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एक पेड़ काटने पर 57 हजार जुर्माना देगा NHAI

इस राशि से वन विभाग यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के पास डीडीए द्वारा आवंटित 19 हेक्टेयर जमीन पर लगभग 20 हजार पौधे लगाएगा.

Bhasha

NHAI दिल्ली में एक सड़क को बनाने की राह में आने वाले पेड़ों को काटने के एवज में दस गुना पेड़ लगाने के लिए प्रति पेड़ 57 हजार रुपए हर्जाना देगा. इस अनूठी पहल में पेड़ काटने, नए पेड़ लगाने और काटे गए पेड़ों की लकड़ी के इस्तेमाल से जुड़ी अन्य सभी शर्तों का समयबद्ध पालन सुनिश्चित किया जाएगा.

इसके तहत NHAI ने दिल्ली में सिंधु बॉर्डर से मुकरबा चौक तक सड़क को चौड़ा करने के काम में लगभग 2,000 पेड़ काटे जाने के एवज में दिल्ली सरकार द्वारा पर्यावरण क्षतिपूर्ति करार दिया है. इसमें दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग ने NHAI को पेड़ काटने की सशर्त मंजूरी देने के लिए अधिसूचना जारी कर इसमें पर्यावरण क्षतिपूर्ति की समयबद्ध कार्ययोजना को भी शामिल किया है.


पर्यावरण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मौजूदा व्यवस्था में विकास कार्यों से जुड़ी एजेंसी काटे गए पेड़ों के एवज में दस गुना पेड़ खुद लगाती है. लेकिन पर्यावरण विभाग ने सम्बद्ध एजेंसी के पास वृक्षारोपण की विशेषज्ञता नहीं होने के कारण लगाए गए पेड़ों के बचे रहने की नीची दर को देखते हुए यह प्रक्रियागत बदलाव किया है. भविष्य में अब विकास कार्यों के लिए पेड़ काटने के एवज में दस गुना पेड़ लगाने का काम संबद्ध एजेंसी पर छोड़ने के बजाय विभाग स्वयं यह काम करेगा.

19 हेक्टेयर जमीन पर 20 हजार पौधे लगेंगे

दिल्ली के पर्यावरण सचिव केशव चंद्र द्वारा पिछले हफ्ते जारी अधिसूचना में NHAI को मुकरबा चौक से दिल्ली बॉर्डर तक 12.9 किमी लंबी सड़क को चौड़ा करने के लिए कुल 1952 पेड़ काटने की मंजूरी दी गई है. इसके एवज में पर्यावरण विभाग सात साल में 19520 पेड़ लगाएगा. NHAI पर्यावरण विभाग को पौधारोपण से लेकर सात साल तक पौधों के रखरखाव के लिए प्रति पेड़ 5700 रुपए के हिसाब से 11 करोड़ 12 लाख 64 हजार रुपए का अग्रिम भुगतान करेगा.

इस राशि से वन विभाग यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के पास डीडीए द्वारा आवंटित 19 हेक्टेयर जमीन पर लगभग 20 हजार पौधे लगाएगा.

पेड़ काटने से लेकर नए पेड़ लगाने तक के काम की निगरानी के लिए वन विभाग के क्षेत्रीय वृक्ष अधिकारी को बतौर नोडल अफसर तैनात किया गया है. अधिसूचना की शर्तों के मुताबिक NHAI द्वारा काटे गए पेड़ों की इमारती लकड़ी बेच कर जो राशि मिलेगी वह पर्यावरण राजस्व के रूप में दिल्ली सरकार के खजाने में जमा होगी. इस राशि का इस्तेमाल प्रदूषण निवारण कार्यों में होगा.

इतना ही नहीं काटे गए पेड़ों की ऊपरी शाखाओं से मिलने वाली जलाऊ लकड़ी दिल्ली नगर निगम के माध्यम से शमशान घाटों में शवदाह के लिए मुफ्त में दे दी जाएगी.