घटिया डबल मीनिंग कॉमेडी फिल्में बनाने वाले फिल्ममेकर्स के लिए ये सीख है कि बिना किसी फूहड़ता और अश्लील संवाद के एक साफ सुधरी फिल्म कैसे बनती है. इसलिए सबसे पहले वो जाएं और इसे जरूर देखें, क्योंकि अगर उन्होंने इससे न सीखा तो उनकी दुकानें जल्दी ही बंद होने वाली हैं.
हिंदी सिनेमा के लिए खुशी की खबर ये है कि प्रड्यूसर आनंद एल राय ने छोटे शहरों की स्टोरीज को फोकस करते हुए जो फिल्में बनाना शुरू किया है, फिलहाल उनका ये फॉर्मूला पूरी तरह से हिट है. और उन शहरों में इरैक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्याओं से बिना नाम तक लिए कैसे डील किया जाता है इसी का शानदार उदाहरण है फिल्म शुभ मंगल सावधान.
जेंट्स प्रॉब्लम की स्टीरी
फिल्म की कहानी दिल्ली के रहने वाले मुदित यानी आयुष्मान खुराना और सुंगधा यानी भूमि पेडनेकर की है. दोनों की शादी होने जा रही है लेकिन मुदित को एक दिन पता चलता है कि उसे इरैक्टाइल डिसफंक्शन की प्रॉब्लम है. इसे ठीक करने के लिए वो सुगंधा को कॉन्फिडेंशन में लेकर क्या-क्या पापड़ बेलता है, उसी की कॉमेडी देखकर आपको खूब हंसी आएगी.
सक्सेसफुल सपोर्टिंग कास्ट
फिल्म में जितना रोल आयुष्मान और भूमि का है, उसे बैलेंस करते हुए सपोर्टिंग कास्ट को भी उतना ही अहम रोल दिया गया है जिसे सभी ने बहुत ही उम्दा तरीके से निभाया है.
राइटर-डायरेक्टर की तारीफ
आर एस प्रसन्ना ने इस फिल्म को लिखा भी है और डायरेक्शन भी उन्हीं का है. दोनों को लिए उनको पूरे नंबर दिए जाने चाहिए क्योंकि उन्होंने ऐसे सब्जेक्ट से बिना किसी अश्लीलता के पेश किया है. फिल्म के डायरेक्शन में भी उन्होंने इस बात का ख्याल रखा है कि छोटी-छोटी चीजें मिस न हों. जिसमें वो पूरी तरह से सफल रहे हैं. हितेश केवल्या ये नाम है इस फिल्म के डायलॉग राइटर को उनकी तारीफ इसलिए जरूरी ही है उन्होंने इरैक्टाइल डिसफंक्शन जैसे सबजेक्ट को इतना हल्के फुल्के अंदाज में पेश किया है जिससे आने वाले वक्त में भी लोग इसके के बारे में खुलकर बात करने से झिझकेंगे नहीं.
आयुष्मान-भूमि की अच्छी कैमिस्ट्री
मुदित के कैरेक्टर में आयुष्मान ने अच्छी एक्टिंग की है. चाकलेटी हीरो की छवि से निकलकर छोटे शहर के लड़के के रूप में उनकी पर्सनैलिटी अब सेट होती जा रही है. बरेली की बर्फी के बाद ये लगातार उनकी दूसरी बड़ी हिट होने जा रही है. आयुष्मान को लगातार फिल्मों के ऑफर उनकी इसी अच्छी प्लानिंग का हिस्सा हैं. विक्की डोनर का दिल्ली वाला लड़का अब यहां तक की जर्नी में और भी परिपक्व हो गया है. भूमि पेडनेकर ने तो शुरुआत ही परिपक्व रोल से की थी फिल्म दम लगा के हईशा में भी उनके काम की तारीफ हुई थी, फिर टॉयलेट एक प्रेम कथा और अब ये इस साल उनकी दूसरी हिट फिल्म बनने जा रही है.
दिल्ली के मिडिल क्लास फैमिली की लड़की सुगंधा के रोल में वो पूरी तरह से फिट बैठी हैं. और अब जिस तरह की फिल्में बनने जा रही हैं उससे साफ है कि भूमि के लिए फिलहाल रोल्स की कमी नहीं होती लग रही. उनके पास ऑफर्स की बाढ़ आ सकती है.
म्यूजिक ने किया निराश
मेकर्स ने अगर इसमें संगीत को थोड़ा और अच्छा करके पेश कर दिया होता तो फिल्म में म्यूजिकल हिट बनने की पूरी संभावनाएं थीं. आयुष्मान खुराना के साथ वो एक दो अच्छे रोमांटिक गानों का एक्सपेरिमेंट इसमें और कर देते तो लोग हंसी के साथ-साथ थिएटर्स से गुनगुनाते हुए भी बाहर निकलते.
वरडिक्ट
ज्यादा बखान न करते हुए हमारा वरडिक्ट इस फिल्म के लिए बस इतना है कि आप जरूर इसे अपने दोस्तों के साथ देखने के लिए जाइए और हां अपने पार्टनर को अपने साथ ले जाना मत भूलिएगा क्योंकि असली मैसेज कपल्स के लिए ही है.