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सावधान! कहीं बोतलबंद पानी के नाम पर जहर तो नहीं पी रहे आप

साल 2016 में भारत में बोतलबंद पानी का कारोबार 7,040 करोड़ रुपए का था जो हाल के वर्षों में काफी बढ़ा है

FP Staff

अगर आप बोतलबंद पानी के शौकीन हैं तो सावधान हो जाएं. स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि दुनियाभर में बिकने वाले बोतलबंद पानी में 90 फीसदी तक प्लास्टिक है. भारत को लेकर भी अध्ययन में कुछ ऐसी ही राय जाहिर की गई है.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक रिसर्चरों ने 259 लोगों के खरीदे गए 11 कंपनियों के बोतलबंद पानी का अध्ययन किया. ये कंपनियां ब्राजील, चीन, भारत, इंडोनेशिया और अमेरिका की हैं. भारत में 19 शहरों से सैंपल लिए गए जिनमें मुंबई, दिल्ली और चेन्नई आदि शामिल हैं.


मशहूर विदेशी ब्रांड अक्वाफीना और भारत की नामी कंपनी बिसलेरी का भी टेस्ट किया गया. रिसर्च टीम ने जो डेटा पेश किया है उसमें बिसलेरी के चेन्नई वाले सैंपल में 5 हजार माइक्रो प्लास्टिक कण पाए गए हैं.

54 फीसद मिला पॉलीप्रोपलीन

बोतलबंद पानी की कंपनियां साफ-सफाई को लेकर लाख दुहाई देती हैं लेकिन इस शोध में जहरीले पदार्थ मिलने की खबरों के बाद उनकी भौहें तन गई हैं. बोतल का ढक्कन बनाने के लिए कंपनियां पॉलीप्रोपलीन का उपयोग करती हैं. यह पदार्थ पानी में 54 फीसदी तक पाया गया है. दूसरे नंबर पर है नाइलॉन जो 16 फीसदी तक पाया गया है.

93 फीसदी बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है. स्पेक्ट्रोस्कोपी एनालिसिस के तहत रिसर्चरों ने प्रति लीटर औसतन 10.4 माइक्रोप्लास्टिक के कण पाए हैं. इसी टीम ने पिछले साल भी रिसर्च किया था. तब जो आंकड़ा मिला था उससे इस साल प्लास्टिक की मात्रा दोगुना ज्यादा पाई गई है. डेटा से स्पष्ट है कि पानी में मिलावट बोतल को पैक करने या पानी भरने के दौरान फैलती है.

न के बराबर होती है निगरानी

भारत में पानी की बोतल का बाजार काफी बड़ा है लेकिन इसपर निगरानी काफी ढीली है. देश में छोटी-बड़ी सैकड़ों कंपनिया हैं लेकिन उनका क्वालिटी चेक न के बराबर है. बोटलिंग यूनिट पर राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियां निगरानी रखती हैं. इन एजेंसियों में इंडियन स्टैंडर्ड्स एंड फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) का नाम प्रमुख है.

रिपोर्ट में ये हैं चौंकाने वाले खुलासे

-बार्क की हालिया रिपोर्ट बताती है कि मुंबई में लिए गए पानी के सैंपल में कैंसरकारी तत्व पाए गए हैं. बार्क की टीम ने 90 सैंपल लिए जिनमें डब्लूएचओ से मान्य ब्रोमेट की 27 फीसद ज्यादा मात्रा पाई गई. ये जहरीले तत्व इंसानों में कैंसर की बीमारी पैदा कर सकते हैं.

-साल 2016 में भारत में बोतलबंद पानी का कारोबार 7,040 करोड़ रुपए का था. हाल के वर्षों में इन कंपनियों में काफी बढ़ोतरी हुई है जिनपर काफी कम निगरानी रखी जाती है.

-रिसर्चरों ने प्लास्टिक की जांच के लिए नाइल रेड डाई का उपयोग किया जिसे डालते ही प्लास्टिक के कण चमकने लगते हैं.

-पानी में प्लास्टिक के कचरे-पॉलीप्रोपलीन, नाइलॉन और पॉलीइथाइलिन टेराप्थलेट (पीईटी) पाए गए हैं.