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मंजिल करीब नजर आने लगी है : अर्फी लांबा

अर्फी लांबा ने स्लमडॉग मिलेनेयर के बाद हॉलीवुड में एक शॉर्ट फिल्म करके अपने लिए नए रास्ते खोल दिए हैं

Sunita Pandey

पंजाब के एक मध्यवर्गीय किसान परिवार में जन्मे अभिनेता अर्फी लांबा के हौसलों की उड़ान तो देखिये. लांबा की शोहरत के सामने अब बॉलीवुड का कैनवास भी छोटा होता दिख रहा है.

लांबा ने अपनी शार्ट फिल्म 'द ईडियट' के जरिए हॉलीवुड में भी सेंध लगा दी. ‘स्लमडॉग मिलेनियर’, ‘फगली' और ‘सिंह इज ब्लिंग’ जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करते हुए अर्फी लांबा का कद इतना लंबा हो गया कि खुद उन्हें भी हैरानी होने लगी है.


खुद को गौरवान्वित महसूस करते अर्फी

उनकी इस शार्ट शार्ट फिल्म 'द ईडियट' को न्यूयॉर्क में होनेवाले 40वें एशियन-अमरीकन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए चुना गया और पिछले 30 जुलाई को इस फेस्टिवल में इसकी स्पेशल स्क्रीनिंग भी की गई.अर्फी के मुताबिक, "ये वाकई खुद को गौरवान्वित महसूस करने का समय था. वो अपने इस खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकते."

जब पिता कहते थे पागल

जाहिर है लांबा की खुशी का ठिकाना नहीं है. उनके मुताबिक, "मेरी खुशी को शिद्दत से महसूस करने के लिए आपको मेरी पृष्ठभूमि में झांकना होगा. पंजाब के मोगा शहर में फिल्मों में काम करने की ख्वाहिश रखना ही अपने आप में बड़ी बात है, लेकिन उनकी ये ख्वाहिश तो अब उड़ान भरने लगी है. अर्फी के पिता उपिंदर लांबा किसान और माता कंवल लांबा हाउस वाइफ हैं. अर्फी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुंबई में जाकर अभिनय क्षेत्र में करिअर बनाएंगे. इस फील्ड में जाने पर अर्फी की मां ने जहां उन्हें पूरा स्पोटर्स किया, पिता अक्सर उसे पागल हो गया कहकर बुलाते थे."

संघर्ष के बाद मिली ‘स्लमडॉग मिलेनियर’

अर्फी ने बताया कि इंजीनियरिंग करने के बाद दिल्ली में बड़ी कंपनी में बतौर इंजीनियर जॉब की. उस दौरान जिम में बॉडी बनाने का जुनून भी सवार था. दोस्तों ने हीरो जैसी छवि देख उत्साहित किया तो इंजीनियर की जॉब छोड़कर सारा सामान उठा मुंबई चला गया. मुंबई में कोई ठोर-ठिकाना नहीं था और न कोई पहचान.

लंबे संघर्ष के बाद कहीं जाकर ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ में अभिनय का मौका मिला. इसके साथ-साथ थियेटर भी शुरू कर दिया. यह फिल्म इतनी चर्चित हुई कि कई फिल्मों के ऑफर आने लगे. इसके बाद फिल्म ‘फगली’ की और कई थियेटर किया. उनके मुताबिक, "फिल्म 'सिंह इस ब्लिंग ' के बाद उनके पास काम आने लगे. अब वो खुद को सुरक्षित समझते हैं.

खुद ही बनाना चाहते हैं अपनी पहचान

क्या लांबा का ये सुरक्षा बोध ही काफी है या इससे आगे भी उनकी कुछ ख्वाहिश है? लांबा के मुताबिक, "मैं ज़िंदगी में मेहनत करना और जोखिम उठाना पसंद करता हूं." बतौर अभिनेता वो कुछ ऐसा करना चाहते हैं ताकि वो अपनी पहचान खुद ही बन जाएं. वो केवल दाल-रोटी जुगाड़ करने वाला अभिनेता बनकर नहीं रहना चाहते, बल्कि एक अभिनेता के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाना चाहते हैं. उनकी ये शार्ट फिल्म 'द इडियट' इन्हीं कोशिशों का नतीजा है.

हर रोल करना चाहते हैं अर्फी

ड्रीम रोल को लेकर अर्फी कहते हैं कि, "वो अपने आपको किसी कैटेगरी में नहीं रखना चाहते हैं. वो हर रोल करना चाहते हैं." अपनी अगली योजना को लेकर अर्फी का कहना है कि बॉलीवुड में उनके पास कुछ अच्छे ऑफर्स है, लेकिन उससे पहले वो अपनी पंजाबी फिल्म पूरी करना चाहते हैं.