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जान पर खेलकर 2 परिवारों को बचाया 18 साल के मकबूल ने

FP Staff

पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रही गोलीबारी के बीच लोग राहत शिविरों की तरफ पलायन कर रहे हैं. 18 साल का मकबूल और उसके चार भाई-बहन भी एक राहत शिविरों में रुके हैं. मकबूल परेशान है क्योंकि उसका गांव सिलिकोट सीमा से सिर्फ 10 किलोमीटर दूर है और वहां फंसे उसके माता-पिता की जान पर खतरा बढ़ता जा रहा है.

लगभग 11 बजे मकबूल की मां का फोन आया और उन्होंने रोते हुए मकबूल से कहा कि "पाकिस्तान ने गंभीर गोलीबारी की चेतावनी दे दी है अब हमें यहां से बाहर निकलना है". परेशान मकबूल दौड़ते हुए सरकारी ऑफिसर के पास गया और अपने माता-पिता को बचाने के लिए एंबुलेंस की मांग की है, मकबूल ने यहां तक कहा कि "अगर एंबुलेंस का ड्राइवर जाने को तैयार नहीं होता तो वह खुद एंबुलेंस चलाकर ले जाएगा और अपने माता-पिता को वहां से बाहर निकालेगा."


एंबुलेंस मिलते ही मकबूल 40 वर्षीय एंबुलेंस ड्राइवर मो. अशरफ गनी के साथ अपने माता-पिता को बचाने के लिए रवाना हो गया. चारों तरफ से गोलियां बरस रही थी, सीमेंट की पक्की सड़कों को भेदती हुई गोलियां एंबुलेंस पर भी टकरा रही थीं, लेकिन मकबूल और अशरफ ने एंबुलेंस नहीं रोकी. उंचे-नीचे पहाड़ों से होती हुई आधे घंटे की ड्राइव के बाद बालकोट इलाके में एक रिटायर्ड आर्मी सैनिक ने एंबुलेंस को आगे जाने से मना किया. उन्होंने कहा कि आगे खतरा अधिक है लेकिन मकबूल नहीं रुका और बालकोट से सिर्फ एक किलोमीटर दूर अपने गांव सिलिकोट की तरफ एंबुलेंस को मोड़ लिया.

आखिरकार मकबूल को उसके माता-पिता मिल गए और उसने उन्हें सुरक्षित एंबुलेंस में बैठाया. मकबूल अपने माता-पिता के साथ-साथ दो और परिवारों को बचाने में कामयाब हुआ.