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‘टिकली एंड लक्ष्मी बम’ का धमाका बॉलीवुड को हिला देगा: आदित्य कृपलानी

‘टिकली एंड लक्ष्मी बम’ बॉलीवुड की पहली फिल्म है जो सिर्फ महिला टेक्निशियंस ने बनाई है

Hemant R Sharma

फिल्ममेकर आदित्य कृपलानी एक ऐसी फिल्म लेकर आ रहे हैं जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा धमाका करेगी जिसकी गूंज लंबे वक्त तक सुनाई देगी. फिल्म का नाम है ‘टिकली एंड लक्ष्मी बम’. ये सेक्स वर्कर्स की एक ऐसी कहानी हैं जिसमें औरतों का ये ‘धंधा’ औरतें ही चलाती हैं.

स्टोरी लक्ष्मी माल्वनकर से शुरू होती है जो करीब दो दशक से इस धंधे में है, वो सिस्टम और दलालों से पूरी तहर से लॉयल है. इस धंधे में महिलाओं को लेकर आना उसका ही काम है. लक्ष्मी बहुत कम गुस्सा होती है लेकिन अगर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए वो गुस्सा हो गई तो फिर वो बम की तरह ही फटती है.


दूसरी तरफ 22 साल की बांग्लादेश की ‘पुतुल’ है जो लक्ष्मी से धंधे के बारे में बहुत सवाल करती है. उसे सब कुछ जल्दी-जल्दी पता करना है किसीको कितना हफ्ता मिलता है? इस धंधे में कुछ नियम इतने बुरे क्यों हैं? लेकिन वो छोटा पैकेट बड़े धमाके की तरह है इसलिए उसे टिकली की संज्ञा दी गई है.

टेक्निशियंस के साथ शॉट पर चर्चा करते आदित्य

लक्ष्मी एंड टिकली बम के लेखक आदित्य कृपलानी के उपन्यास पर आधारित है जिसे उन्होंने कुछ वक्त पहले लिखा था. आदित्य की ये बुक लंदन बुक फेस्टिवल और ग्रेट साउथ ईस्ट बुक फेस्टिवल्स में जमकर सराही गई है. इस उपन्यास को मिले शानदार रेसपॉन्स ने आदित्य को इस पर फिल्म बनाने का आइडिया भी दिया. स्टोरी, डायलॉग्स, संगीत, लिरिक्स और निर्देशन आदित्य ने खुद किया है और इस फिल्म को वो अपनी पत्नी श्वेता के साथ मिलकर प्रड्यूस कर रहे हैं. चिंत्रागदा चक्रबॉर्ती और विभावरी देशपांडे ने इस फिल्म में लीड रोल किए हैं. सुचित्रा पिल्लई और उपेन्द्र लिमये की भी मुख्य भूमिकाएं हैं.

इस फिल्म के बारे में बात करते हुए आदित्य बताते हैं कि पूरी फिल्म की शूटिंग मुंबई में रीयल लोकेशन्स पर की गई है. एक महिला प्रधान फिल्म के साथ न्याय तभी हो सकता है जब उसमें महिलाओं की अभिवयक्ति की पूरी आजादी हो. इसलिए उन्होंने इस बात का पूरा ख्याल रखा कि शूट के दौरान जितनी भी टेक्निशियंस हो वो महिलाएं ही हों. फिल्म की असिस्टेंट डायरेक्टर्स, कैमरा पर्सन और एडिटिंग की जिम्मेदारी भी महिलाओं को ही दी गई है ताकि उनकी स्वतंत्र अभिव्यक्ति फिल्म के फाइनल आउटपुट में नजर आए. इतनी डीटेलिंग और सोच के साथ अब बॉलीवुड में भी काम होने लगा है जो महिलाओं के लिए बॉलीवुड में आनेवाले ‘अच्छे दिनों’ का संकेत माना जा सकता है.

ऑटो रिक्शा में लटककर शॉट लेते आदित्य

इस फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली गई है और उनका इरादा इसे इस साल के अंत तक रिलीज करने का भी है. जाहिर है इतनी खूबियों के साथ अगर कोई फिल्म आ रही है तो दर्शक उसे हाथों-हाथ लेंगे.

आदित्य कृपलानी फिल्म इंडस्ट्री के गिने चुने कुछ ऐसे फिल्ममेकर्स में से हैं जो आउट ऑफ द बॉक्स सोच के साथ कुछ अलग करने की चाहत रखते हैं. और इसके लिए उन्हें काफी बार टेढ़े रास्तों पर से चलकर गुजरना होता है. कॉरपोरेट्स में क्रिएटिव हेड्स की हैसियत से काम कर चुके आदित्य ने जब फिल्ममेकिंग के कमर्शियल शॉर्ट कट्स को देखा तो उन्हें लगने लगा कि इससे पैसा जरूर कमाया जा सकता है लेकिन फिल्मों के साथ क्रिएटिव जस्टिस करने के लिए अलग रास्ते पर ही चलना होगा क्योंकि अपने पुराने दो उपन्यासों के साथ वो इस तरह के स्ट्रगल से गुजर चुके थे.

26 साल की उम्र में लिखे उपन्यास ‘बैक सीट’ को जब कुछ पब्लिशर्स ने छापने से इनकार कर दिया तो इसे उन्होंने खुद पब्लिश भी किया और सड़कों और चौराहों पर खुद जा-जाकर लोगों को बेचा भी. जब लोगों ने इसे पढ़ा और इसके बारे में जो कुछ लिखा उसे एक डिस्ट्रीब्यूटर ने पहचाना और ‘बैक सीट’ को दुकानों पर फ्रंट में जगह मिलने लगी.

बैक सीट की कहानी मुंबई में डांस बारों के बंद होने के बाद बार गर्ल्स के संघर्ष की कहानी है. 2009 के हॉलीवुड बुक फेस्टिवल में तीन सौ टाइटल्स के बीच ‘बैक सीट’ ने दसवें नंबर पर आकर अपनी अहमियत जता दी. ‘बैक सीट’ की सफलता ने आदित्य को ‘फ्रंट सीट’ लिखने के लिए प्रेरित किया, जो बैक सीट का ही सीक्वल है.

अपनी लेटेस्ट बुक ‘टिकली और लक्ष्मी बम’ पर तो वो फिल्म ही लेकर आ रहे हैं जिसमें आदित्य के फिल्ममेंकिग और राइटिंग के अलावा सिंगिग टैलेंट भी देखने को मिलेगा. हम इस फिल्म का फर्स्टलुक जल्दी ही आपके लिए लेकर आएंगे.