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एक डाकिया जिसने 6000 पत्र कभी किसी को नहीं पहुंचाए

ओडिशा के एक गांव के पोस्टऑफिस में 6000 लेटर मिले जिनमें से ज्यादातर लेटर खराब हो चुके हैं, इनमें से कुछ 2004 के हैं

FP Staff

चिट्ठियों का हमारे जीवन से गहरा नाता है. कुछ साल पहले तक गांवों में डाकिए का इंतजार हमेशा रहता था. डाकिए से लोगों के रिश्ते को दिखाते हुए फिल्म 'पलकों की छांव में' का गाना डाकिया डाक लाया फिल्माया गया है. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कोई डाकिया ऐसा हो जिसने लोगों का लेटर ही ना पहुंचाया हो. कई बार ऐसा आपके साथ ही हुआ होगा कि राखी भेजी हो या लव लेटर लेकिन वह अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाया हो. शायद आपका लेटर भी किसी ऐसे ही डाकिए के हाथ लग गया जिसने अपनी सुस्ती की वजह से आपका लेटर नहीं पहुंचा पाया हो.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, ओडिशा के ओधांगा गांव के एक पोस्टमास्टर को मंगलवार को सस्पेंड कर दिया गया. उस गांव के कुछ लोगों ने 6000 लेटर को लेकर शिकायत की थी. गांव के पोस्टऑफिस में करीब 6000 लेटर पड़े थे. उनमें से कुछ 2004 के थे.


एक दिन गांव के कुछ बच्चे खेलते-खेलते पोस्टऑफिस में घुस गए. भीतर उन्हें लेटर का जखीरा मिल गया. कुल 6000 लेटर में से 1500 लेटर को सुरक्षित निकाला गया है. बाकी लेटर बारिश के पानी की वजह से खराब हो गए थे. यहां के पोस्टमास्टर जगनाथ पुहान ने अपनी गलती मान ली है. उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया गया है. अधिकारी ने कहा कि सुस्त पोस्टमैन का जोर रजिस्टर्ड मेल और स्पीड पोस्ट पहुंचाने पर रहता था. सामान्य चिट्ठियों को वे अपने स्टोर रूम में रख देते थे.