view all

गिरफ्तार आतंकी सुब्हान से खुलेंगे 'इंडियन मुजाहिदीन' के राज

जांच एजेंसियां अब पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि, मुंबई का एक पढ़ा-लिखा नौजवान कैसे भटककर आतंक की राह पर उतरा. किसने उसे खून-खराबे और नफरत के लिए उकसाया

Debobrat Ghose

आतंक के खिलाफ मुहिम में दिल्ली पुलिस को गणतंत्र दिवस से ठीक पहले बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. दिल्ली पुलिस ने देशी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य अब्दुल सुब्हान कुरैशी उर्फ तौकीर को धर दबोचा है. भारत के लादेन के नाम से कुख्यात आतंकी अब्दुल सुब्हान को दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर से शनिवार को गिरफ्तार किया गया. फिलहाल उसे 14 दिनों की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है.

आतंकी अब्दुल सुब्हान कुरैशी साल 2008 में गुजरात और दिल्ली में हुए सीरियल बम धमाकों के मामले में संदिग्ध और वांछित था. ऐसे में उसकी गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियों के लिए बहुत बड़ी कामयाबी मानी जा रही है.


अब्दुल सुब्हान से अब देश में उपजे आतंकी संगठन 'इंडियन मुजाहिदीन' के बारे में महत्वपूर्ण सूचनाएं उगलवाई जा सकती हैं. इस तरह से 'इंडियन मुजाहिदीन' के बारे में फैले कई मिथकों और भ्रांतियों से पर्दा हट सकता है.

कुरैशी ने की थी इंडियन मुजाहिदीन की स्थापना

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, अब्दुल सुब्हान कुरैशी ने आतंकी रियाज भटकल के साथ मिलकर आतंकी संगठन 'इंडियन मुजाहिदीन' की स्थापना की थी. इसके अलावा प्रतिबंधित संगठन 'स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया' (सिमी) और 'इंडियन मुजाहिदीन' के लिए फंड जुटाने में भी कुरैशी की अहम प्रमुख भूमिका रही है. वह 'सिमी' और 'इंडियन मुजाहिदीन' को फिर से एक्टिव करने दिल्ली आया था.

अब्दुल सुब्हान कुरैशी आतंक की ऐसी खतरनाक डगर पर चल पड़ेगा, ऐसा उसके परिचितों और परिवार ने सपने में भी नहीं सोचा था. कुरैशी पढ़ा-लिखा नौजवान है. वह एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी नौकरी भी करता था. लेकिन मार्च 2001 में उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. अपने इस्तीफे में कुरैशी ने लिखा था, 'मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि मैंने पूरे एक साल तक धार्मिक और आध्यात्मिक रीतियों का पालन करने का फैसला किया है.' अब्दुल सुब्हान का यह फैसला ही उसके भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी बनने की यात्रा की शुरुआत थी. उस पर भारत में कई जगहों पर आतंकी हमलों में शामिल होने का आरोप है.

करियर को ठुकराकर बना था आतंकी

कंप्यूटर इंजीनियर से कथित आतंकी बने कुरैशी का जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में रामपुर नामक एक छोटी सी जगह में हुआ था. वह बचपन में ही अपने मां-बाप के साथ मुंबई चला गया था. मुंबई में ही कुरैशी ने पढ़ाई की और इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा हासिल किया. पढ़ाई खत्म करने के बाद कुरैशी ने कुछ सॉफ्टवेयर कंपनियों में नौकरी की. और फिर इसी दौरान एक सुबह उसने अपने शानदार करियर को ठुकराकर दहशत की राह पर उतरने का तबाही भरा फैसला किया.

अब्दुल सुब्हान कुरैशी का नाम साल 2008 में सीरियल ब्लास्ट के मामलों में इंडियन मुजाहिदीन के ऑपरेटिव्स द्वारा भेजे गए ईमेल्स की वजह से सामने आया. सीरियल ब्लास्ट में सक्रिय भूमिका निभाने के चलते ही कुरैशी को 'भारत का ओसामा बिन लादेन' कहा जाने लगा. स्कूल और कॉलेज में शांत और शर्मीले रहे मुंबई के इस लड़के के कायाकल्प और फिर एक दुर्दांत आतंकी बनने की कहानी एक दिलचस्प पहेली की तरह है. अब्दुल सुब्हान कुरैशी दहशत की दुनिया का खासा बड़ा नाम है. उसके सिर पर 4 लाख रुपए का इनाम था.

आतंकी संगठनों के बारे में मिल सकती है पुख्ता जानकारी

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व प्रमुख रहे प्रकाश सिंह ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि, 'यह दिल्ली पुलिस की बहुत बड़ी कामयाबी है. अब्दुल सुब्हान कुरैशी से विस्तृत पूछताछ में कई लिंक मिल सकते हैं. अन्य आतंकी संगठनों और मॉड्यूल के साथ उसके संबंधों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की जा सकती हैं. उससे इंडियन मुजाहिदीन के संचालन की अंदरूनी जानकारी भी मिलेंगी. इस्लामी आतंकी संगठनों का नेटवर्क पूरे देश में तेजी के साथ फैल रहा है. मुझे पता चला है कि, पीपुल फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) नाम का जो संगठन अबतक सिर्फ केरल तक ही सीमित था, उसकी पहुंच अब झारखंड और कुछ अन्य राज्यों तक हो गई है.'

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रकाश सिंह ने आगे कहा कि, 'वर्तमान स्थिति को देखते हुए, हमें अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने की सख्त जरुरत है, ताकि अपने घर को महफूज रखा जा सके.'

जांच एजेंसियां अब पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि, मुंबई का एक पढ़ा-लिखा नौजवान कैसे भटककर आतंक की राह पर उतरा. किसने उसे खून-खराबे और नफरत के लिए उकसाया. कुरैशी इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का सक्रिय सदस्य रहा है. खबरों के मुताबिक, मार्च 2008 में सिमी के जनरल सेक्रेटरी सफदर नागौरी की मध्य प्रदेश के इंदौर में गिरफ्तारी के बाद से कुरैशी संगठन में टॉप रैंक संभाल रहा था.

काउंटर टेररिज़्म एनालिस्ट अनिल कंबोज के मुताबिक, 'कुरैशी की गिरफ्तारी हाल के दिनों में खुफिया एजेंसियों को मिली सबसे बड़ी कामयाबियों में से एक है. खुफिया एजेंसियां को उसकी तलाश गुजरात धमाकों से भी पहले से थी. पूछताछ में कुरैशी से उसके द्वारा अंजाम दी गईं आतंकी वारदातों के बारे में अहम जानकारियां तो मिलेंगी ही. इसके अलावा आईएम के देशी मॉड्यूल, उसकी संगठनात्मक संरचना, उसके पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं (रैंक और फाइल), उसकी कार्यप्रणाली, आईएम के धन स्रोतों और हथियारों की सप्लाई आदि के बारे में ज्यादा स्पष्ट और विश्वसनीय सूचनाएं भी मिलेंगी. हैरत की बात नहीं होगी, अगर उसके संबंध पाकिस्तान बेस्ड आतंकी संगठनों से निकल आएं.'

2007 में मुजाहिदीन ने खुद को कहा था देशी इस्लामिक आतंकी संगठन

आईएम नेटवर्क ने साल 2007 में मीडिया के जरिए भारत में अपनी उपस्थिति का ऐलान किया था. 'इंडियन मुजाहिदीन' ने खुद को देशी इस्लामिक आतंकी संगठन के रूप में पेश किया था. आईएम ने अपने कैडर के तौर पर विदेशी रंगरूटों के बजाए हमेशा स्थानीय मुस्लिम आबादी को तरजीह दी है. जांचकर्ताओं के मुताबिक, 'इंडियन मुजाहिदीन' उन कई आतंकी संगठनों में से एक है, जिनकी स्थापना सिमी के सदस्यों ने की है. आईएम के ज्यादातर आतंकी पहले छोटे स्तर के कार्यकर्ता के रूप में सिमी में भर्ती हुए थे. सरकार ने जून 2010 में आईएम को आतंकी संगठन घोषित करते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया था.

हालांकि, आईएम के अस्तित्व को लेकर जांच एजेंसियों पर कई बार सवाल उठ चुके हैं. करीब एक दशक तक इंडियन मुजाहिदीन पर नज़र रख चुके खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि, 'पुलिस और खुफिया एजेंसियां दोनों ही लंबे समय से कुरैशी के पीछे थीं, लेकिन वह हर बार बचकर निकल जाता था. कुरैशी आईएम का सह-संस्थापक है. उसकी गिरफ्तारी से न सिर्फ कई अनसुलझे सवालों के जवाब मिलेंगे, बल्कि कई आतंकी वारदातों की टूटी कड़ियां भी जुड़ेंगी. कुरैशी से आईएम में उसकी भूमिका और संगठन के समूचे अस्तित्व के बारे में बेहद अहम सूचनाएं प्राप्त होंगी. वह साल 2015 से 2017 के दौरान खाड़ी देशों में रहा, इसके अलावा उसने नेपाल में भी अपना ठिकाना बनाया. उन दिनों इंडियन मुजाहिदीन काफी हद तक निष्क्रिय रहा. लिहाजा संगठन में जान फूंकने के लिए कुरैशी भारत वापस आया था. उसकी नजर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों पर थी. जहां वह नए कैडर की भर्ती और पुराने कैडरों को सक्रिय करने की मुहिम में जुटा था.'

खुफिया एजेंसी के अधिकारी ने आगे बताया कि, 'कुरैशी न सिर्फ बम चलाने में माहिर है, बल्कि बम बनाने में भी विशेषज्ञ है. मुझे पूरी उम्मीद है कि कुरैशी से पूछताछ में कई बम धमाकों, उसकी कार्यप्रणाली (मोडस ऑपरेंडी), उसके नेटवर्क, भारत और विदेशों में अन्य आतंकी संगठनों के साथ उसके संबंधों के बारे में कई अहम खुलासे होंगे.'

प्रतिकात्मक फोटो

आईएम द्वारा कथित तौर पर अंजाम दी गईं बम धमाकों की वारदातें

• 2006: मुंबई बम धमाके

• 2007: हैदराबाद और उत्तर प्रदेश में दोहरे बम धमाके

• 2008: बेंगलुरु और अहमदाबाद में सीरियल बम धमाके

• 2008: 13 सितंबर को दिल्ली में सीरियल बम धमाके

• 2010: पुणे की जर्मन बेकरी और वाराणसी के शीतला घाट पर धमाका

• 2011: मुंबई में एक साथ तीन बम धमाके

• 2012: पुणे में सीरियल बम धमाके और हैदराबाद में एक बम धमाका

• 2013: बोधगया में बम धमाके

जांचकर्ताओं का मानना है कि कुरैशी से विभिन्न एजेंसियों की पूछताछ बाद यह सुनिश्चित हो सकेगा कि, क्या आईएम ने बम धमाकों की सभी वारदात अकेले ही अंजाम दीं या उसने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जैसे किसी अन्य आतंकी संगठन की भी मदद ली थी. ऊपर उल्लेख की गईं आतंकी हमलों की जिम्मेदारी कथित तौर पर आईएम ने ली थी. कहा जाता है कि इन सभी आतंकी घटनाओं के बाद आईएम ने बाकायदा ईमेल्स भेजे थे. अब इस बात की सच्चाई तो केवल उचित जांच के बाद ही सामने आएगी.