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87% पाकिस्तानी जमीन भारत की नजर में, एयर स्ट्राइक के लिए ISRO ने दी थीं तस्वीरें

इसरो के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि भारत अपने पड़ोसी 14 देशों की ज़मीनों पर नज़र रखने की स्थिति में है

FP Staff

भारतीय सेना आसमानी जंग में पाकिस्तान से आगे है ही, इसके साथ ही अंतरिक्ष की जंग में भी आगे है और युद्ध के हालात में निश्चित तौर पर इसका फायदा भारत को मिल सकता है. पहले की ही तरह हाल में हुए बालाकोट हमले में भी भारत को अंतरिक्ष में स्थित अपने उपग्रहों के ज़रिये बड़ी मदद मिली.

इसी साल जनवरी में आई खबरों के मुताबिक यह तय किया गया था कि गृह मंत्रालय के लिए इसरो एक खास उपग्रह लॉंच करने वाला है, जिसके ज़रिये भारत के पड़ोसी देशों की ज़मीन और सीमाओं की निगरानी सुनिश्चित की जा सकेगी. इस उपग्रह के माध्यम से ज़मीनी ढांचों, रास्तों और हर तरह के इन्फ्रास्ट्रक्चर की तस्वीरें मिलने की बात कही गई है. इस उपग्रह के बाद भारत के पास रणनीति, युद्धनीति और निगरानी के लिए पूरा रोडमैप तैयार करने में साफ तौर पर बड़ी मदद होगी.


अंतरिक्ष में भारत का जितना दबदबा अभी है, उसके जरिए फिलहाल भारत सीमाओं या पड़ोसी देशों की ज़मीन पर पूरी निगरानी रख पाने में ज़रूर सक्षम नहीं है लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान के तीन चौथाई से ज़्यादा लैंड एरिया पर भारत सर्विलांस करने की स्थिति में है.

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक पिछले दिनों पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश ए मोहम्मद के ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक में भी इसरो के उपग्रहों की मदद से योजना तैयार की गई थी. इसरो के उपग्रहों की मदद से पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल 8.8 लाख वर्ग किलोमीटर में से 7.7 लाख वर्ग किलोमीटर पर भारत नज़र रखने की स्थिति में है यानी 87 फीसदी पाकिस्तानी ज़मीन भारत की निगरानी में है.

टीओआई की एक रिपोर्ट में इसरो के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि भारत अपने पड़ोसी 14 देशों की ज़मीनों पर नज़र रखने की स्थिति में है. अपने उपग्रहों की मदद से 14 देशों के करीब 55 लाख वर्ग किलोमीटर के एरिया की हाई रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें भारत को मिल रही हैं. लेकिन, चीन की ज़मीन के बारे में अब भी भारत के पास खास डिटेल्स नहीं हैं.

सेना के लिए इसरो की ये महत्वपूर्ण मदद कार्टोसेट उपग्रहों में शामिल जीसैट-7, जीसैट-7ए सहित माइक्रोसैट, रीसैट और हाइपर स्पैक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट जैसे उपग्रहों के ज़रिये मुहैया हो पा रही है. भारतीय वायु सेना पहले भी कह चुकी है कि उसे और उपग्रहों की दरकार है लेकिन साथ ही यह भी मान चुकी है कि एयरफोर्स के साथ ही भारतीय सेनाओं के 70 फीसदी से ज़्यादा ज़रूरत की पूर्ति वर्तमान उपग्रहों से हो रही है.

वहीं, चीन की मदद से पाकिस्तान अपने उपग्रहों को लॉंच करता रहा है. पिछले साल आई खबरों के मुताबिक चीन के ज़रिए पाकिस्तान ने दो जासूसी उपग्रह लॉंच किए थे जिनके ज़रिये वह भारत की ज़मीन पर नज़र रखने की कोशिश में है. लैंड सर्वे, मॉनीटरिंग के लिहाज़ से पाकिस्तान ने रिमोट सेंसिंग उपग्रह लॉंच करवाए थे लेकिन इसके बावजूद भारत की तुलना में पाकिस्तान अंतरिक्ष में काफी पीछे है और उपग्रहों की जितनी मदद भारतीय सेना के पास है, उतनी पाकिस्तान के पास नहीं.

गौरतलब है कि सितंबर 2016 में एलओसी पर भारत ने जिस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था, उसकी रणनीति बनाने के लिए भी इसरो ने ही अच्छी क्वालिटी की तस्वीरें खास तौर से भारतीय आर्मी को मुहैया करवाई थीं. इसके बाद से ही इसरो भारतीय सेना के लिए लगातार हालात बेहतर कर रहा है. 2017 में इसरो ने कार्टोसेट 2ई सीरीज़ के उपग्रह लॉंच किए थे और 2018 में भी सैटेलाइट्स लॉन्च की गई थीं. इस साल भी खास उपग्रह लॉंच किए जाने वाले हैं.

(साभार: न्यूज़18)