view all

Exclusive : अन्नू कपूर की फिल्म ‘मुआवजा-जमीन का पैसा’ के लेखक ने जीती हक की जंग

राइटर अतुल गंगवार ने आखिर 'मुआवजा-जमीन का पैसा' के मेकर्स के खिलाफ अपने हक की लड़ाई जीत ली है

Rajni Ashish

आजकल फिल्म न्यूटन की कहानी के ईरानी फिल्म सीक्रेट बैलट से कॉपी किये जाने की खबर ने जोर पकड़ा हुआ है. वैसे ये कहानी कॉपी हों ना हो लेकिन बॉलीवुड में शुरुआत से ही कई बड़ी फिल्मों की कहानी के चोरी किये जाने या किसी कहानी को कॉपी करने का इल्जाम लगता आया है. लेकिन फिल्म मेकर्स लगता है सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे. उस लेखक का दर्द वो खुद ही समझ सकता है जो अपने सालों के अनुभवों और विचारों को जोड़कर अपने कीमती वक्त को खर्च करते हुए एक कहानी लिखे. फिर ये सपना देखे कि उसकी वो कहानी फिल्म में बदल दी जाएगी लेकिन उसके पहले ही बिना उसकी इजाजत लिए कोई डायरेक्टर-प्रोड्यूसर उसपर फिल्म बना दे, तो उस लेखक के दिल पर क्या गुजरेगी. कई लेखक तो इस पीड़ा में ही टूट जाते हैं, कुछ की आवाज को प्रोड्यूसर्स थोड़े बहुत पैसे का लालच देकर दबा देते हैं. कुछ को इंडस्ट्री के लोगों से पंगा मोल लेने का डर सताने लगता है. लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो मुश्किलों का सामना करते हुए ऐसे फिल्ममेकर्स के अन्याय के खिलाफ जंग लड़ते हैं.

कुछ ऐसा ही हुआ है लेखक-पत्रकार व फिल्मकार अतुल गंगवार के साथ जिन्होंने हार नहीं मानी जब उन्हें पता चला कि उनकी लिखी कहानी पर बिना उनसे इजाजत लिए डायरेक्टर गिरीश जुनेजा ने अन्नू कपूर स्टारर ‘मुआवजा-जमीन का पैसा’ नाम से फिल्म बना डाली है.


अतुल गंगवार ने जीती जंग

अतुल ने पहले बातचीत का सहारा लिया, फिर अपनी एसोसिएशन से मदद मांगी और अंत में वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से भी नहीं चूके. उनके इस सच और साहस की जीत हुई और आखिर अदालत ने आदेश दे दिया है कि 6 अक्टूबर को रिलीज हो रही अन्नू कपूर, अखिलेंद्र मिश्रा, पंकज बेरी जैसे कलाकारों वाली इस फिल्म के नाम के साथ निर्माताओं को ‘अतुल गंगवार की कहानी पर आधारित’ लिखना होगा. अतुल इसे अपनी ही नहीं बल्कि उन तमाम लेखकों-रचनाकारों की जीत बताते हैं जो अपने हक के लिए लड़ते हैं या लड़ना चाहते हैं. आप यहां नीचे कोर्ट का आदेश देख सकते हैं.

अब सही वक्त है लेखक का सम्मान बढ़े : अतुल गंगवार

हमसे एक्सक्लूसिवली बात करते हुए फिल्म राइटर अतुल गंगवार ने अपना दर्द शेयर करते हुए हमसे बताया कि उन्होंने जिस कहानी को अपने सालों की मेहनत से लिख था उसी कहानी पर उन्हें बिना बताये फिल्म बनाये जाने की जब उन्हें खबर मिली तो उनके पैरों से जैसे जमीन खिसक गई. लेकिन फिर वो टूटे नहीं बल्कि अपनी और अपने जैसे कई लेखकों के सम्मान की लड़ाई को आगे ले जाने के लिए कदम उठाने के लिए ठान ली. अब जब अतुल के हक में कोर्ट ने फैसला दे दिया है. ऐसे में अतुल ने हमसे बात करते हुए कहा "किसी फिल्म को बनाने के लिए एक अदद कहानी की जरुरत पड़ती है. फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो किसी का हक मारकर नाम कमाना चाहते हैं. मेरी ये लड़ाई ऐसे लोगों के खिलाफ थी जो मेरे जैसे अनेक लोगों का हक मारकर आज लेखक, निर्देशक बने बैठें हैं. मुझे खुशी इस बात की है कि मैं इस बात को मनवाने में कामयाब रहा कि ये कहानी मेरी है. शायद अब उन लोगों को कुछ शर्म आये जो दूसरे के काम को अपना बताकर सफलता का शार्ट कट अपनाना चाहते हैं. एक बात ओर, जिसके दम यानी कहानी पर फिल्म बनती है, उस लेखक को इंडस्ट्री में वो मकाम हासिल नहीं है जो पैसे वाले प्रोड्यूसर को हासिल है. अब सही वक्त है लेखक का सम्मान बढ़े.