view all

Aadhaar Verdict: जहां जरूरी है बस वहीं अनिवार्य रह गया आधार

अब सिर्फ सोशल स्कीम, पैन कार्ड आवेदन और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए जरूरी होगा आधार

Pratima Sharma

आधार कहां जरूरी है और कहां गैर जरूरी? यह लंबे समय से बहस का मुद्दा रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में यह साफ कर दिया है कि आधार कार्ड वहीं अनिवार्य होगा जहां उसकी जरूरत होगी. अभी तक आधार के खिलाफ याचिका दायर करने वाले समुहों की एक बड़ी चिंता निजता के हनन को लेकर थी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले में आधार एक्ट पर कई शर्तें लगाई गई हैं. लेकिन याचिकाकर्ताओं का एक ग्रुप अभी भी नाखुश है. अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज का कहना है कि इस फैसले से कॉरपोरेट सेक्टर को झटका लगा है. उन्होंने कहा, 'कुछ पाबंदियों के बावजूद सरकार का मकसद पूरा हो गया है. आधार से निजता के हनन का डर बना हुआ है.' असली खतरा डाटा चोरी होने का नहीं बल्कि सरकार के पास आंकड़े जमा होने का है. द्रेज ने कहा सरकार इन आंकड़ों से सर्विलांस के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर सकती है जो असली खतरा है.


जो डेटा कंपनी के पास है उसका क्या होगा?

आधार एक्ट की धारा 57, 2(d) के तहत अभी तक किसी बैंक में खाता खुलवाने या सिम लेने तक के लिए आधार कार्ड अनिवार्य हो गया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट की इस धारा को खत्म कर दिया है. यानी आज से किसी प्राइवेट बैंक में खाता खुलवाने के लिए, किसी टेलीकॉम कंपनी से सिम लेने के लिए या इस तरह के किसी भी काम के लिए अब आधार की जानकारी देना अनिवार्य नहीं होगा.

एक बड़ी फिक्र इस बात को लेकर भी थी कि जो बायोमीट्रिक जानकारियां कंपनियों को दी जा रही हैं उसका क्या होगा. मौजूदा आधार एक्ट के तहत कम से कम पांच साल तक ये बायोमीट्रिक डेटा सुरक्षित रखा जाना था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फिक्र को काफी हद तक दूर कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी कंपनी 6 महीने से लंबे समय तक के लिए बायोमीट्रिक डेटा संभाल कर नहीं रख सकते. कोई भी कंपनी मेटा डाटा नहीं बना सकती. मेटा डाटा लंबे समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है.

यानी अगर पेटीएम या प्राइवेट कंपनियों को अपना बायोमीट्रिक डेटा दिए छह महीने से ज्यादा हो चुके हैं तो वह डेटा अब खत्म हो जाएगा.

आधार का विरोध करने वालों का कहना था कि सोशल स्कीमों के लिए आधार अनिवार्य होने से कई लोगों को इन स्कीमों का फायदा नहीं मिल पाता है. ऐसे कई मामले सामने आए जब राशन ना मिलने और भूखमरी की वजह से बच्चों और महिलाओं की मौत हो गई. ऐसे में लगातार यह मांग हो रही थी कि सोशल स्कीमों के लिए आधार की अनिवार्यता खत्म कर दी जाए.

हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि आधार का दायरा बहुत बड़ा है. इससे आबादी के एक बड़े हिस्से को फायदा हुआ है. लिहाजा कुछेक लोग जो इस दायरे से बाहर हैं, उनके लिए आधार को गैर अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता. इसके पक्ष में सरकार लगातार यह दलील देती आ रही है कि सोशल स्कीम के लिए आधार अनिवार्य बनाने से बिचौलियों की छुट्टी हो गई है. साथ ही स्कीमों का फायदा सही लोगों तक पहुंच रहा है.

इनकम टैक्स में सब पहले जैसा

आधार एक्ट के तहत सरकार ने इनकम टैक्स में धारा 139AA जोड़ा था. सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा है. इसके तहत पैन कार्ड आवेदन के लिए, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आधार जरूरी होगा. पीपीएफ या एनएससी में निवेश के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा. यानी किसी दूसरी चीज के लिए आधार जमा करने की मजबूरी खत्म हो गई है.

कुछ दिनों पहले दिल्ली के स्कूलों में एक फरमान सुनाया गया था कि बच्चों को अपने अभिभावकों का आधार भी स्कूल में जमा कराना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि स्कूलों में एडमिशन का बेनेफिट आधार एक्ट के सेक्शन 7 के तहत नहीं आता है. लिहाजा इसके लिए बच्चों के पेरेंट्स का आधार नहीं लिया जा सकता. साथ ही अगर स्कूल में बच्चों का आधार एनरॉलमेंट हो रहा है तो उसके लिए पेरेंट्स की सहमति जरूरी है. इसके साथ ही CBSE, NEET, UGC के लिए भी आधार को गैर अनिवार्य करार दिया गया है.

आधार एक्ट में बदलाव से आम आदमी को कुछ अधिकार भी मिले है. पहले डेटा चोरी होने की सूरत में सिर्फ UIDAI ही केस कर सकता था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब ये अधिकार आम आदमी को भी दिया है. यानी अब अगर किसी एक शख्स का डेटा चोरी होता है तो वह भी शिकायत कर सकता है.