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तमिलनाडु: कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर कांग्रेस और डीएमके विधायक दे सकते हैं इस्तीफा

सोमवार को दिनकरन खेमे के 18 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने दल-बदल कानून के तहत अयोग्य करार दे दिया

FP Staff

सोमवार को टीटीवी दिनकरन के साथ वाले 18 विधायकों को संविधान की 10वीं सूची में दल-बदल कानून के तहत विधानसभा अध्यक्ष पी. धनपाल द्वारा अयोग्य करार दिए जाने के बाद तमिलनाडु के राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है. इस मामले की सुनवाई मद्रास हाईकोर्ट में बुधवार 20 सितंबर को है.

सूत्रों के अनुसार अगर इस मामले में न्यायालय से राहत नहीं मिलती है तो विपक्षी डीएमके और कांग्रेस के विधायक एक साथ मिलकर त्यागपत्र दे सकते हैं ताकि राज्यपाल पर दबाव बनाया जा सके.


कितनी सीटें बची

तमिलनाडु में विधानसभा की कुल 234 सीटें हैं लेकिन जयललिता, करुणानिधि और विधानसभा अध्यक्ष को निकालने के बाद ये 231 सीटें बचती हैं.

अगर अयोग्यता के आधार पर इन 18 विधायकों को भी निकाल दिया जाएगा तो ये संख्या घटकर 213 रह जाएगी इस स्थिति में मौजूदा ईपीएस-ओपीएस सरकार को सिर्फ 106 वोटों की जरुरत रह जाएगी. इस वक्त ईपीएस-ओपीएस गुट के पास 114 विधायक हैं जो कि सरकार बनाने के लिए जरूरी विधायकों की संख्या से काफी अधिक है,

क्या है पूरा प्रकरण

अगस्त में एआईएडीएमके के ओ. पनीरसेलवम ने कुछ विधायकों के साथ मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के साथ हाथ मिला लिया था. उस समय टीटीवी दिनाकरन ने इसका विरोध किया और सरकार से अपना समर्थन खींच लिया. इस आधार पर सोमवार को दिनाकरन खेमे के 18 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने दल-बदल कानून के तहत अयोग्य करार दे दिया.

टीटीवी दिनकरन कैंप के विधायकों ने अयोग्य करार दिए जाने के बाद मद्रास हाई कोर्ट का जाने का फैसला लिया है. दिनकरन ने ये भी कहा कि उनके विधायकों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ राज्यपाल से शिकायत की थी. अगर राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने समय रहते कार्यवाही की होती तो इसकी नौबत ही नहीं आती पर उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने जानबूझकर इसमें देरी की क्योंकि उन्हें पता था कि सरकार के पास जरूरी 117 विधायकों का समर्थन नहीं है.

डीएमके पार्टी के एम.के.स्टालिन ने भी फ्लोर टेस्ट की मांग रखी है. उन्होंने कहा कि अगर गवर्नर एक हफ्ते में फ्लोर टेस्ट करवाने के विधानसभा की बैठक नहीं बुलाते हैं तो वे कोर्ट जाएंगे.

राज्यपाल ने की राजनाथ सिंह से मुलाकात

राज्यपाल सी.विद्यासागर राव ने मंगलवार सुबह 11 बजे गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की.

अयोग्य ठहराए गए विधायकों ने राज्यपाल से मुख्यमंत्री पलानीस्वामी सरकार के विरुद्ध अविश्वास जताया था. बता दें कि सी. विद्यासागर राव इस महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और उनके पास तमिलनाडु का अतिरिक्त प्रभार है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने भी तमिलनाडु सरकार और विधानसभा अध्यक्ष की कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने कहा कि इस तरह का काम करके भी डूबते हुए जहाज को बचाया नहीं जा सकता.

(साभार: न्यूज 18 हिंदी)