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‘खलनायक’ बन कर नायकों ने जीता दिल 

देखिए उन फिल्मों के विलेन्स की कहानी जिनके आगे हीरो भी बौने साबित हुए

Kumar Sanjay Singh

बॉलीवुड में नायकों की एक लक्ष्मण रेखा है जिससे बाहर निकलते ही सारे हीरो लगभग जीरो साबित होते दिखाई देते हैं. लेकिन विलेन्स के सामने ऐसे कोई बाध्यता नहीं है. इसलिए जब भी नायकों ने अपनी सीमा रेखा से बाहर निकल कर विलेन के रोल में अपना जौहर दिखाया उन्हें नायकों की अपेक्षा ज्यादा सफलता मिली.

संजय दत्त ने 'खलनायक' में शाहरुख खान ने 'डर' में और आमिर खान ने 'धूम-3 और 'फ़ना' में विलेन बन कर अपने नायकों को बौना साबित कर दिया बहरहाल ये परम्परा आज भी कायम है और हीरो विलेन बनकर ज्यादा तालियां बटोर रहे हैं.


राणा दग्गुबती -'बाहुबली ' : 'बाहुबली' में भल्लालदेव के निगेटिव रोल में अभिनेता राणा दग्गुबती बाहुबली बने प्रभास से ज्यादा नहीं तो कम तालियां भी नहीं बटोर रहे. पर्दे पर जब भी भल्लालदेव की एंट्री होती है एक तरह से बाहुबली नजरों से ओझल से हो जाते हैं. इससे पहले राणा कई फिल्मों में बतौर हीरो नजर आ चुके हैं लेकिन जितनी कामयाबी उन्हें इस फिल्म से मिली इससे पहले शायद ही उन्हें नसीब हुई हो. इसी फिल्म में कटप्पा बने सत्यजीत बाहुबली से ज्यादा अहम किरदार बन चुके हैं.

रितेश देशमुख- 'एक विलेन' :  कई फिल्मों में नायक बने रितेश देशमुख की इमेज एक ऐसे एक्टर की बन गयी कि कोई उन्हें एक्टर मानने को तैयार ही नहीं था. उन्हें या तो डबल मीनिंग डायलॉग बोलने वाले हीरो की भूमिका ऑफर होती थी या कॉमेडी करने वाले जोकर की लेकिन जब  फिल्म 'एक विलेन' में सिद्धार्थ मल्होत्रा के सामने उन्होंने विलेन का रोल निभाया तो सिद्धार्थ की हीरोगीरी धरी रह गई और लोगों ने पहली बार माना कि रितेश देशमुख एक्टिंग भी कर सकते हैं.

पूरब कोहली 'नूर' : वीजे, ड्रमर और ट्रेवल गाइड बनाकर पूरब कोहली लाइमलाइट में तो आ गए लेकिन फिल्मों में वो केवल खानापूर्ति ही करते नजर आये. फरहान अख्तर की फिल्म रॉक ऑन-2 में उन्हें लगभग पैरेलल रोल दिया गया था लेकिन वो अपनी ख़ास पहचान नहीं बना पाए. लेकिन हालिया रिलीज 'नूर ' में सोनाक्षी के सामने विलेन बनकर खूब सुर्खियां बटोरी.

वरुण धवन -'बदलापुर' : वरुण धवन ने जब करण जौहर की फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से बॉलीवुड में कदम रखा तो लोगों ने यही माना कि डेविड धवन के बेटे होने के कारण उन्हें फिल्मों में काम करने का मौक़ा मिल गया लेकिन श्रीराम राघवन की फिल्म 'बदलापुर' से उन्होंने अपना दम दिखा दिया. इस फिल्म में उनके ग्रे शेड्स वाले किरदार को खूब वाहवाही मिली. आज उनकी इमेज ऐसे स्टार की है जो स्टार होने के साथ-साथ अच्छा एक्टर भी है.

विकी कौशल -'रमन राघव'  : मसान जैसी फिल्मों से लाइमलाइट में आये विकी कौशल को विलेन बनाने का करिश्मा अनुराग कश्यप ही दिखा सकते थे. एक करप्ट पुलिस ऑफिसर के रोल को विकी कौशल ने इतनी काबिलियत के साथ निभाया कि उनके सामने नवाजुद्दीन सिद्दीकी का कद भी छोटा पड़ गया.

ऋतिक रोशन -धूम 2 : धूम-2  में जब ऋतिक रोशन निगेटिव किरदार में नज़र आये तो जैसे फिल्म के सारे कलाकार फीके पड़ गए. नायक की भूमिका निभा रहे अभिषेक बच्चन को तो शायद ही कभी हीरो बनने का इतना अफसोस हुआ हो. उन्हें बाकायदा मीडिया में बयान जारी कर कहना पड़ा कि ये फिल्म जितनी ऋतिक रोशन की है उतनी ही उनकी भी है.

संजय दत्त 'अग्निपथ' : अग्निपथ के रीमेक में कांचा चीना के निगेटिव रोल ने संजय दत्त के लड़खड़ाते करियर को नया जीवन दे दिया.  इस किरदार को गब्बर, मोगैम्बो और शाकाल के टक्कर का विलेन माना जाता है.

अभिनेत्रियां भी पीछे नहीं 

ये तो थी नायकों की बात.  नायिकाओं ने भी निगेटिव किरदारों में खूब धूम मचाया.  काजोल जब तक फिल्मों में हीरोइन बन कर आती रही नाकामयाब रही लेकिन राजीव रॉय की फिल्म 'ग़ुप्त' ने उन्हें बतौर एक्ट्रेस स्टेब्लिश कर दिया. इसी तरह करिश्मा कपूर ने 'जुबैदा, और फ़िज़ा' के निगेटिव रोल्स में खूब तालियां बटोरी.

अनिल कपूर की फिल्म 'अरमान' में प्रीती ज़िंटा ने निगेटिव किरदार निभा कर सबको चौंका दिया. उनकी इमेज एक बबली गर्ल की रही है. ऐश्वर्या रॉय ने राजकुमार संतोषी की फिल्म 'खाकी' के निगेटिव रोल के जरिए खूब तालियां बटोरी. विद्या बालन ने 'इश्किया' और तब्बू ने हालिया रिलीज 'फितूर' निगेटिव किरदार बखूबी  निभाया.

दरसअल शुरुआत से ही माना जाता है कि पॉजिटिव रोल्स की अपेक्षा निगेटिव रोल्स में एक अभिनेता के लिए अपनी स्किल दिखाने के ज्यादा अवसर मौजूद होते हैं. इन उदाहरणों से तो ये बात सही ही साबित होती है.