view all

रीमा लागू : बॉलीवुड के सिर से उठा ममता का साया

बड़े पर्दे की पारिवारिक फिल्मों के साथ-साथ रीमा लागू छोटे पर्दे की ‘क्वीन’ बनी हुई थीं

Sunita Pandey

अभिनेत्री रीमा लागू का निधन हो गया. आम खबरों की तरह ये भी एक आम खबर जैसी ही लगती है लेकिन ये खबर इतनी भी आम नहीं है. रीमा लागू एक ऐसी अभिनेत्री थी जिसमें एक मां अपने विविध व्यक्तित्व के साथ मौजूद थी.

ऐसी मां जो अपने पुत्र के लिए अगर संघर्ष कर सकती है तो 'हथियार' जैसी फिल्म में बिगड़ैल बेटे संजय दत्त को मौत की नींद भी सुला सकती है. एक अभिनेत्री के तौर पर रीमा लागू के अभिनय में इंद्रधनुषी रंग मौजूद थे.


'रिहाई' ने बिगाड़ा करियर

रीमा लागू का जन्म 1958 में मुंबई में हुआ था. इस अभिनेत्री ने अपना स्कूल पूरा करने के बाद ही मराठी थियेटर से एक्टिंग की शुरूआत की थी. आगे चलकर मराठी फिल्मों में काफी काम किया. रीमा लागू जानी मानी मराठी एक्‍ट्रेस मंदाकनी भादभाड़े की बेटी हैं और उन्‍होंने खुद भी पुणे के एक्टिंग स्‍कूल से एक्टिंग सीखी थी.

हिंदी फिल्मों में उनकी एंट्री फिल्म 'कयामत से कयामत तक' से जूही चावला के मां के रूप में हुई. फिल्म काफी हिट रही और एक मां के किरदार के लिए बॉलीवुड के लिए अच्छा विकल्प उपलब्ध हो गया. लेकिन इसी साल रीमा ने फिल्म 'रिहाई' में नसीरुद्दीन शाह के साथ काफी बोल्ड सीन देकर अपनी ही छवि को तहस-नहस कर दिया. इससे उनके करियर की रफ्तार थोड़ी धीमी हो गई.

फैमिली फिल्मों की ‘क्वीन’

इसके बाद साल 1989 में सूरज बड़जात्या ने उन्हें फिल्म 'मैंने प्यार किया' में सलमान खान की मां के रूप में उन्हें कास्ट कर उनकी छवि को पुनर्स्थापित कर दिया. फिर फिल्म 'साजन’ में 1991 में सलमान खान की मां का रोल निभाया. ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी.

इसके बाद उन्होंने ‘गुमराह’ (1993) और ‘जय किशन’ जैसी ड्रामा और थ्रिलर फिल्में भी की. 'गुमराह' अपने समय की सपुरहिट फिल्म रही थी. पारिवारिक फिल्मों में रीमा का एक छत्र राज स्थापित हो चुका था.

'हम आपके हैं कौन’, ' हम साथ-साथ हैं', ‘ये दिल्लगी’, 'दिलवाले’, ‘कुछ कुछ होता है’ और ‘कल हो ना हो’ जैसी फिल्मों से उन्होंने ऐसा मानक स्थापित किया, जिसका विकल्प शायद उनके अलावा कोई और हो सकता.

छोटे पर्दे पर भी जमा ली थी धाक

1990 में उन्होंने धारावाहिक 'तू तू मैं मैं' के जरिए छोटे परदे पर कदम रखा. इस सीरियल में उनका किरदार काफी हिट हुआ और 'श्रीमान श्रीमती' जैसे धारावाहिकों के जरिए उन्होंने यहां भी अपनी धाक जमा ली. उनका फिल्मी सफर जारी था.

1999 में महेश मांजरेकर की फिल्म 'हथियार' एक मां के रूप में उनके करियर की सबसे सफल फिल्म साबित हुई. इस फिल्म में अपने गैंगस्टर बेटे को मारने से पहले उन्होंने जिस तरह अपने किरदार के कश्मकश को पेश किया वो वाकई दिल छू लेने वाला था.

इसके बाद भी उन्होंने कुछ फिल्में की लेकिन उन्हें वो शोहरत नहीं मिली. एक्टर के रूप में मिलने वाले किरदारों से नाराज रीमा ने फिर से छोटे परदे का रुख किया और अपनी अभिनय यात्रा जारी रखी. इन दिनों वह टीवी सीरियल नामकरण में नजर आ रही थीं.

शोक में डूबा बॉलीवुड

रीमा लागू का इस तरह अचानक जाना सबको स्तब्ध कर गया. ऐसा लगता है जैसे बॉलीवुड के सिर से ममता का साया ही उठ गया हो.