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IIT छात्रों ने दी धारा 377 को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

याचिका दाखिल करने वाले आईआईटी के इन 20 पूर्व और वर्तमान छात्रों में विभिन्न आयु वर्ग के वैज्ञानिक, शिक्षक, उद्यमी और शोधार्थी शामिल हैं

Bhasha

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के 20 पूर्व और वर्तमान छात्रों ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस धारा के अंतर्गत दो समलैंगिक वयस्कों का परस्पर सहमति से अप्राकृतिक यौनाचार अपराध है.

याचिका दाखिल करने वाले आईआईटी के इन 20 पूर्व और वर्तमान छात्रों में विभिन्न आयु वर्ग के वैज्ञानिक, शिक्षक, उद्यमी और शोधार्थी शामिल हैं. उनका दावा है कि यौन रूचि को अपराध की श्रेणी में रखने का नतीजा शर्म की भावना, आत्म ऊर्जा की हानि और कलंक के रूप में देखने को मिला है.


यह याचिका भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष ही आने की संभावना है जो पहले ही इस मामले को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेज चुकी है.

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) नाज फाउण्डेशन और अनेक प्रमुख नागरिकों ने शीर्ष अदालत के 2013 के फैसले को चुनौती दे रखी है जिसमें सहमति से दो व्यस्कों के बीच समलैंगिक यौनाचार को अपराध की श्रेणी में शामिल कर दिया था. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं को बड़े पीठ के पास भेजते हुए विधि एवं न्याय मंत्रालय, गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय से जवाब मांगा था.