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सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगी, 31 मार्च तक करा सकते हैं आधार लिंक

सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को सभी स्कीम से लिंक कराने की आखिरी तारीख 31 मार्च, 2018 तक बढ़ाई जाने की अनुमति दे दी है

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को सभी स्कीम से लिंक कराने की आखिरी तारीख 31 मार्च, 2018 तक बढ़ाई जाने की अनुमति दे दी है. इससे पहले गुरुवार को केंद्र सरकार ने आधार को लिंक कराने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर, 2017 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2018 करने को कहा था. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल सेवाओं को आधार से जोड़ने की 6 फरवरी, 2018 की समयसीमा को भी 31 मार्च, 2018 तक बढ़ा दिया है. आपको बता दें कि एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर मोबाइल नंबर को आधार से लिंक कराने की आखिरी तारीख 6 फरवरी से बढ़ाकर 31 मार्च, 2018 की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार के बिना भी नया बैंक अकाउंट खुलवाया जा सकता है. लेकिन इसके लिए आवेदक को सबूत देना होगा कि उसने आधार कार्ड के लिए आवेदन दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश अंतरिम है. यानी जब तक सुप्रीम कोर्ट आधार की अनिवार्यता पर फैसला नहीं करती तब तक के लिए यह आदेश मान्य है. आधार की अनिवार्यता पर कोर्ट 17 जनवरी से सुनवाई शुरू करेगी.

वहीं आधार को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने और कल्याणकारी योजनाओं से अनिवार्य रूप से जोड़ने के केंद्र के फैसले पर रोक लगाने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायधीशों की संविधान पीठ ने गुरुवार को अपना फैसला टाल दिया था. संविधान पीठ के सामने सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा था कि केंद्र सरकार आधार से योजनाओं को जोड़ने की तारीख को 31 मार्च 2018 तक बढ़ाने के लिए तैयार है.

क्या है नया फैसला?

- सरकार ने आधार से बैंकिंग खातों को लिंक करने की मौजूदा डेडलाइन बढ़ा दी है. पहले यह तारीख 31 दिसंबर 2017 थी.

- मौजूदा खाते, जो छह महीने से ज्यादा पुराने हैं. उनकी डेडलाइन बढ़ाकर अब 31 मार्च 2018 कर दी गई है.

- जो खाते 1 अक्टूबर 2017 के बाद खुले हैं. आधार लिंक करने की उनकी डेडलाइन खाता खोलने की तारीख से 6 महीने तक है.

क्या था मामला

निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है कि नहीं इस मसले पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने हाल ही में कहा था कि संविधान के तहत निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है. इसी के बाद कई लोगों एवं संगठनों ने इसकी वैधता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह निजता के अधिकारों का उल्लंघन करता है.