view all

भारत और इजरायल के बीच MRSAM मिसाइल समझौते को जानिए

इजरायल का आईएआई भारत को जमीन से हवा में मार करने वाला एमआरएसएएम और एलआरएसएएम डिफेंस सिस्टम से लैस करेगा

FP Staff

इस साल अप्रैल महीने में भारत ने इजरायल के साथ लगभग दो अरब डॉलर का डिफेंस डील किया है. इस मिसाइल समझौते के तहत इजरायल भारत को डिफेंस सिस्टम देगा. इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) भारत को मीडियम रेंज का एडवांस्ड जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम (एमआरएसएएम) देगा.

एमआरएसएएम सुरक्षा प्रणाली के जरिए दुश्मनों के एयरक्राफ्ट, मिसाइल और ड्रोन विमानों को जमीन से हवा में 70 किलोमीटर के दायरे में मार गिराया जा सकता है.


इसके अलावा इजरायल भारत द्वारा बनाए पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए लॉन्ग रेंज मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी मुहैया कराएगा (एलआरएसएएम).

आईएआई ने बयान जारी कर कहा कि इजरायल के डिफेंस डील के इतिहास में यह अकेला सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट है. बयान में कहा गया कि इस डील से पता चलता है कि भारत सरकार को हमारी काबिलियत पर भरोसा है. इस तकनीक को हम अपने पार्टनर्स के साथ 'मेक इन इंडिया' पॉलिसी के साथ बना रहे हैं.

इजरायल की आईएआई ने यह तकनीक डीआरडीओ के साथ मिलकर साझा तौर पर डेवलप की है. इस प्रोजेक्ट में कुछ और भारतीय कंपनियों मसलन लार्सन एंड टूब्रो ने भी सहयोग किया है.

इजरायल भारत के तीन सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक है

इजरायल भारत के तीन सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक है. पिछले दस साल में 10 अरब डॉलर की डील हासिल करने के अलावा इजरायल ने आखिर के दो साल में हथियारों के सात डील भारत से हासिल किए हैं.

इसके अलावा कई दूसरी बड़ी डील भी बातचीत के दौर में हैं. इनमें दो इजरायल निर्मित फाल्कन एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (एडब्लूएसीएस) भी शामिल हैं, जिन्हें रूस में बने आईएल-76 मिलिट्री एयरक्राफ्ट पर लगाया जाना है.

चारों एरोस्टेट राडार और कुछ हमलावर ड्रोन भी खरीदे जाने हैं. भारतीय सेनाओं के पास इजरायल में बने 100 ड्रोन विमान पहले से ही हैं

क्या है बराक-8 ?

बराक 8 सिस्टम एक खास तकनीक एमएफ-स्टार (मल्टी फंक्शन सर्विलांस एंड थ्रेट अलर्ट राडार) से लैस है. इसमें डाटा लिंक वाला वेपन सिस्टम है, जो हवा में अधिकतम 100 किलोमीटर की रेंज तक दुश्मनों को भांपकर उसे 70 किलोमीटर के दायरे में तबाह कर देता है.

जानकार मानते हैं कि यह सिस्टम भारत की हवाई सुरक्षा की खामियों को भरने में अहम भूमिका निभा सकता है.