फिल्म इंडस्ट्री के 'दबंग' कहलाने वाले सलमान खान में जाने ऐसी क्या बात है कि वह अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड्स के भी लिए आज भी खास दोस्त हैं. चाहे वो संगीता बिजलानी हों या कैटरीना कैफ- सभी सलमान के पास दोस्ती का हाथ फिर आगे बढ़ा देती हैं और सलमान भी उन्हें अपनी छत्रछाया में ले लेते हैं.
सलमान का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि उनकी कोई पुरानी महिला मित्र उनके पास लौट कर आ जाती हैं. इस पर सलमान का कहना है, 'शायद उन्हें समय के साथ ये महसूस हो जाता है कि मैं इतना भी बुरा नहीं था जितना कि उन्हें पहले लगा था.'
सलमान कहते हैं, 'आप सभी को अच्छी जिंदगी की दुआ देते हैं. आप उनकी उपलब्धियों पर खुश होते हैं. आप उन्हें जरूरत पड़ने पर सहायता या साथ देते हैं.'
हाल ही में सलमान और कैटरीना एक प्रेस कॉफ्रैंस में एक अरसे बाद साथ नजर आए थे. यहां कैटरीना ने कहा कि वो सलमान साथ काम करके बहुत खुश है हालांकि सलमान ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा कि वो झूठ बोल रही हैं. फिर भी सलमान ने भी कैटरीना के तारीफों के पुल बांधे.
सलमान इन दिनों अपनी अगली फिल्म ट्यूबलाइट के प्रमोशन में जुटे हुए हैं.
सलमान ने फर्स्टपोस्ट संवाददाता रूना आशीष को बताया कि उनसी ज़िंदगी का ट्यूबलाइट कौन है-
'मैं अपने आप को ट्यूबलाइट बुलाता हूं. जब मैं अपने आप को पिछले साल के मुकाबले देखता हूं तो यही कहता हूं. जैसे-जैसे आप बड़े होते हैं तो पाते हैं कि बचपन कैसा था. आप भोले-भाले थे. कोई गलत बात नहीं सोचते थे. अब 51-52 की उम्र में जब आप दुनिया देख चुके हैं और कई तरह के लोगों से मिल चुके हैं तो ये रोल निभाने में मुश्किल तो होती है. कई बार आप सोचते हैं कि आप रोल तो कर रहे हैं लेकिन ये बचपना कहां से ले कर आऊं. इस रोल ने मुझे वो करने की इजाजत दी है.'
तो ऐसे में आपने कोई खास तैयारी की है.
मैंने अपने बचपन में झांक कर देखा. मैंने और सोहैल दोनों ने अपने बचपन को याद किया. हम बातें कर रहे थे और सोच रहे थे कि कौन-कौन हमारे दोस्त रहे हैं. कई दोस्त और क्लासमेट याद आए. कुछ से हम कॉटैंक्ट भी खो चुके थे. कुछ लोग तो हम बिल्कुल ही भूल गए थे. ऐसे दोस्तों को याद किया और उस समय के अच्छे-बुरे अनुभवों को याद किया. फिर हमारे घर में बच्चों की कमी तो है नहीं. तो बाकी का उनसे सीख लिया. कैसे वो नाक कुरेदते हैं या उनकी पतलून की चेल खुली रह जाती है.
फिल्म की टैगलाइन है- क्या तुम्हें यकीन है. लेकिन कभी आपका यकीन डगमगा जाता है तो क्या करते हैं?
जब भी मेरे साथ ऐसा होता है तो मैं अपने घर का दरवाजा खोलता हूं. अपने वॉचमैन या ड्राइवर को देखता हू या सिक्यॉरिटी वाले को देखता हूं. फिर सोचता हूं कि ये वो लोग है जो दो शिफ्ट्स कर चुके हैं- दिन की पाली और फिर रात की पाली भी कर चुके हैं. ये सोच कर मैं अपने घर में लौट आता हूं. कोई बात नहीं मैं कितनी भी परेशानी में हूं या अवसाद में हूं एक तरफ वो लोग जितना भी कमा रहे हैं. जितना भी खर्चा हो रहा है. उसके बाद भी वो हंस रहे हैं. मजाकिया बातें कर रहे हैं. और मैं हूं जो एक फिल्म ना चलने पर इतना परेशान हो रहा हूं.
आपको लगता है कि आपकी फिल्म है तो बाहुबली के रिकॉर्ड तोड़ेगी
बिल्कुल नहीं. बाहुबली जैसी फिल्में रोजाना नहीं बनती हैं. और इसकी कमाई तो मैं बिल्कुल नहीं कर सकूंगा. दंगल से भी मुकाबला नहीं कर सकूंगा.