भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई जंग के बारे में काफी लोगों को काफी कुछ पता है. इन लड़ाइयों को लेकर बॉलीवुड में दर्जनों फ़िल्में बन चुकी हैं लेकिन इस युद्ध के दौरान इंडियन नेवी ने भी एक लड़ाई लड़ी जिसकी गवाही अभी भी समुद्र के गर्भ में ही दबी है. 1971 में समंदर के भीतर की इसी लड़ाई पर आधारित है फिल्म ‘द गाज़ी अटैक’.
दमदार कहानी, अच्छा स्क्रीनप्ले
धर्मा प्रोडक्शन और ए.ए. फिल्म्स के बैनर तले बनी निर्देशक संकल्प रेड्डी की इस फिल्म की कहानी के मुताबिक 17 नवम्बर को भारतीय नौ सेना के हेडक्वार्टर में खबर आती है कि पाकिस्तान की तरफ से समुद्र के रास्ते भारत के आईएनएस विक्रांत पर एक अटैक किया जाने वाला है. नौ सेना हेड वी पी नंदा (ओमपुरी) इस बात की शिनाख्त करने के लिए ऑपरेशन 'सर्च लैंड' का गठन करते हैं, जिसकी जिम्मेदारी एस 21 नामक पनडुब्बी के कप्तान रणविजय सिंह (के के मेनन) और लेफ्टिनेंट कमांडर अर्जुन (राणा डुग्गूबती) के हाथों में संयुक्त रूप से सौंपी जाती है. साथ ही इस दल में देवराज (अतुल कुलकर्णी) भी मौजूद होते हैं.
फिर समुद्र के अंदर शुरू होती है एक दिलचस्प लड़ाई. जहां देशभक्ति अपने जाने-पहचाने रंग में ही है लेकिन इसका अंदाज़ बिल्कुल नया है. पानी के भीतर किस तरह से आईएनएस विक्रांत पाकिस्तान के शक्तिशाली पीएनएस गाज़ी पर अटैक कर उसे नेस्तनाबूद करता है, यही इस फिल्म की कहानी है.
शानदार सिनेमोटोग्राफी
अब तक बनी वॉर फिल्मों में ‘द गाज़ी अटैक’ इस मायने में सबसे अलग है कि यहां युद्ध हथियार से कम दिमाग से ज्यादा लड़ा गया है. पूरी फिल्म पर निर्देशक की जबरदस्त पकड़ दिखाई देती है. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी दर्शकों को लाइव एहसास करवाने में सक्षम है. समुद्र के भीतर पनडुब्बी में तैरती देशभक्ति हिंदी दर्शकों के लिए नई है और यही कौतुहल का सबब भी हो सकती है.
मंझी हुई एक्टिंग
अतुल कुलकर्णी, के के मेनन जैसे उम्दा अभिनेताओं की मौजूदगी इस फिल्म को और भी ज्यादा आकर्षक बनाती है. वहीँ राणा डुग्गूबती और राहुल सिंह का काम भी सराहनीय है. ओम पुरी अपने छोटे से रोल में जमे हैं. तापसी पन्नू की मौजूदगी शायद बॉक्स ऑफिस के दबाव के कारण है लेकिन ये मौजूदगी फीलगुड का एहसास तो करवाती ही है.
ऑरिजिनैलिटी का अहसास करती फिल्म
‘द गाज़ी अटैक’ मौजूदा बॉक्स ऑफिस के फॉर्मूले को फॉलो नहीं करती लेकिन फिर भी ये फिल्म दर्शकों को देशभक्ति का एहसास अब तक बनी फिल्मों के मुकाबले बेहतर तरीके से करवा सकती है. फिल्म को देखने पर एहसास होगा कि ये फिल्म हॉलीवुड की कॉपी नहीं है बल्कि प्रोडक्शन का स्तर अब बॉलीवुड मे भी काफी अच्छा होता जा रहा है.
पब्लिसिटी में खाई मात
धर्मा प्रोडक्शन अपनी फिल्मों की पब्लिसिटी के लिए काफी आगे की एप्रोच रखता है लेकिन इस फिल्म का प्रमोशन उन्होंने उम्मीद से काफी कम किया. व्यूअर्स को इस फिल्म के बारे में ज्यादा पता ही नहीं है. अब वर्ड ऑफ माउथ पब्लिसिटी के इसे जो भी फायदा हो लेकिन प्रमोशन में ये फिल्म मात खा चुकी है.