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बर्थडे स्पेशल : ‘एक चांस’ की खातिर सेट पर चाय-समोसे तक लाने पड़ते थे रणवीर सिंह को

जन्मदिन पर पढ़िए रणवीर सिंह के स्ट्रगल के दिनों की दास्तान

Abhishek Srivastava

रणवीर सिंह की पहली फिल्म बैंड बाजा बारात जब रिलीज की दहलीज पर थी तब उनको लेकर अटकलें लगना शुरु हो गई थी.

अटकलें इस बात की थीं कि उनकी इस पहली फिल्म में उनके पिता ने पैसे लगाये हैं. रणवीर सिंह को अपनी शुरुआती फिल्म के ही प्रेस कांफ्रेंस में इस सवाल से दो चार होना पडा था. लोगों को उनके हुनर पर कम भरोसा था और उनको यही लगा कि एक और पिता अपने बेटे के करियर को बनाने के लिये जेब से पैसे लगा रहा है.


फिल्म रिलीज हुई और इसके बाद लोगों के मुंह पर ताला लगने के साथ साथ अटकलों पर भी विराम लग गया. रणवीर सिंह ने जो धमाकेदार शुरुआत अपनी पहली फिल्म बैंड बाजा बारात से की थी वो फिल्म जगत में कम लोग ही कर पाते है.

पहली ही फिल्म से उन्होंने जता दिया था कि हुनर उनके अंदर कूट कूट कर भरा हुआ है और अपने मेंटौर आदित्य चोपड़ा को निराश नहीं किया.

लेकिन मीडिया के जो लोग रणवीर सिंह को जानते है, शायद वो उनके उपर इस तरह के इल्जामात बिल्कुल नहीं लगाते. रणवीर सिंह ने अपनी पहली फिल्म पाने के लिये अपनी एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया था,  इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है.

18 साल की उम्र में रणवीर, अमेरिका के इंडियाना विश्वविद्यालय में मीडिया स्ट्डीज की पढ़ाई के लिये चले तो गये थे लेकिन उनका दिल फिल्मों की तरफ ही था.

उनका इरादा था बीए की पढ़ाई खत्म करके न्यूयार्क या शिकागो में कॉपी राईटिंग का काम करने का लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सेकेंड ईयर में एक्टिंग क्लास में महज एक सीट खाली थी जिसमें उनको मौका मिला.

उस कोर्स के इंस्ट्रक्टर ने पुरानी परंपराओं को बदल कर एक नई परंपरा का ईजाद करते हुये सभी स्टूडेंट्स से ये कहा की वो बारी-बारी से आकर किसी भी चीज पर परफार्म करें, चाहे वो नाच हो, गाना हो या फिर शुद्ध एक्टिंग का नमूना.

जब रणवीर की बारी आई और उनको कुछ सूझा नहीं तो उन्होने यश चोपड़ा की फिल्म दीवार में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के बीच के मशहूर डायलॉग बोलना शुरु कर दिये.

लोगों को हिंदी भाषा तो समझ में नहीं आई लेकिन जिस जुनून से रणवीर ने फिल्म के डायलॉग बोले, उसके एवज में उनको ढेर सारी तालियां ज़रुर नसीब हुईं और वो थ्रिल उनके जिंदगी का एक टर्निंग पाईंट भी बना.

उसी रात रणवीर ने अपने पिता को फोन किया और अपने दिल की बात बता दी. पिता ने अपनी सहमति दी एक शर्त पर की उनको अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ेगी.

साढे तीन साल की पढ़ाई के बाद जब रणवीर का हिंदुस्तान आना हुआ तो उसके बाद तीन साल का स्ट्रगल उनके सामने खड़ा था.

आने के बाद कॉपी राईटिंग की बारिकियां उन्होंने ओ एंड एम और जेडब्ल्यूटी सरीखे फर्म में इंटर्न रहकर सीखना शुरु किया. साथिया और बंटी और बबली जैसी फिल्में बनाने वाले निर्देशक शाद अली से उनकी दोस्ती की वजह से उनको उनकी टीम में बतौर सहायक निर्देशक का काम मिल गया कुछ एड फिल्मों के लिये.

काम का ये सिलसिला लगभग डेढ़ साल चला. अपने इस फेज के पहले ही दिन उनका सामना हुआ मंझे हुये कलाकार परेश रावल से जो टाटा स्काई के कमर्शियल की शूटिंग के लिये मुंबई के भाई दास हाल में आये हुये थे.

शूटिंग के पहले जब पूरी टीम परेश रावल के शूटिंग मार्क को निश्चित कर रही थी तब रणवीर ने अपनी टीम से कहा था की मुझे उस मार्क पर खड़ा होना है और वो मेरी जगह है.

आगे चलकर रणवीर ने एक्टिंग कोर्स भी ज्वाइन किया लेकिन उनको लगा की क्लास के माहौल में उनको कुछ ज्यादा सीखने को नहीं मिलेगा. आग चलकर अपने क्राफ्ट को निखारने के लिये रणवीर ने थियेटर से भी अपने को जोड़ लिया लेकिन वहां भी उनको एक्टिंग का मौका नहीं मिला.

थियेटर ग्रुप में बतौर रनर का काम रणवीर ने किया और चाय समोसा लाने और कुर्सी ठीक करने से ज्यादा मौका उनको नहीं मिल पाया.

आठ महीने के बाद उनको इस बात का एहसास हो चुका था कि उनको एक्टिंग के लिये कोई भी मौका नहीं देने वाला है लिहाजा अपने ग्रुप को अलविदा कह दिया.

सहायक निर्देशक होने की वजह से उनको पता था कि एक्टिंग के लिये हजारों लोग अपना आवेदन लेकर आते हैं लेकिन 10 में से 8 केसेस में उन सभी के पोर्ट फोलियो डस्टबिन में फेंक दिया जाता है जिसे बाद में कोई नहीं देखता है.

रणवीर खुद को ऐसी स्थिति में नहीं देखना चाहते थे लिहाजा अपने पोर्ट फोलियो को बनाने में उन्होंने सात से आठ महीने का वक्त लिया और उसे कुछ इस कदर का रुप दिया ताकि जिसकी भी नजर उस पर पड़े उसे वो एक बार खोल कर ज़रुर देखेगा.

रणवीर की मेहनत रंग लाई और इसके बाद ही यशराज फिल्मस की कास्टिंग डायरेक्टर शानु शर्मा की नजर उन पर पड़ी. बहुत लोग इस बात को जानने को बेहद इच्छुक होंगे की आखिर वो कौन सी फिल्म थी जिसको बैंड बाजा बारात ने बॉक्स ऑफिस पर धूल चटाई थी.

वो फिल्म मसाला फिल्मों के जाने माने निर्देशक अनीस बाज्मी की ‘नो प्रॉब्लम’ थी जिसमें कुछ नाम चीन सितारों का जमावड़ा था मसलन अनिल कपूर, संजय दत्त और कंगना.