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JNU अनिवार्य उपस्थिति मामलाः 98 प्रतिशत छात्रों ने कहा 'NO'

गुरूवार को इसका परिणाम जारी किया गया. परिणाम के मुताबिक 4338 छात्रों ने इस नियम के खिलाफ मतदान किया

FP Staff

जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी में अनिवार्य उपस्थिति को लेकर प्रशासन और छात्रों के बीच खींचातानी जारी है. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तीन फरवरी को जारी किए एक परिपत्र में कहा कि स्कॉलरशिप, फेलोशिप और अन्य सुविधाएं हासिल करने के लिए 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य है.

छात्र लगातार इसका विरोध कर रहे हैं. इस कड़ी में बुधवार को मतदान हुआ. जहां 98 प्रतिशत छात्रों ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने इसके खिलाफ मतदान किया. जानकारी के मुताबिक इस गुप्त मतदान प्रक्रिया में कुल 4450 छात्रों ने हिस्सा लिया.


गुरूवार को इसका परिणाम जारी किया गया. परिणाम के मुताबिक 4338 छात्रों ने इस नियम के खिलाफ मतदान किया. वहीं मात्र 41 यानी 0.92 प्रतिशत छात्र इसके समर्थन में दिखे. कुल 27 वोट अमान्य करार दिए गए.

दिल्ली में अन्य यूनिवर्सिटी और संस्थानों में भी स्नातकोत्तर स्तर तक अनिवार्य उपस्थिति की व्यवस्था है, लेकिन एमफिल और पीएचडी छात्रों के लिए इस नियम में ढील है.

100 फीसदी तक बढ़ा दी गई है मेस फीस 

दिल्ली यूनिवर्सिटी या इससे संबंद्ध कॉलजों में स्नातक स्तर तक छात्रों के लिए सेमेस्टर परीक्षा में बैठने के लिए न्यूनतम 66 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य है. हालांकि, यह नियम सिर्फ स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों पर लागू होता है और शोधार्थियों पर यह नहीं लागू होता है.

वहीं जेएनयू में मेस की फीस में 100 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है. ब्रेकफास्ट पहले 25 रुपए का था, इसे बढ़ाकर 40 का कर दिया गया है. मेस सिक्योरिटी फीस 2,700 रुपए थी, अब 4,500 रुपए हो गई है.

इसी तरह से रीएडमीशन फीस 20 रुपए से 100 रुपए कर दी गई है. दूसरे हॉस्टल में विज़िटिंग ऑवर के बाद मिलने पर 1,000 का फाइन है, हॉस्टल में शराब पीने पर 2,000 तक का फाइन है.