरत है

Bhasha

वैज्ञानिकों का कहना है कि जो माता-पिता सोचते हैं कि कुछ खास तरह के खेल ही उनके बच्चों के फिट रहने के लिए काफी हैं, उन्हें अपनी राय बदलने की जरुरत है. वैज्ञानिकों के मुताबिक माता-पिता को समझना होगा कि बच्चों को आसपास के अपने दोस्तों के साथ दौड़ने-फिरने और खेलने देना उनकी शारीरिक तंदरुस्ती के लिए जरुरी है.

अमेरिका के राइस विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स ने अपने इस कॉन्सेप्ट के लिए 10-17 साल तक के घर-स्कूल वाले 100 बच्चों की स्टडी की  कि ऐसी गतिविधियां ही उन्हें शारीरिक रुप से फिट रखने के लिए काफी हैं. जर्नल ऑफ फन्क्शनल मोर्फोलोजी एंड किनसियोलोजी में प्रकाशित आंकड़े ने उन्हें गलत साबित कर दिया.


विश्वविद्यालय में स्पोर्टस मेडिसिन की व्याख्याता लाउरा कबीरी ने कहा कि समस्या इस बात में है कि कितनी गतिविधि  इस खसा तरह के खेल का हिस्सा है.

क्या कहती है स्टडी?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों को रोजाना खुली हवा की गतिविधि के लिए एक घंटा मिलना चाहिए लेकिन दूसरी स्टडी में कहा गया है कि निश्चित खेलों के बाहर के खेलों में बच्चे बस 20-30 मिनट ही मध्यम से कड़ी मेहनत कर पाते हैं. रिसर्चर्स ने इसकी तुलना कबीरी के आंकड़ों से की.

कबीरी ने कहा, ‘हम मान बैठते हैं और मैं सोचती हूं कि अभिभावक भी अधिकतर यही मानते हैं कि संगठित खेलकूद या एक्सरसाइज क्लासेस में दाखिला कराने से बच्चों को उतनी कसरत करने को मिल रही है जितना उनके शरिर के विकास के लिए जरूरी है.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन हमने पाया कि ऐसा नहीं है. बस उन्हें किसी गतिविधि में दाखिला दिलाने का मतलब जरुरी यह नहीं होता कि वे अपनी उन जरुरतों को पूरा कर रहे हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता है.’