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फिल्म ‘पंचलैट' को सेंसर से मिला ‘यू’ सर्टिफिकेट

इस फिल्म को लेकर इसके निर्देशक प्रेम मोदी ने मीडिया को दी ये जरूरी जानकारी

Akash Jaiswal

निर्देशक प्रेम मोदी ने आज मीडिया को विस्तार से बताया की उनकी फिल्म ‘‘पंचलैट’’ को सेंसर बोर्ड ने ‘यू’ प्रमाण दे दिया है. उन्होंने कहा, ‘‘पंचलैट’" एक आगामी बॉलीवुड फिल्म है, जो फ़निश्वर नाथ रेणू की कहानी पर आधारित है. लंबे समय के बाद, सेंसर बोर्ड ने एक पूर्ण रूप से ‘यू’ प्रमाण पत्र के साथ किसी को फिल्म पारित किया है. ये एक ऐसी फिल्म है जिसे दादा दादी, माता-पिता, बच्चों और हर कोई एक साथ बैठकर देख सकता है. यह फिल्म जड़ों, संस्कृतियों और हमारे देश के मूल्यों पर प्रतिबिंबित करती हैं. यह हमारे भारतीय साहित्य की शक्तियों को प्रदर्शित करती है और यह साबित करती है कि यह कितनी मजबूत है."


उन्होंने कहा, “हम शेक्सपियर और विदेशी कहानियों के पीछे क्यों चल रहे हैं? जबकी हमारे अपने राष्ट्र में साहित्य के आसपास घूमते प्रचुर मात्रा में कहानियां हैं और यदि हम उन्हें ध्यान में रखते हैं तो हम इस तरह के शक्तिशाली सिनेमा बनाने में सक्षम होंगे.”

फिल्म में अमितोश नागपाल ने प्रमुख भूमिका निभाई है. फिल्म में वो राजकपूर के स्टाइल में नजर आ रहे हैं. वह उनके जैसे कपड़े पहने हुए हैं, उनके ही समान एक टोपी पहनते हैं और यहां तक कि उनके गाने गाते रहते हैं.

इस फिल्म में अमितोश नागपाल, अनुराधा मुखर्जी, यशपाल शर्मा, राजेश शर्मा, रवि झंकल, बृजेन्द्र काला, ललित परिमू, प्रणय नारायण, इकबाल सुल्तान, मालिनी सेन गुप्ता, कल्पना झा और अन्य कलाकार हैं जो महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आएंगे हैं. ‘पंचलैट’ को 17 नवंबर को रिलीज होने जा रही है.

यह फिल्म 1954 में एक ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित है और एक ऐसे गांव की कहानी बताती है जहां बिजली नहीं है. गांव में आठ समुदाय के लोग हैं जहां अन्य समुदायों के पास अपने पेट्रोमैक्स प्रकाश हैं, लेकिन महतोस के पास यह नहीं है और अंत में वे बहुत प्रयास के बाद एक पंचलाइट खरीदते हैं. यह कहानी उस समाज में चल रही पारस्परिक विचार विमर्श और उनके बिच होने वाले आपसी कहा सुनी पर आधारित है. फिल्म के प्रमुख पात्रों के बीच रोमांटिक सीन्स भी दिखाया गया है. इस छोटे से गांव के लोग अंधेरे में रहते हैं और वे अपने छोटे मोटे दुख-सुख में ही खुश रहते हैं.

पंचलैट, जिसे पेट्रोमॅक्स के रूप में भी जाना जाता है, ग्रामीणों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और उनके सम्मान का प्रतीक भी है.

लेकिन ग्रामीण इतने मासूम और अनुभवहीन होते हैं कि उन्हें पता ही नहीं कि एक साधारण से दीपक को कैसे जलाया जाता है. उनके ही ज्ञान की कमी उन्हें मजेदार परिस्थितियों की ओर ले जाती है. गांव में ऐसा एकमात्र व्यक्ति ही होता है जो पेट्रोमॅक्स को प्रकाश में रखना जानता है, उसका नाम है गोदान. उसे गांव से निष्कासित किया गया है क्योंकि उसे झूठे आरोप के चलते अपने ही समुदाय से बाहर फेंक दिया गया था. बाकी की कहानी इस बात पर केंद्रित है कि कैसे गलतियों के बावजूद गांववाले अपने गांव को रौशनमय करते है.

यह फिल्म राकेश कुमार त्रिपाठी द्वारा लिखी गई है और इसके म्यूजिक को कल्याण सेन बरत न कंपोज किया है. फिल्म का छायांकन जॉय सुप्रीम ने किया है.

प्रेम मोदी द्वारा निर्देशित "पंचलैट" अनिल सोमानी, प्रमोद गोयल और अनुप टोडी द्वारा संयुक्त रूप से फनटाइम एंटरटेनमेंट के बैनर के तहत फिल्म का निर्माण किया गया है और 17 नवंबर, 2017 को फिल्म के सिल्वर स्क्रीन पर उतरने जा रही है.