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13 फरवरी: 87 साल पहले आज ही राजधानी बनी थी दिल्ली

दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा जॉर्ज पंचम ने 11 दिसंबर 1911 को हुए दिल्ली दरबार में की थी.

Ankita Virmani

13 फरवरी शायद हमारे और आपके लिए केवल वैलेंटाइन वीक का एक खास दिन हो सकता है लेकिन हम आपको बता दें इस तारीख से कुछ बहुत खास जुड़ा है... 87 साल पहले राजधानी दिल्ली के सफर की शुरूआत इसी तारीख से हुई थी.

यूं तो दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा जॉर्ज पंचम ने 11 दिसंबर 1911 को हुए दिल्ली दरबार में की थी, लेकिन दिल्ली का राजधानी के रूप में सफर 13 फरवरी 1931 को शुरू हुआ था.


1911 में कलकत्ता (अब कोलकाता) से बदलकर दिल्ली को ब्रिटिश भारत की राजधानी बनाया गया था. इस घोषणा ने देश को चकित कर दिया था. हालांकि कहीं न कहीं इस फैसले का अंदाजा पहले से था.

अगस्त 1911 में उस समय के वॉयसरॉय लॉर्ड हार्डिंग द्वारा लंडन भेजे गए एक खत में भी कलकत्ता की जगह दिल्ली को राजधानी बनाने की जरूरत पर और जोर दिया गया था. ब्रिटिश भारत में आज के दिन साल 1931 में उस समय के वायसरॉय और गर्वनर जनरल लॉर्ड इरविन ने दिल्ली का राजधानी के रूप में विधिवत उद्घाटन किया था.

ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और सर हर्बट बेकर को दिल्ली डिजाइन करने का जिम्मा सौंपा गया था. हालांकि लॉर्ड हार्डिंग ने चार साल के अंदर दिल्ली के राजधानी के रूप में पूरे होने के सपने देखे थे लेकिन शायद उनके इस सपने पर पहले वर्ल्ड वार ने अड़ंगा डाल दिया. वहीं बंगाल बंटवारे का फैसला लेने वाले लॉर्ड कर्जन इस फैसले से खुश नहीं थे.

लुटियन और बेकर ने दिल्ली शहर को डिजाइन करने के लिए शाहजहानाबाद के नाम से जाने जाने वाले इस शहर के दक्षिणी मैदानों को चुना.

कलकत्ता की जगह दिल्ली को राजधानी बनाने के पीछे दो खास वजह थी. पहली ये कि ब्रिटिश सरकार से पहले कई बड़े साम्राज्यों ने दिल्ली से शासन चलाया था, जिसमें आखिरी थे मुगल और दूसरी दिल्ली की उत्तर भारत में भौगोलिक स्थिति. ब्रिटिश सरकार का ऐसा मानना था कि दिल्ली से देश पर शासन चलाना ज्यादा आसान होगा.

हालांकि कुछ जानकार ऐसा भी मानते है कि बंगाल बंटवारे के बाद कलकत्ता में हिंसा और उत्पात में हुए इजाफे और बंगाल से तूल पकड़ती स्वराज की मांग के मध्यनजर ये फैसला लिया गया था.

आजादी के बाद साल 1956 में दिल्ली को यूनियन टेरिटरी यानी केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था और फिर साल 1991 में 69वें संशोधन से इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया.

दिल्ली के इतिहास की कहानी महाभारत काल के इंद्रप्रस्थ से शुरू होकर 12वीं सदीं में दिल्ली सल्तनत से होकर यहां तक पहुंची है. सल्तनतें बदलीं, साम्राज्य बदले, शासक बदले, सरकारें बदलीं पर इतिहास के सबसे अहम शहरों में से एक दिल्ली आज भी अपनी दास्तान लिख रही है.