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Hot Topic : बच्चों के रियलिटी शोज कितने सही कितने गलत ?

जहां बॉलीवुड के कुछ स्टार्स और जजेस बच्चों पर आधारित रियलिटी शोज के खिलाफ हैं वहीं कुछ उन्हें सपोर्ट करते हुए दिखाई देते हैं

Rajni Ashish

आजकल हर चैनल पर बच्चों के रियलिटी शोज की बहार सी आयी हुयी है. टीवी पर सुपर डांसर, सारेगामापा लिटल चैम्प्स, इंडियन आइडल जूनियर, DID लिटल मास्टर, इंडि‍याज बेस्ट ड्रामेबाज जैसे शोज में दर्शक मासूम से बच्चों की अद्भुत प्रतिभा को देख दांतो तले उंगलियां दबा लेते हैं. ऐसे शोज चैनल और शो के मेकर्स के लिए हमेशा से फायदे का सौदा साबित होते आये हैं क्योंकि इनकी टीआरपी हाई रहती है. लेकिन इन शोज की नैतिकता और बच्चों पर पड़ने वाले इसके बूरे असर की वजह से इनपर हमेशा से सवाल उठते आये हैं.


हाल ही में डायरेक्टर शुजीत सरकार ने इन शोज पर सवाल उठाया तो इन शोज पर फिर से सवाल उठने लगे. इंडस्ट्री के कई लोग जहां शुजीत की बात का समर्थन करते हुए दिखाई दिए तो वहीं कई उनकी बात से असहमत दिखे.

आइये देखते हैं कि इंडस्ट्री के लोग बच्चों पर आधारित रियलिटी शोज पर क्या कहते हैं.

हाल ही में हमने फिल्मकार शूजीत सरकार द्वारा बच्चों के रियलिटी टीवी शो पर प्रतिबंध लगाने के आग्रह की खबर आपको बतायी थी. शुजीत ने इन रियलिटी शोज के खिलाफ अपना गुस्सा ट्विटर पर जाहिर किया.

शुजीत ने ट्वीट  करते हुए लिखा कि, 'मेरी अथॉरिटीज से ये निवेदन है कि तत्काल बच्चों से जुड़े सभी रियलिटी शोज को बैन कर दें. यह वास्तव में उनकी भावना और उनकी मासूमियत को नष्ट कर रहा है'.

शुजीत ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए ना सिर्फ बच्चों के पेरेंट्स पर सवाल उठाया,बल्कि इन रियलिटी शोज को जज करने वाले फिल्म इंडस्ट्री के लोगों पर भी सिर्फ पैसे के लिए ऐसे शोज का हिस्सा बनने का बड़ा आरोप लगाया.

शुजीत ने बच्चों के रियलिटी शोज पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि 'मैं पिछले काफी वक्त से इस बारे में सोच रहा था. ये स्थिति काफी दयनीय है. बच्चों के पेरेंट्स जिस तरह से उन्हें इन रियलिटी शोज के लिए पुश करते हैं और ये शोज जिस तरह से बनाये जाते हैं, जिस तरह से दर्शक इसे देखते हैं ये नैतिकता के बिलकुल विरुद्ध है. इन रियलिटी शोज में अंश मात्र भी नैतिकता बाकी नहीं रह गयी है. ये बच्चों की प्यूरिटी और मोरालिटी को खत्म कर रहा है.ये शोज पैथेटिक हैं. मुझे समझ नहीं आता कि इस तरह के शो के सो-कॉल्ड जजेस जो खुद को इंडस्ट्री के बड़े स्टार्स जो खुद को क्रिएटिव समझते हैं वो कैसे ये शो कर सकते हैं. ये लोग सिर्फ पैसों के लिए ऐसे शो कर रहे हैं. प्राइवेट चैनल्स ने टीआरपी के चक्कर में नैतिकता को ताक पर रख दिया है.

बॉलीवुड की हॉट एंड बोल्ड एक्ट्रेस नेहा धूपिया ने शुजीत के उठाये सवालों पर बात करते हुए कहा कि 'इस तरह के मंच बच्चों को अपने जीवन की शुरुआती चरण में ही आत्मविश्वास और दिशा देते हैं'.

कलर्स पर टेलीकास्ट होने वाले बच्चों के रियलिटी शो ‘छोटा मियां धाकड़’ की जज रहीं नेहा ने शुजीत के उठाये हुए सवालों पर जवाब देते हुए कहा कि, 'मुझे लगता है कि मैं इस मुद्दे पर (शुजीत से) थोड़ी अलग राय रखती हूं.अभी कॉम्पीटीशन का जमाना है, इसलिए मुझे हर उस चीज के लिए साथ रहना चाहिए, जिसके लिए मैं काम करती हूं. मैंने बच्चों का रियलिटी शो जज किया है और सबसे महत्वपूर्ण चीज है कि अथॉरिटी के तौर पर हमें पता होता है कि यहां क्या हो रहा है'.

उन्होंने कहा, 'शुजीत ने अपने ट्वीट में जो कहा है, मैं उसका सम्मान करती हूं. लेकिन, दूसरा पक्ष ये है कि इन बच्चों की बहुत देखभाल की जाती है, वे स्कूल भेजे जाते हैं. जब वे दो से तीन सप्ताहों की अवधि के दौरान शो की शूटिंग करते हैं तो उनके लिए निजी ट्यूटर की व्यवस्था की जाती है. मुझे लगता है कि रियलिटी शो उन्हें आत्मविश्वास देते हैं और उन्हें लगभग 10 साल की उम्र की शुरुआती अवस्था में एक मंच और दिशा उपलब्ध कराते हैं'.

नेहा ने हालांकि शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि 'मैं, हालांकि बच्चों की शिक्षा का पुरजोर तौर पर समर्थन करती हूं. मैं मानती हूं कि सपना जो भी हो, बच्चों को अपनी शिक्षा पूरी करनी चाहिए और उसके बाद वे जो भी करना चाहें, करना चाहिए.'

वहीं टाइगर श्रॉफ भी इन शोज के फेवर में हैं. उनका कहना है कि ऐसे शोज बच्चों को आत्मविश्वास देते हैं. ऐसे बच्चे लाइफ में प्रेशर झेलना सिखाते हैं और पढ़ाई से हटकर उनको जिंदगी के अनुभव मिलते हैं. बहरहाल हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. आज के माहौल में इन शोज पर बैन लगाना भी संभव नहीं है. ऐसे में बच्चों का ध्यान काउंसलिंग और सही डाइट से रखा जाना जरूरी है क्योंकि शूजीत की बात भी बेतर्क नहीं है.

'तारे जमीन पर' जैसी सफल किड बेस्ड फिल्म बना चुके निर्देशक अमोल गुप्ते बच्चों के रियलिटी शोज पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि ऐसे शोज बच्चों को उनके स्कूल दूर रखते हैं जिसकी वजह से बच्चे अपनी मासूमियत तो खोते ही हैं साथ ही नार्मल जिंदगी में वापस लौटने और अपने दोस्तों के बीच घुलने मिलने में भी उन्हें ढेरों परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

अमोल गुप्ते कहते हैं कि, "एक रियलिटी शो में जो हेक्टिक शेडूल होता है, ऐसे में ये कैसे संभव हो सकता है कि इन शोज में पार्टिसिपेट करते हुए कोई बच्चा स्कूल को कैसे रेगुलरली अटेंड कर सकता है?" उन्होंने कहा, "उपहार देने और बच्चों को सहज रख देने भर से ही एक बच्चे की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल नहीं की जा सकती है.

वहीं अमोल गुप्ते के तर्कों से फेमस सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर विशाल डडलानी इत्तेफाक नहीं रखते. विशाल जिन्होंने कई बच्चों के कई रियलिटी शोज को जज किया है वो कहते हैं की, “जब भी मैंने किसी किड बेस्ड रियलिटी शो में जज की भूमिका निभाई है तो मैंने ये सुनिश्चित किया है की बच्चों को सेट पर अच्छे तरीके से ट्रीटमेंट मिले और वो रेगुलरली स्कूल जाएं. कम से कम मैं अपने शोज के बारे में तो ये दावे के साथ कह सकता हूं की वहां बच्चों के साथ कुछ भी गलत नहीं होता है, बाकियों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता सकता हूं. मुझे लगता है कि लाइफ में हेल्दी कॉम्पीटीशन को मस्ती के साथ सिखने के लिए ऐसे शोज में भाग लेना बच्चों के लिए बहुत लाभदायक होता है. अन्य लोगों से सीखना महत्वपूर्ण है. मुझे कोई समस्या नहीं दिखाई देती जब तक शो ऐसे तरीके से आयोजित किया जाता है जो बचपन की सुरक्षा करता है और स्कूल से गायब रहने के लिए मजबूर नहीं करता'.

फिल्म निर्माता और कई डांस रियलिटी शो के जज रेमो डिसूजा का कहना है, "मैं किसी भी अन्य शो के बारे में बात नहीं कर सकता, लेकिन जिन शोज में मैं जज के तौर पर दिखाई देता हूं उसमें मैंने किसी भी बच्चे को प्रताड़ित होते हुए नहीं देखा है. ये शोज बच्चों के लिए उनकी प्रतिभा दिखाने के लिए एक अच्छा मंच होता है. हां मैं इससे सहमत हूं कि उन्हें स्कूल नहीं छोड़ना चाहिए.

सोनी टीवी के बच्चों के रियलिटी शो 'सबसे बड़ा कलाकार' के जज रहे अभिनेता बोमन ईरानी ने, कहा, "बच्चों के स्कूलों में एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज होती हैं जो उनके बचपन का आनंद लेने का एक तरीका है. जब स्कूल में वो किसी नाटक की तैयारी करते हैं तो क्या हम उन्हें कहते हैं कि वे 'काम' कर रहे हैं? ऐसी चीजें स्कूलों में भी करवाई जाती है सिर्फ फर्क इतना है कि टीवी उन्हें एक बड़ा मंच देता है. एक बच्चे के ग्रोथ के तौर पर इसे देखा जाए तो इसे एक अद्भुत अनुभव कहा जा सकता है."

हालांकि, ​​मनोवैज्ञानिक पुलकित शर्मा का कहना है कि 'इस तरह के एक सार्वजनिक मंच पर जज किये जाना और हार जाना बच्चों के दिमाग पर गहरी छाप छोड़ सकता है. बच्चों के मासूम दिमाग के लिए जीतने और हारने की पूरी अवधारणा बहुत भावुक होती है. बच्चों के पास बड़ों की तरह के तर्क की क्षमता नहीं होती है जो उन्हें बता सके कि 'जीवन ऐसा ही है, और जीतने के लिए अन्य अवसर भी मिलेंगे'. मैंने उन बच्चों के साथ काम किया है जो रियलिटी शो में भाग लेते हैं, और उनके लिए सामान्य जीवन में वापस आने के लिए बहुत मुश्किलें आती है'.

पॉपुलर सिंगर सुनिधि चौहान ने 13 साल की उम्र में 1996 में दूरदर्शन के सिंगिंग रियलिटी शो 'मेरी आवाज सुनो' जीतकर ही गायकी की दुनिया में एक पहचान बनायी थी. सुनिधि कहती हैं उस दौर को याद करते हुए कहती हैं की तब शोज में प्युरिटी थी लेकिन आज समय से पहले ही बच्चों को रियलिटी शोज में कुछ ज्यादा ही एक्सपोज कर दिया जाता है.

म्यूजिक कंपोजर विशाल-शेखर से शेखर कहते हैं कि, "कुछ रियलिटी शोज बच्चों को बड़ों की तरह ड्रेस-अप करने और उनकी तरह व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और मेरे लिए ये शोज इरिटेटिंग होते हैं" शेखर कहते हैं "ऐसे शोज बच्चों की पवित्रता, सादगी और सबसे महत्वपूर्ण रूप से उनकी मासूमियत को दूर ले जाती हैं और उन्हें उन सब चीजों से अवगत कराती है जिससे उन्हें बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ना चाहिए"