सैफ अली खान ने आईफा के मंच पर नेपोटिज्म को लेकर मजाक किया था जिसपर बखेडा खड़ा हो गया. भले ही सैफ ने अपने उस मजाक के लिए कंगना से माफी मांग ली है पर अब वो इस बात से असमंजस में है कि जब वो अपने बेटे तैमूर को बॉलीवुड में लांच करेंगे तो क्या वो नेपोटिज्म नहीं होगा .
मीडिया ने सैफ से जब ये सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वो नेपोटिज्म में विश्वास नहीं रखते हैं. सैफ ने सवाल किया कि आखिर नेपोटिज्म का अर्थ क्या है? क्या अपने परिवार का सहारा लेना नेपोटिज्म है? या फिर क्या नेपोटिज्म स्टार्स के बच्चों को सपोर्ट करना है?
सैफ ने कहा कि किसी भी स्टार के बच्चे को इसका फायदा जरुर मिलता है. सवाल ये है कि क्या ये नेपोटिज्म है या जेनेटिक है? अपने बेटे तैमूर का उदाहरण देते हुए वो बोले कि तैमूर बहुत छोटा बच्चा है लेकिन मीडिया ने उसकी इतनी तस्वीर खींच ली है और उसके बारे में इतनी बात होती है कि लगता है वो अभी से ही स्टार हैं.
सैफ कहते है कि एक पिता होने के नाते उनके लिए ये समझना मुश्किल है कि वो एक साधारण बच्चा है. क्योंकि वो कुछ भी करता है उसकी बात रिपोर्ट की जाती है और हर जगह उसकी फोटो खींची जाती है.
ऐसे में जब वो 18 साल को होगा और कोई भी प्रोडयूसर उसे कास्ट करना चाहेगा तो क्या इसे नेपोटिज्म कहेंगे? पर दूसरी और तैमूर को कास्ट करना उनके लिए इसलिए भी ठीक होगा क्योंकि लोग तैमूर को पहले से जानते हैं.
सैफ के अनुसार ऐसे हालत में ये नेपोटिज्म नहीं बल्की मौके का फायदा उठाना होगा.
सैफ ने कंगना की बात पर अपनी सहमति भी जताई. सैफ ने कहा कि कंगना उनलोगों की बात कर रहीं हैं जो गलत तरीके से इंडस्ट्री पर अपना कंट्रोल रखना चाहते हैं.
अपने फिल्मी करियर के बारे में बात करते हुए सैफ ने कहा कि इंडस्ट्री में उन्हें ब्रेक आसानी से मिल गया था. पर शुरुआत में उनकी सारी फिल्में फ्लॉप हुई थी. सैफ ने कहा कि लोग उन्हें फिल्मी फॅमिली से कहेंगे पर उनकी स्ट्रगल बहुत लम्बी रही है.
जब वो स्टार सन की तरह 90 के दशक में काम कर रहे थे तब यश चोपड़ा उनके साथ नहीं बल्की शाहरुख खान के साथ काम कर रहे थे जो स्टार सन नहीं थे.