view all

Birthday Special : जब रजनीकांत ने फिल्में छोड़ी, तो इस स्टार ने थामा था उनका हाथ

आखिर क्या है रजनीकांत और कमल हासन के बीच रिश्तों का सच?

Abhishek Srivastava

सत्तर के दशक में सिनेप्रेमियों को एक सवाल से अक्सर दो चार होना पड़ता था. उनसे अक्सर यह बात पूछी जाती थी कि वो अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना के बीच किसके फैन हैं? अगर ये बात सत्तर के दशक की थी तो वही सवाल आज भी फैंस के सामने रखा जाता है महज नाम बदल गए हैं.

राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के बदले अब शाहरुख खान और सलमान खान आ गए हैं. लेकिन यही सवाल तमिल फिल्म के फैंस को सत्तर के दशक से लेकर आज तक पूछा जाता रहा है कि वो रजनीकांत और कमल हासन के बीच किसके फैन हैं? इस बात में कोई शक नहीं है कि दोनों का पलड़ा आज बराबर ही होगा. लेकिन इस तुलना ने इन दोनों के बीच एक ऐसी दुश्मनी का बीज भी पनपने दिया है जो जानकारों के मुताबिक एक मिथ से ज्यादा कुछ भी नहीं है. सच्चाई यही कि ये दोनों जिगरी दोस्त हैं.


अपूर्व रागंगाल तमिल सिनेमा में बनी एक ऐसी फिल्म थी जिसने लोगों को सिखाया था कि रिश्तों की जिंदगी में क्या अहमियत होती है. इस फिल्म ने यह भी बताया था कि प्यार उम्र की बाधाओं से परे है. इस फिल्म में जवान कमल हासन एक चालीस के पार की गायिका के प्रेम में गिरफ्तार हो जाते हैं लेकिन इन दोनों के प्रेम के बीच का रोड़ा बनते हैं पांडियन यानी रजनीकांत.

रजनीकांत के फ़िल्मी करियर की ये पहली फिल्म थी लेकिन इस पहली फिल्म में उनका नेगेटिव किरदार उनके आगे के करियर में कमल हासन के परिप्रेक्ष्य में किस तरह से छाया रहेगा इस बात की कल्पना किसी ने भी नहीं की थी. लीड एक्टर के तौर पर कमल हासन के करियर की यह पहली महत्वपूर्ण फिल्म थी.

यानी रजनीकांत और कमल हासन के लिए यह फिल्म और कई लिहाज से भी एक बेहद ही महत्वपूर्ण फिल्म थी. लेकिन इस बात का इल्म काम ही लोगों को है कि भले ही फिल्मों में दो धुरी पर नजर आये लेकिन हकीकत यही है कि निजी जिंदगी में ये दोनों एक दूसरे के बेहद करीब हैं और इनकी दोस्ती सालों से अटूट रही है.

अपूर्व रंगागल की अभूतपूर्व सफलता के बाद इन दोनों ने मूंदरू मुदिचु, इलामयी ऊंजल आदुकीरादु सरीखी सुपरहिट फिल्मों में काम किया लेकिन उसके बाद दोनों ने साथ निर्णय लिया की वो अब एक साथ फिल्मों में काम नहीं करेंगे. उस वक़्त लोगों को लगा कि इन दोनों ने आपसी कलह और अहंकार के चलते एक साथ काम नही करने का निर्णय लिया है. लेकिन वास्तव में असल वजह यह थी की इन दोनों को ही पता था कि अगर वो एक फिल्म में साथ काम करेंगे तो मुमकिन है कि फिल्म का बजट शायद गड़बड़ हो जाए और जो भी फिल्म का मुनाफ़ा होगा वो बंटने के बाद किसी का भी भला नहीं करे.

इसका फल इन दोनों के फैंस को मिला. जहां रजनीकांत ने अपनी एक अलग पहचान एक्शन और लारजर दैन लाइफ सितारे के रूप में बनाई तो वही दूसरी तरफ कमल हासन ने कई अलग तरह के रोल निभा कर अपने हरफनमौला व्यक्तित्व का परिचय दिया.

1991 की दीपावली के दौरान दोनों की भिड़ंत एक बार फिर से बॉक्स ऑफिस पर हुई थी. उस वक़्त ये दोनों एक फिल्म का हिस्सा ना होकर दो अलग फिल्मों में नज़र आये थे. एक तरफ अगर फ़िल्मकार मणि रत्नम की महाभारत पर आधारित फिल्म दलपति थी जिसमें रजनी मुख्य भूमिका में थे तो दूसरी तरफ कमल हासन की फिल्म गुना जिसने वो एक डाकू का किरदार निभा रहे थे. इस रेस में अगर बॉक्स ऑफ़िस पर जीत रजनीकांत की हुई थी तो वही लोगों के दिलों पर राज करने का मौका मिला कमल हासन को क्योंकि फिल्म गुना में अपने बेहतरीन अभिनय से कमल हासन को तमिल फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड मिला.

इन दोनों ही सितारों का फिल्म करियर सामानांतर रेखाओं की तरह तमिल फिल्म जगत में चलता रहा है और मौका मिलते ही कभी भी दुनिया को यह बताने में संकोच नहीं किया है कि ये फ़िल्मी परदे के बाहर दो जिगरी दोस्त भी हैं. इसकी एक वजह हो सकती है निर्देशक के बालाचंदर जिनको ये दोनों ही अपना गुरु मानते हैं.

जब कभी भी इन दोनों को अपने गुरु के साथ देखा गया है उस वक़्त वो स्टारडम के लबादे के बदले एक शिष्य का लबादा ओढ़े ज्यादा नज़र आते हैं. सच्चाई यही है कि रजनीकांत ने हमेशा से कमल हासन को अपना अग्रज और अपना बड़ा भाई माना है. लोग इन दोनों के बारे में ये भी कहते हैं की कई बार के बालाचंदर ने रजनीकांत को कमल हासन के अभिनय को ध्यान से देखने को कहा था ताकि उनको वह से कुछ सीख मिल सके.

किसी सभा के दौरान भी अक्सर इसे देखा गया है कि एक के जाने के बाद दूसरा आया है. इसकी वजह यह कतई नहीं है की दोनों एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते हैं बल्कि हकीकत यही है की दोनों इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि शायद सभा के आयोजकों को इनके एक दूसरे से मिलने के बाद जो परेशानी उठानी पड़े उसे वो हैंडल करने में वो सक्षम ना हों. रजनीकांत ने अपने यह भी सच है कि अस्सी के दशक में जब रजनी फिल्मी दुनिया को छोड़ना चाहते थे तब उस वक़्त कमल हासन उनको खींच कर वापस रुपहले परदे की दुनिया में ले आए थे.

रजनीकांत और कमल हासन भले ही अपने करियर के आखिरी पड़ाव में राजनीति की सीढ़ियां चढ़ ले दो अलग दिशाओ में जैसा उन दोनों ने अपूर्व रंगागल में किया था लेकिन एक बात निश्चित है इनके आदर्श और और संस्कार हमेशा से एक बिंदु पर ही टकराएंगे जिसे अटूट दोस्ती कहते हैं.on