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बॉलीवुड में आने वालों को ये सीख दे रही हैं निधि अग्रवाल

निधि ने एक ओपन लेटर के जरिए अपने मजबूत इरादों को जाहिर कर दिया है

Akash Jaiswal

टाइगर श्रॉफ और निधि अग्रवाल की फिल्म ‘मुन्ना माइकल’ लाख कोशिशों के बाद भी बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हुई. इस फिल्म से निधि ने अपना बॉलीवुड डेब्यू किया, पर उन्हें इस फिल्म से हताशा के सिवा और कुछ भी हासिल नहीं हुआ. निधि द्वारा जारी किए गए एक लैटर में उन्होंने दुख जताते हुए अपनी भावनाएं व्यक्त की.

निधि ने अपने इस लैटर में सुनाई ही सपने के टूटने की दास्तान. पढ़े निधि का लैटर खुद निधि की जुबानी,


पिछले महीने मैंने ‘मुन्ना माइकल’ से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया. मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक मूवी रिलीज मुझे इतना कुछ सिखा देगी. इस अनुभव से जैसे मुझे बॉलीवुड को डील करने का क्रेश कोर्स मिला है. मेरी राय, मेरे विचार और मेरे अनुभव से किसीको कोई फर्क नहीं पड़ता. पर मुझे यकीन है कि नए लोगों में सिर्फ मैं ही एक नहीं हूं जो अपने सपनों की तलाश में जिंदगी को खोज रही हूं. इसलिए ऐसे ही लोगों के लिए मुझे अपने इस सफर का अनुभव सभी के साथ शेयर करने का मन हुआ.

जरा सोचिये, बैंगलोर कि एक छोटी लड़की जो एक नामुमकिन सपना लेकर आती है. एक गुरुवार जहां उसका सपना पूरा होता है और अलगे ही शुक्रवार 24 घंटे बाद ऐसा लगता है कि उसका सपना अब मुश्किलों में है.

कल्पना करिये, फिल्म क्रिटिक्स का आपकी फिल्म की आलोचना करना. उस फिल्म की जिसके लिए आपने अपनी पूरी जिंदगी सपना देखा था. पर तुम्हारा सफर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाता है.

ये एक सैड स्टोरी नहीं है.

ये कहानी है एक उम्मीद और संभावना की. सोमवार सुबह उठ कर इस बात को रियलाइस करना कि आप सुपरस्टारडम की रॉकेट शिप पर नहीं हैं. पर आपका सपना सच्चा और ज़िंदा है. सफर तो अभी शुरू हुआ है और एक दिन आप वहां पहुंच जाओगे.

रिलीज वीकेंड ने मेरे लिए एक रिमाइंडर का काम किया जिसने मुझे समझाया कि हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां फौरन जजमेंट, आलोचना और नेगटिविटी रखकर लोग खुलकर बोल देते हैं.

इस दुनिया में अगर खुलकर जीना, अपने सपनों को पूरा करना और खुशी से जीना है तो इस बात का ख्याल रखें कि दुनिया की नकारात्मकता आपको नीचे ना कर दे. इस बात के करिश्मे को ध्यान में रखकर आगे बढ़ें और ऊपर उठें कि एक रेगुलर मिडिल क्लास लड़की जिसका बॉलीवुड में एक भी संपर्क नहीं था आज यहां तक पहुंच पाई है.

मैं एक ऐसे परिवार से आई हूं जो बॉलीवुड, फिल्म और एंटरटेनमेंट की दुनिया से किसी को भी नहीं जानती है. लाखों परिवारों की तरह हम भी उन सुनहरे और सुंदर लोगों को देखते हैं, उनकी शान और शौकत उनपर स्टारडस्ट की तरह चमकती है. हम अक्सर मजाक में कहते हैं कि फिल्मों में काम करेंगे और ये परिवार के लिए हास्य का एक लम्हा बन जाता है. ये कभी भी एक सीरियस थॉट नहीं था क्योंकि मंजिल तो भूल जाइए मुझे तो इस बात का भी अंदाजा नहीं था कि मुझे पहले पड़ाव तक कैसे पहुंचना है.

पर फिर भी आज मैं यहां हूं जहां आधे मिलियन लोग मुझे इंस्टाग्राम पर फॉलो कर रहे हैं, लोग मेरे पीछे-पीछे एयरपोर्ट, रेस्टोरेंट तक आते हैं. बच्चे मेरा नाम पुकारते हैं. इस बात से खुश हूं कि भले ये फिल्म ब्लाकबस्टर नहीं बन सकी जिसकी मैंने उम्मीद की थी पर अब भी इस फिल्म को मिलियन लोग देख रहे हैं और हमें बहुत प्यार मिला है. इनके आगे मेरी असफलता छोटी लगती है.

आज मैं यहां सिर्फ इसलिए हूं क्योंकि मैंने हार मानने से इनकार कर दिया था जब लोगों ने मुझसे कहा कि ये नामुमकिन है.

मेरी फिल्म रिलीज का वीकेंड मेरी जिंदगी के दूसरे लम्हों से अलग नहीं था. जब मैंने मॉडल बनने का सोचा, मैं मुंबई आई, फिर फिल्म में करियर बनाने के लिए पहुंची और मेरी पहली फिल्म रिलीज हुई, लोग हमेशा से मुझे ये एहसास कराते रहे है कि मैं पागल हूं, मुझे अपने सपने छोटे ही रखने चाहिए. पर मैंने हमेशा ऊपर उठने की, मेहनत करने की, हार ना मानने की और बार-बार ऑडिशन देने की ठानी है. दूसरों की बातों के डर से मैंने तब तक हार नहीं मानी जब तक मुझे मेरी सपनो की फिल्म नहीं मिल गई.

मैं जानती हूं अपने डेब्यू फिल्म में मैं परफेक्ट नहीं थी. पर मैंने अपनी पूरी जिंदगी एक्टर बनने की ट्रेनिंग में नहीं गुजारी है. पहले दिन जब मैं अपने एक एंट्री सॉन्ग के लिए शूट कर रही थी तब तो मुझे पता भी नहीं था कि खुदपर पूरा लाइट का फोकस लेकर कैमरे का कैसे सामना किया जाता है. मेरे अंदर बस अपनी एक्टिंग और डांस के लिए पैशन था. पर मैंने सर्वाइव किया और सीखा. और उम्मीद है मैं और सुधार कर पाउंगी.

मैंने फैसला किया है कि उन क्रिटिक्स से मैं नाराज नहीं होउंगी जो मुझसे इम्प्रेस नहीं हुए क्योंकि वो अपने काम में सही थे मुझसे बढ़िया प्रदर्शन की डिमांड करना भी सही है. मैं सिर्फ वही चीजें कर सकती हूं जो मेरे कंट्रोल में है. इससे मेरा मतलब है सकारात्मक रहना और हर दिन एक अच्छा इंसान बनना.

मैंने फैसला किया है कि नेपोटिज्म और स्टारकिड्स से मुझे दुख महसूस नहीं हो. मेरा काम मेरे लिए बात करे. मुझे सिर्फ इतना पता है कि मुझे अपना एक बेस्ट वर्जन बनना है और किसी भी बात की फिकर नहीं करनी है.

हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां हमें बताया जाता है कि हमें बहादुर बनकर नहीं रहना चाहिए. अगर आप इसमें बिलीव करते हैं तो आप स्पेशल नहीं है.

पर सच तो ये है कि हर इंसान स्पेशल है. बस फर्क इतना है कि हम में से बहुत कम लोगों को ऐसा मौका मिलता है कि हम अपनी खासियत पर भरोसा रखकर अपनी जिंदगी जिये.

मैं जानती हूं ये मुश्किल है. कई बार ऐसी दिन आए जब मैंने हार मानने का सोचा. मैंने अपने वीकेंड्स बेड पर बस रो रोकर दर्द में बिताया है. संदेह, डर और असुरक्षा!

कभी भी गिवअप ना करे. भले ही आप मेरे जैसे एक एक्टर हो या म्यूजिशियन, एथलीट ,कलाकार या फिर एक ऐसा इंसान जो इस दुनिया को एक बेहतर जगह बनाते हैं. अपने ड्रीम्स के लिए फाइट करें. इस समाज को अपने जज्बे को फीका करने ना दें और ना ही अपनी आत्मा को नष्ट करने दें. क्योंकि ये हमारी आत्मा और जज्बा ही है जो हमें जिंदा रखती है. जब हम अपने सपनो को जीते हैं तब हम सबसे ज्यादा अलाइव रहते हैं.

सादर

निधि अग्रवाल