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मैं खुद को सुपरस्टार नहीं समझता, लेकिन हां मैं स्टार हूं: रणबीर कपूर

रणबीर कपूर की फिल्म जग्गा जासूस रिलीज होने वाली है, इस मौके पर फ़र्स्टपोस्ट ने उनसे बातचीत की

Abhishek Srivastava

एक फिल्म की रिलीज से कुछ दिन पहले, रणबीर कपूर का खास व्यक्तित्व आमिर खान जैसा अहसास देता है. कुछ आशंकित सा, बेचैनी भरा, अधीर और व्यग्र. फिल्म प्रमोशन के दौरान उनके अस्वाभाविक से हाव-भाव लगातार आमिर खान की याद दिलाते रहते हैं. उनके लगभग हर टीवी इंटरव्यू के बीच ब्रेक का समय खास तौर से सिगरेट का ब्रेक बन जाता है.

रणबीर कपूर के आज का यह व्यक्तित्व साल भर पहले या उससे पहले के रणबीर कपूर से बिलकुल अलग है. 'ऐ दिल है मुश्किल' के ब्लॉक बस्टर फिल्म घोषित होने से पहले उनकी बॉडी लैंग्वेज में एक स्थायी मुस्कान और आत्मविश्वास झलकता था.


तो क्या इसका मतलब यह कि सफलता ही सब बनाती या बिगाड़ती है?

उत्साह से लवरेज रणबीर कहते हैं, 'बिलकुल नहीं. अगर आप मुझमें कोई तब्दीली पाते हैं, तो यह मेरी असफलताओं की वजह से है. जब मैं सफलता का स्वाद चखता हूं, तो मेरी प्रतिक्रिया उफ्फ!

इस बार तो बच गया, जैसी होती है. आमतौर पर जब असफलता आपको ठोकर मारती है तो आपका जीवन गतिशील हो जाता है. आप अपने करिअर के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं, आप असुरक्षित महसूस करते हैं, और बहुत से लोग आप की पहुंच से बाहर होने लगते हैं. साथ ही आप ढेर सारी आशंकाओं से घिर जाते हैं. ईमानदारी से कहूं, मुझे नहीं मालूम कि एक अभिनेता के रूप में मेरा क्या वजूद है.'

इस अभिनेता के लिए जब विशेषणों की बात आती है, तो हमेशा दुविधा जैसी

स्थिति होती है. अक्सर वह एक पैकेज्ड रूप में नजर आते हैं, जैसे कई खास चीजों का एक अद्भुत मिश्रण हो.

तो, रणबीर को क्या होना चाहिए, अभिनेता, स्टार या सुपर स्टार?

इस पर रणबीर कहते हैं, 'वास्तव में मैं एक अभिनेता कहलाना पसंद करूंगा. मैं नहीं समझता कि मैं सुपर स्टार हूं. लेकिन हां, मैं एक स्टार तो हूं. मैंने

अनुराग बसु जैसे निर्देशकों के साथ काम किया है. लोग मेरी फिल्मों में

दिलचस्पी रखते हैं, मेरे जीवन में और साथ ही मेरे व्यक्तिगत जीवन में

भी दिलचस्पी रखते हैं. तो कहा जा सकता है कि लोगों का मुझसे लगाव है, लेकिन निश्चित रूप से मैं रणबीर कपूर के रूप में जाना जाऊं यह ज्यादा पसंद करूंगा, जो किसी भी दूसरी पहचान से पहले अभिनेता की है.'

साफ सुथरे लालन-पालन और तामझाम से दूर रणबीर के हावभाव उनकी

नरम आवाज से जाहिर होते हैं. आसपास किसी स्टार की मौजूदगी के वक्त आमतौर पर जो तनाव महसूस होते हैं, वे रणबीर के साथ नजर नहीं आते. बल्कि आपका सामना प्रतिभा और योग्यता वाले एक ऐसे व्यक्ति से होता है जिसका दिल और दिमाग बिलकुल सही जगह होता है.

जैसे ही उनके सामने ये बात साफ हो जाती है कि इस इंटरव्यू में कोई कैमरा

नहीं होगा, किसी स्कूली लड़के की तरह, रणबीर इंटरव्यू की जगह तड़क-भड़क वाले डिज्नी ऑफिस के चौथे माले पर शिफ्ट कर देते हैं, जहां स्मोकिंग लाउंज

है. हालांकि, रणबीर नॉन स्मोकर हैं, लेकिन उन्हें मालूम है कि उनके पसंदीदा ‘दादा‘ वहां उन्हें कंपनी देने के लिए मौजूद रहेंगे.

दोनों को साथ देख कर हम जानना चाहते हैं कि क्या रणबीर कपूर और अनुराग बसु की जोड़ी मार्टिन स्कॉर्सीज और रॉबर्ट डी नीरो की जोड़ी है?

रणबीरर कहते हैं, 'यह दूर का शॉट है, और एक समय में एक फिल्म करना ही बेहतर है. हमने सिर्फ एक ही फिल्म की है और दूसरी अगले महीने शुरू होनी है. उस कद की जोड़ी से तुलना करने से पहले आपको चार या पांच पिल्में बनानी

पड़ेंगी.'

पिछली बार जब दोनों साथ आए थे, तो उसका नतीजा ‘बर्फी’ के रूप में सामने

आया था. एक ऐसी फिल्म जो लोगों के दिलों में बस गई और जिसमें कुछ भी गलत नहीं लगा. लोगों के दिल जीतने और दर्जनों ट्रॉफी जीतने के अलावा इस

फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी बड़ी लड़ाई जीती थी. ‘बर्फी’ के दौरान रणबीर

कपूर और अनुराग बसु ने जो साझा समझ पेश की वह एक दूसरे के कला कौशल को समझने के भाव और सम्मान का ही नतीजा था.

हर बेस्ट एक्टर की ट्रॉफी और हर बेस्ट डायरेक्टर की ट्रॉफी का अंत चुंबन

से होता था. रणबीर ऐसे समय अपने पसंदीदा डायरेक्टर को अपने साथ ही रखते

थे. पीठ पर लाद के चलने वाले स्टाइल में. और अब, जबकि दोनों एक बार फिर

‘जग्गा जासूस’ के साथ वापस आ रहे हैं, तो कल वाली वह कहानी एक बार फिर

दोहराई जा रही है.

तो क्या अनुराग बसु एडिक्ट हैं?

रणबीर कहते हैं, 'जब आप उनके साथ काम करते हैं, तो वह बिल्कुल ऐसे नहीं होते हैं, लेकिन वह जो नतीजे देते हैं वह हैरत भरे होते हैं. ईमानदारी से कहूं, लोगों ने मुझे रॉकस्टार या अन्य किसी फिल्म की तुलना में ‘बर्फी’ में ज्यादा प्यार दिया. मैंने ‘बॉम्बे वेलवेट’ जैसी फिल्म में 200 फीसदी ज्यादा मेहनत की, लेकिन मैंने ‘बर्फी’ में जो कुछ किया उसे उन्होंने ही दिशा दी, चैनलाइज्ड किया.

अनुराग अपने कंधों पर ढेर सी जिम्मेदारी डाल लेते हैं, चाहे वह संगीत हो,

अभिनय हो, सिनेमैटोग्राफी, मेकअप, या फिर कोरियोग्राफी, वह हर बात का

पूरा खयाल रखते हैं. हमें सिर्फ उन्हें सहयोग देना होता है और वह हमारा

सारा काम कर देते हैं.'

लेकिन रणबीर अपने बेस्ट को अंत के लिए बचा कर रखते हैं. वह कहते

हैं, अनुराग का दूसरा नाम कष्ट है. 'वह कमर में दर्द की तरह हैं, क्योंकि वह बेहद अफरातफरी में काम करते हैं. उनके पास ऐसा कोई पैमाना

नहीं होता कि अन्य लोग किस तरह काम करते हैं. शिड्यूल नाम की कोई चीज

नहीं होती, या उनके सेट्स पर कोई सहायक निर्देशक जैसा कुछ नहीं

होता. बंधन जैसा कोई स्क्रीनप्ले नहीं होता, जिसे समझने के लिए शूट के

पहले दिन ही आप अपने साथ घर ले जाएं. हर बात अफरातफरी से भरी होती है. और हर चीज आपके दिल में उतर भी जाती है.

अंत में अभिनेता जानना चाहता है, चर्चा चाहता है, कि उसने जो कुछ किया वह

कितना भरपूर था. अच्छा था या बुरा था. लेकिन मुझे ऐसा कुछ भी याद नहीं है जो जग्गा जासूस या बर्फी के सेट पर हुआ हो. आखिर बात यही है कि उनके साथ काम करना दर्द मोल लेने जैसा है.'

जहां रणबीर कपूर को लगता है कि मैरी पॉपिन्स, साउंड ऑफ म्यूजिक, द लॉयन किंग और सिंगिंग इन द रेन उनके पसंदीदा संगीत हैं, जग्गा जासूस में इसे

लेकर एक ट्विस्ट भी है. 20 से ज्यादा गाने फिल्म को संगीत से भरपूर एक चरित्र वाली फिल्म बनाते हैं, लेकिन सच तो यही है कि यह रणबीर ही हैं जो संगीतमयी अंदाज में चीजों को पेश करते हैं.

दोनों ने ये दिखाने की कोशिश भी की कि अब इन दोनों के बीच सब ठीक है, जबकि कैटरीना जब घर में नहीं थीं तो रणबीर पीछे से अपना सामान लेकर चुपचाप खिसक लिए थे

यह फिल्म रणबीर कपूर को एक प्रोड्यूसर के रूप में भी इंट्रोड्यूस करा रही

है. अगर कोई पहली फिल्म बनने में तीन साल से ज्यादा समय ले ले, तो

ये स्वाभाविक है कि कोई भी प्रोड्यूसर झुंझलाहट और नर्वसनेस से भर जाएगा. लेकिन उनसे जब पूछा कि उम्मीद से ज्यादा देरी से उन्हें कितनी निराशा हुई, तो उनका जवाब कुछ अलग था.

उनका कहना था कि उनका नाम फिल्म में फाइनेंसर को आकर्षित करने के लिए चस्पां किया गया था, और इसलिए प्रोड्यूसर के तौर पर उन्हें इस फिल्म का कोई श्रेय नहीं जाता है. अगर कोई पोस्टरों को गौर से देखे, तो पता चलेगा कि प्रोड्यूसर क्रेडिट में रणबीर का नाम अनुराग से पहले आया है.

क्या आपने अनुराग से इस बारे में बात की?

रणबीर इसके जवाब में कहते हैं, 'बिलकुल, मैने उनके सामने ये बात रखी और उन्होंने कहा, नहीं. उन्होंने कहा कि पहले सिद्धार्थ होंगे, फिर रणबीर और उसके बाद वह खुद. हमने इस बारे में पहले भी बात की थी, और इसे लेकर वह बिलकुल साफ थे.'

अनुराग बसु की निर्देशन शैली को लेकर भी तरह-तरह की कानाफूसियां होती

हैं. इनमें एक ये बात है कि वह अपने सेट पर कभी स्क्रिप्ट लेकर नहीं आते. तो इसका जवाब देने के लिए रणबीर से बेहतर कौन हो सकता है.

'एक स्क्रिप्ट वास्तव में एक दिशा बताने वाली होती है, जो आप सेट पर लेकर

चलते हैं. लेकिन कहानी को लेकर दादा के आइडिया बहुत साफ होते हैं. वह काम करते समय स्क्रीनप्ले या कहानी को संवारने बदलने जैसे काम नहीं करते. जब वास्तव में शूटिंग शुरू हुई उसके एक साल पहले मैंने पूरी कहानी सुन ली

थी. ठीक है, जब आप कोई चीज बदलते हैं या उसमें सुधार करते हैं, तो उसमें कुछ ट्रीटमेंट भी होते हैं. लेकिन हमारी कहानी और स्क्रीनप्ले पहले से ही तैयार थे. बस इतना था कि ये कागज पर नहीं थे.'

जग्गा जासूस के अलावा, वह अभी राजू हिरानी की बॉयोपिक में संजय दत्त की

एक्टिंग पेश करने के लिए भी चर्चा में हैं. ऑनलाइन दिखाई दे रही दत्त के वेष में कपूर की छवि कुछ अजीब सी लगती है.

तो क्या आपने खुद उनसे इसकी इजाजत ले ली है?

रणबीर कहते हैं, 'वास्तव में यह अवास्तविक लगता है क्योंकि जब मैंने शूटिंग शुरू की तो उससे पहले कुछ दिन वह सेट पर होते थे. उनकी तरह अभिनय करना और मॉनीटर के पीछे उनका खड़ा रहना मेरे लिए बड़ा अजीब सा होता था. अब मेरे पास सिर्फ दो हफ्ते बचे है और मैं फिल्म करने के लिए तैयार हूं.'

रणबीर ने यह इंटरव्यू उस वक्त दिया, जब वह एयरपोर्ट के लिए लेट हो रहे

थे. अब ऐसे बहुत से लोग होंगे जो ये सोच रहे होंगे कि रणबीर ने शाहरुख खान से मिले उन पैसों का क्या किया जो उन्हें शाहरुख की एक आने वाली फिल्म के शीर्षक का नाम सुझाने के एवज में मिला था. अब यह भी खुलासा हो चुका है कि रणबीर ने इसके लिए सुपर स्टार से 5000 नहीं, बल्कि 6000 रुपए पाए थे. लेकिन निकट भविष्य में उन नोटों को कहीं खर्च करने की उनकी कोई योजना फिलहाल नहीं दिखती है.