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भोपाल गैस त्रासदीः 33 साल बाद भी नहीं हो पा रही है पीड़ित परिवारों में शादी

लोगों को यह डर है कि अगर उन्होंने इस त्रासदी से पीड़ित लोगों के घर में शादी करेंगे तो इस शादी से पैदा होने वाले बच्चे किसी घातक रोग से पीड़ित पैदा होंगे

FP Staff

रामस्वरूप साहू (46) बहुत मुश्किल से चल पाते हैं. 1984 के भोपाल गैस कांड में उन्होंने अपना आधा परिवार खो दिया था. आज इस घटना के 33 साल हो जाने के बाद भी यह त्रासदी उन्हें दुख दे रही है. भोपाल गैस पीड़ित होने की वजह से उनके छोटे भाई मुकेश (35) की शादी नहीं हो पा रही है.

यह सिर्फ साहू परिवार के साथ ही नहीं है, बल्कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के आसपास जो भी प्रभावित कॉलनियां हैं, उन सब की यही कहानी है. कोई भी बाहरी व्यक्ति इन कॉलनियों के कुवांरों या कुवांरियों से शादी नहीं कर रहा है. इस वजह से ऐसे कई लोग शादी की उम्र हो जाने के बावजूद अकेले जीने को अभिशप्त हैं. अगर घर में कोई भी गैस कांड की वजह से बीमारी का शिकार है तो उस घर में किसी की शादी होने में काफी मुश्किल आ रही है.


बीमार नस्ल पैदा होने का डर

2 और 3 दिसंबर की रात को यूनियन कार्बाइड के कारखाने से घातक मिथाइल आइसोसाइनाइड गैस लीक हो गई थी. इसकी वजह से गैर आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार करीब 8,000 लोग मारे गए और करीब 550,000 लोग इस गैस की वजह से प्रभावित हुए.

इस त्रासदी के बाद इस गैस से प्रभावित लोगों के जो बच्चे पैदा हुए हैं वे तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित हैं. लोगों को यह डर है कि अगर उन्होंने इस त्रासदी से पीड़ित लोगों के घर में शादी करेंगे तो इस शादी से पैदा होने वाले बच्चे किसी  घातक रोग से पीड़ित पैदा होंगे.

इस त्रासदी से पीड़ित और अब गैस कांड से पीड़ित बच्चों के लिए चिंगारी ट्रस्ट को चला रही चंपा देवी ने न्यूज 18 को बताया कि प्रभावित परिवार के कई शादीशुदा लड़कियों को उनके ससुराल वालों ने निकाल दिया है.