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निरुपा रॉय प्रॉपर्टी केस : मेरे पास ‘मां का कमरा’ है

निरुपा रॉय के दोनों बेटे उनके कमरे पर मालिकाना हक के लिए कोर्ट जा पहुंचे हैं

Hemant R Sharma

दिवंगत अभिनेत्री और फिल्म ‘दीवार’ में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के बीच मां निरूपा रॉय को लेकर जब झगड़ा हुआ तो शशि कपूर ने 'मेरे पास मां' है कहते हुए पूरी दौलत को ठुकरा दिया.

जिस फ़िल्मी मां के लिए शशि कपूर ने पूरी दौलत को ठोकर मार दी उसकी के असली बेटे दौलत को छोड़ सिर्फ माँ के कमरे को लेकर तलवार भांज रहे हैं.


मुंबई मिरर में छपी रिपोर्ट के अनुसार निरूपा रॉय के दोनों बेटों योगेश रॉय और कमल रॉय के बीच प्रोपर्टी विवाद ने इतना तूल पकड़ लिया है कि मामला कोर्ट जा पहुंचा है. निरूपा रॉय के नेपियन्सी रोड स्थित 3000 स्कवॉयर फ़ीट बंगले के मालिकाना हक़ के लिए लड़ाई पिता कमल रॉय के पिछले नवम्बर में हुए निधन के बाद शुरू हुई थी.

निरूपा रॉय के परिवार का पुराना फोटो

निरूपा रॉय के छोटे बेटे किरण ने बड़े भाई योगेश पर प्रॉपर्टी के सम्पूर्ण मालिकाना हक़ के लिए डराने और धमकाने का आरोप लगाया है.

दीवार का फेमस डायलॉग

दरअसल झगड़ा पूरी प्रॉपर्टी को लेकर नहीं बल्कि निरूपा रॉय के निजी बैडरूम को लेकर है, किरन की फैमिली और योगश एंबेसी अपार्टमेंट में मौजूद चार बेडरूम वाले ग्राउंड फ्लोर फ्लैट में साथ रहते हैं, जिसे निरूपा रॉय ने 1963 में 10 लाख से भी कम कीमत में खरीदा था.

दोनों भाइयों के हिस्से में दो-दो बेडरूम हैं, जो कि 3000 स्क्वायर फीट में फैला हुआ है. इसके अलावा इस फ्लैट के साथ 8,000 स्क्वायर फीट का गार्डन एरिया भी है. निरूपा रॉय ने अपनी वसीयत में अपने निजी बैडरूम का मालिकाना हक़ पति कमल रॉय और छोटे बेटे किरण को संयुक्त रूप से सौंपा था.

निधन से पहले कमल रॉय इसका मालिकाना हक़ किरण को सौंप दिया. किरण के मुताबिक़ बड़े भाई योगेश अब पूरी प्रॉपर्टी में हिस्सा  चाहते हैं.

किरण का दावा है कि बड़े भाई योगेश माता-पिता के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करते थे. इसी वजह से उन्हें प्रॉपर्टी में बराबर का हिस्सेदार नहीं बनाया गया. उनके मुताबिक़-मां की मौत के बाद मैंने ही पिता की देखभाल की और उनकी यह इच्छा थी कि मैं ही उनके बेडरूम में रहूं और उन्होंने इस बारे में मेरे भाई और उनकी फैमिली को साफ-साफ निर्देश भी दे दिया था.

'लेकिन अब योगेश जबरन इस प्रॉपर्टी में बराबर की हिस्सेदारी चाहते हैं. फिलहाल तो मामला कोर्ट के विचाराधीन है लेकिन  इस लड़ाई में जिसकी जीत होगी वो एक दिन जरूर गर्व से कह सकेगा -'मेरे पास माँ का कमरा है'.