लंबी बीमारी से जूझ रहीं एक्ट्रेस शम्मी ने आखिरकार आज दुनिया को अलविदा कह दिया. इस दुखद समय में बॉलीवुड के तमाम बड़े-छोटे कलाकार उन्हें याद करके अपनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं. भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में शम्मी का काफी योगदान रहा है. आइए आपको बताते हैं कि कैसा था शम्मी का ये सफर.
3 साल की उम्र में शम्मी के सिर से उठा पिता का साया
शम्मी का जन्म मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था. तब उनका नाम नर्गिस राबड़ी रखा गया था. वो महज तीन साल की थीं जब उनके पिता चल बसे. इसके बाद अपने परिवार का गुजारा करने के लिए उन्होंने पारसी समाज के काय्रक्रमों में अपनी मां के साथ खाना बनाना शुरू कर दिया. शम्मी की एक बड़ी बहन भी थी जिनका नाम नीना राबड़ी था. पेशे से वो एक फैशन डिज़ाइनर थीं. शम्मी ने 30 साल की उम्र में फिल्मकार सुलतान अहमद से शादी की लेकिन सात साल बाद इन्होंने एक दूसरे से तलाक ले लिया.
18 साल की उम्र में शम्मी ने साइन की पहली फिल्म
शम्मी तब 18 साल की थी जब उन्हें फिल्मों में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ. 1949 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘उस्ताद पेद्रो’ साइन की. एक्टर और प्रोड्यूसर शेख मुख्तार की इस फिल्म में वो सेकंड लीड एक्टर के रूप में नजर आईं. इसके बाद बतौर मेन लीड एक्ट्रेस उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘मल्हार’ साइन की. हालांकि उनकी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली लेकिन उन्हें अपने अभिनय के लिए हर तरफ से प्रशंसा मिली.
इंडस्ट्री में शम्मी के नाम से बनाई पहचान
जानकारी के मुताबिक, उस समय बॉलीवुड में पहले ही एक नर्गिस मौजद थीं. ऐसे में उन्हें अपना नर्गिस से बदलकर शम्मी रखना पड़ा. इसके बाद से ही ये नाम इंडस्ट्री में उनकी पहचान बन गया. ‘मल्हार’ की शूटिंग के समय नर्गिस से उनकी अच्छी दोस्ती हो गई. दिलीप कुमार और मधुबाला की फिल्म ‘संगदिल’ में शम्मी को कास्ट करने के लिए नर्गिस ने ही उनकी मदद की थी. इसके बाद से शम्मी का फिल्मी करियर परवान चढ़ने लगा.
विविधताओं से भरा था शम्मी का फिल्मी करियर
शम्मी ने बॉलीवुड के कई सारे प्रोजेक्ट्स पर काम किया. वो एक एक्सपेरिमेंटल एक्टर की तरह थीं जिन्होंने न सिर्फ एक लीड एक्टर के रूप में बल्कि कॉमेडी और नेगेटिव रोल में भी अपनी अलग पहचान बनाई. इसके कुछ समय बाद उन्होंने कई सारी फिल्मों में मां का किरदार निभाना शुरू कर दिया.
इनमें ‘खुदा गवाह’, ‘स्वर्ग’, ‘कुली नंबर 1’, और ‘हम साथ साथ है’ जैसी फिल्में शामिल हैं. अपने 60 साल के फिल्मी करियर में उन्होंने कई सारे टीवी शोज में भी काम किया. ‘देख भाई देख’, ‘जबान’, ‘संभल के’, ‘श्रीमान श्रीमती’, ‘कभी ये कभी वो’ और ‘फिल्मी चक्कर’ जैसे शोज जैसे शोज शामिल हैं.
शम्मी आखिरी बार 2013 में फराह खान की फिल्म ‘शिरीन फरहाद की तो निकल पड़ी’ में बोमन ईरानी के दादी के किरदार में नजर आईं थी.