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बागपत में खुदाई के दौरान महाभारत काल के रथ और कब्रों के ताबूत मिले

खुदाई के दौरान कई कब्रें, तीन तलवारें, दो खंजर, एक ढाल, एक मशाल और एक प्राचीन हेलमेट भी मिला है. जानकारों का कहना है कि यह सभ्यता मेसोपोटामिया जैसी समृद्ध रही होगी

FP Staff

उत्तर प्रदेश के बागपत में आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को 4000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं. खेत की जमीन से महज दस सेंटीमीटर नीचे मिली कांस्य युगीन सभ्यता के बारे में जानकारों का कहना है कि यह सभ्यता मेसोपोटामिया जैसी समृद्ध रही होगी.

एएसआई के अधिकारियों ने बताया कि हमारी टीम बागपत के सादिकपुर सनौली गांव में खुदाई कर रहे हैं. इस इलाके में इतनी पुराणी सभ्यता का मिलना चौंकाने वाला है.और सबसे बड़ी बात तो यह कि इस इलाके में खुदाई के दौरान कई शाही कब्रें मिली हैं. मालूम हो महाभारत काल में पांडवों के कौरवों से मांगे गए 5 गांवों में से एक गांव बागपत भी शामिल था. इसलिए इसे महाभारत के समय की सभ्यता से भी जोड़ा जा रहा है.


इस खुदाई का काम देख रहे एएसआई के एक अधिकारी ने कहा कि अब तक जो कुछ भी मिला है, जांच पड़ताल से यह लगता है कि यह सब 4000 साल पुराना रहा होगा. यानी लगभग 1800 से 2000 ईसा पूर्व का. और यह समय महाभारत का काल कहा जाता है.

इसके अलावा कब्रें और अंतिम संस्कार के जो सबूत मिले हैं, उनमें अब तक पहली बार ताबूत में रखी इतनी पुरानी कब्रें मिली हैं. यह सब कब्रें लकड़ी के मजबूत ताबूत में बंद हैं. इनकी दीवारों पर तांबे की प्लेटिंग है, जिस पर तमाम तरह की आकृतियां बनाई गई हैं.

आम तौर पर ताबूत में लोहे की किलो का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन इन ताबूत में तांबे की कीलों का इस्तेमाल किया गया है. इसके पास ही एक गढ्ढे में दो रथ, ताबूत के सिरहाने में मुकुट जैसी चीज के अवशेष भी मिले हैं.यही नहीं, ताबूत के पास तीन तलवारें, दो खंजर, एक ढाल, एक मशाल और एक प्राचीन हेलमेट भी मिला है.

खुदाई के दौरान एक महिला का कंकाल भी मिला है, जिसका ताबूत पूरी तरह से गल चुका था. इस महिला के सिरहाने एक सोने का बीड के साथ चांदी का कुछ सामान, सींग का बना कंघा और एक तांबे का आइना भी मिला है.

एएसआई अधिकारियों ने बताया कि साल 2005 में इसी जगह से 120 मीटर की दूरी पर एक कब्रगाह मिली थी, जिसमें से लगभग 116 कब्रें मिली हैं. उन कब्रों के पास भी तलवारें आदि मिली थी.

अधिकारियों का मानना है कि शायद यह कब्रें योद्धाओं की रही होगी. साथ ही इनके शाही होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता. एएसआई डॉ एस के मंजुल का कहना है कि इससे पहले खुदाई के दौरान रथों आदि के कुछ हिस्से मिलते रहते थे, लेकिन यह पहला मामला है कि जहां पूरा रथ आदि मिले है.