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विशेष : टीआरपी की रेस ने टीवी की दुनिया में की 'धर्म युग' की वापसी

मौजूदा दौर में टीवी पर संस्कारों और परम्पराओं का ही असर है जिसमें सीता, राम, हनुमान, संतोषी मां, कर्ण, कृष्ण और भीम की कहानियों को फिर से बहुत चाव के साथ देखे जा रहे हैं. अब टीवी सास बहू और रिश्तों के रंग से आजाद होकर एक बार फिर से धर्म के रंग में रंगता दिख रहा है

Rajni Ashish

टीवी की दुनिया में सास-बहू के ड्रामे के 'कलयुग' का हर तरफ बोलबाला है लेकिन इसके बावजूद भी धार्मिक शोज ने 'धर्म युग' की नींव को मजबूत बनाए रखा है. आज कल हर एक चैनल पर कम से कम एक धार्मिक प्रोग्राम जरूर देखने को मिलेगा जो टीआरपी की रेस में सास-बहू के मसालेदार ड्रामे और अन्य तरह के एंटरटेनिंग शोज को टक्कर देते हुए नजर आते हैं. भले ही हमारे देश में वक्त के साथ लोगों की पसंद बदल गई है लेकिन आज भी एक बड़ा वर्ग धार्मिक सीरियल्स को देखना और अपने बच्चों को दिखाना पसंद करता है. ऐसे टीवी शोज देखने वालों में बुजुर्गों और बच्चों की संख्या अधिक है.


धार्मिक सीरियल्स की यात्रा

पच्चीस साल पहले जब दूरदर्शन पर रामायण सीरियल आया था तो लोग उस समय टीवी के सामने दिया जलाकर, फूल चढ़ाने के साथ जूते-चप्पल उतारकर सीरियल देखते थे और सीरियल की समाप्ति पर आरती के बाद प्रसाद भी बांटा करते थे. कहा तो ये भी जाता है कि रविवार के दिन जब रामायण शुरू होता था तो रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को भी रोक दिया जाता था और रामायण देखा जाता था. रामानंद सागर के 'रामायण' और बीआर चोपड़ा के 'महाभारत' ने लोगों के दिलों-दिमाग पर अपनी छाप छोड़ी थी. उस समय हर घर में अरुण गोविल को भगवान राम का दर्जा दिया जाने लगा था. वहीं नितीश भारद्वाज को श्रीकृष्ण के रूप में देखा जाता था. ये दौर धार्मिक सीरियल्स का स्वर्ण काल था जब धार्मिक सीरियल्स को टीवी पर टीआरपी की गारंटी माना जाता था. चैनल के लोग और निर्माता-निर्देशक भी इस बात से आश्‍वस्त रहते थे कि पौराणिक कथाओं पर बने धारावाहिक दर्शकों को पसंद जरूर आएंगे. इन विषयों पर उस समय रामानंद सागर, बी. आर. चोपड़ा, धीरज कुमार जैसे फिल्ममेकर्स का दबदबा था.

लेकिन धीरे-धीरे छोटे पर्दे का रंग-रूप बदलने लगा. फैमिली ड्रामा का दौर धार्मिक-पौराणिक कथाओं से हटकर फैमिली ड्रामा अधिक पसंद किया जाने लगा. फिर एक ऐसा दौर आया कि रोमांटिक, सास-बहू, पारिवारिक सीरियल्स का खुमार दर्शकों पर छाने लगा. इसमें एकता कपूर के सीरियल्स की खास भूमिका रही, जहां पर सास-बहू ड्रामा, रोना-धोना, लव ट्रायंगल, बदले की कहानी, क्राइम और सेक्स से भरी कहानी और महिला विलेन से भरे सीरियल्स की झड़ी-सी लग गई. इमोशनल अत्याचार का ये सिलसिला 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी', 'कहानी घर-घर की', 'कसौटी जिंदगी के' से लेकर 'ये रिश्ता क्या कहलाता है', 'दीया और बाती हम', 'बालिका वधू' आदि धारावाहिकों के जरिये बदस्तूर जारी रहा.

एक बार फिर वक्त और लोगों की पसंद ने करवट बदली. साल 2008 में एकबार एनडीटीवी इमेजिन पर फिर रामायण का जबरदस्त दौर चला और इस बार चैबीस घंटे का माध्यम होने के कारण इसका प्रभाव दूरदर्शन के जमाने से भी ज्यादा मजबूत रहा.

रामायण के बाद लाइफ ओके के मोहित रैना स्टारर 'देवों के देव महादेव' ने तो जैसे धर्म युग कि जबरदस्त वापसी ही करवा दी. इस शो ने मौजूदा समय में टीवी पर धार्मिक सीरियल्स की एक नई इबारत लिख दी. इसके बाद तो फिर जैसे हर चैनल पर धार्मिक शोज की बहार सी आ गयी. दरअसल धर्म के जरिए टीवी रह रहकर समाज में अपने ताकतवर होने का अहसास कराता रहा है. अब एक बार फिर से अचानक बहुत सारे धार्मिक सीरियल फिर से टीवी पर धूम मचाने आ गए हैं. वजह यही है कि इसकी जड़ें सिनेमा के मुकाबले ज्यादा मजबूत है.

क्यों हुई टीवी पर 'धर्मयुग' की वापसी ?

टीवी सीरियल्स के बड़े निर्माता धीरज कुमार कहते हैं कि ‘‘आज के पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे धार्मिक धारावाहिक देखें और उनसे संस्कार लेने के साथ अच्छी बातें भी सीखें. इसलिए धार्मिक धारावाहिक कुछ-कुछ अंतराल के बाद अलग-अलग रूप में अवतरित होते रहे हैं".

सोनी, कलर्स, जी, स्टार प्लस और ऐसे ही मुख्यधारा के चैनलों की तो छोड़िये, कार्टून नेटवर्क, पोगो, सोनिक, डिज्नी, डिस्कवरी किड्स, जैसे चैनल भी इसी धारा में बह रहे हैं, क्योंकि बच्चों को ऐसे धार्मिक सीरियल्स बेहद पसंद आते हैं और उनके पेरेंट्स भी खुश हैं क्योंकि उनके बच्चों को संस्कार और परंपरा की सीख इन शोज से मिल जाती है. जहां तक आम दर्शक की बात है तो वह आधुनिकता की अंधे दौड़ में शामिल होने के साथ-साथ अपनी जड़ों से जुड़े रहना ज्यादा पसंद करता है. यही देखकर टीवी के पर्दे का ताजा परिदृश्य देखें, तो सच्चाई यही है कि ज्यादातर चैनल धर्म के रंग की ऐसी कहानियां रच रहे हैं जिनसे समाज को प्रेरणा मिले और बच्चे, बड़े और बूढ़े हर किसी के जीवन में कुछ न कुछ बदलाव आए.

टीवी की क्वीन के नाम से मशहूर एकता कपूर कहती हैं कि 'व्यक्ति चाहे कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए, वह उस आधुनिकता को भी धर्म के अनुसार ही जीता है. क्योंकि संस्कार हमारे जीवन की जड़ें हैं और आपसी लड़ाई झगड़े हमारी दिनर्चया का हिस्सा. ये सारी चीजें साथ-साथ चलती हैं. यही वजह है कि टीवी के परदे पर अचानक बहुत रंग भर गई जिंदगी की कहानियों के बीच धर्म ने भी अपनी धमक फिर से बना ली है "

एंड टीवी के बिजनेस हेड राजेश अय्यर कहते हैं कि,एक शैली के रूप में, पौराणिक कथाओं में विभिन्न जनसांख्यिकीय बाधाओं के माध्यम से तोड़ने की क्षमता है कृष्ण की कहानियां हमेशा आकर्षक और मोटे तौर पर प्रेरणादायक हैं.

'सिया के राम' के निर्माता-निर्देशक निखिल सिन्हा के अनुसार, जब भी पौराणिक कहानियों पर कुछ बनाया जाता है, तब हम वो ही लेते हैं, जो लिखा होता है. वक़्त बदल रहा है, आज का युवा वर्ग भी काफी समझदार है. वो पौराणिक कथाओं से जुड़े किरदारों, क्यों व कैसे के बारे में जानना चाहता है. इसलिए आज की संस्कृति को देखते हुए सीता के व्यक्तित्व को समझने की काफी जरुरत है. बहुत कम लोग जानते हैं कि सीता बेहद मजबूत शख्सियत थीं.

टीवी पर धर्म के इस तीसरे दौर के बारे में समाजशास्त्री डॉ. विजय शर्मा कहते हैं कि ‘‘बहुत सालों से लोग टीवी पर सास बहू के सीरियल देखकर ऊब गए थे. अब एक बार फिर से हमारी संस्कृति की पारंपरिक कथाएं नए स्वरूप में आ रही हैं, तो लोग तो देखेंगे ही. यही कारण है कि गीता, रामायण और महाभारत के किरदार अलग-अलग कहानियों के साथ फिर से पूरी धमक के साथ लौट आए हैं.

मौजूदा दौर में टीवी पर छाए धार्मिक सीरियल्स

ये बात सौ फीसदी सच साबित हुई है कि परंपरा और संस्कृति की कहानियों को अगर ताजा अंदाज में कहा जाए, तो किसी भी काल में दर्शक वर्ग बन ही जाता है. बात सही भी है कि हमारी जो परंपरा हजारों साल से चली आ रही है, दर्शकों पर उसका असर तो होता ही है. मौजूदा दौर में टीवी पर इन्हीं संस्कारों और परम्पराओं का ही असर है जिसमें सीता, राम, हनुमान, संतोषी मां, कर्ण, कृष्ण और भीम की कहानियों को फिर से बहुत चाव के साथ देखे जा रहे हैं. यह हमारे टेलीविजन का नया चेहरा है. जो सास बहू और रिश्तों के रंग से आजाद होकर एक बार फिर से धर्म के रंग में रंगता दिख रहा है. टीवी के धर्म के रंग में रंगने का यह तीसरा दौर है.

धार्मिक सीरियल्स का प्रभाव

भारतीय लोगों की ईश्‍वर व ग्रंथ-पुराणों में अटूट आस्था से इंकार नहीं किया जा सकता. यही धार्मिक जुड़ाव इस तरह के धारावाहिकों के सफल होने का कारण भी बनते हैं. इतिहास गवाह है कि पौराणिक सीरियल्स ने दर्शकों को हमेशा प्रभावित किया है. हम कैसे भूल सकते हैं उस दौर को जब रामायण, महाभारत जैसे धारावाहिक को रविवार की सुबह देखने के लिए हर वर्ग के लोग टीवी के सामने बैठ जाते थे. उस समय सड़कें-गलियां सुनसान-सी हो जाती थीं. आज के इस आधुनिक दौर में भले ही प्राइवेट एंटरटेनमेंट चैनल्स ख़ूब चल रहे हों, पर धार्मिक व पौराणिक धारावाहिकों के प्रसारण में दूरदर्शन का दबदबा हमेशा ही रहा है. समय-समय पर देश के लगभग सभी बड़े प्राइवेट एंटरटेनमेंट चैनल्स, मसलन- स्टार प्लस, जी टीवी, सोनी, लाइफ ओके, कलर्स आदि ने पौराणिक व धार्मिक धारावाहिकों का निर्माण किया है जिसे जबरदस्त टीआरपी भी मिल रही है. इन शोज अपनी परम्पराओं के बारे में पता तो चलता ही है साथ ही इस तेज दौड़ती जिंदगी मानसिक शान्ति तो देता है और कठिन से कठिन परिस्थिति में भी खुद पर संतुलन बनाए रखते हुए जीवन जीने की सिख देता है.

पौराणिक कथाओं की बहार

बॉलीवुड हो या छोटा पर्दा, दोनों पर एक थीम का ट्रेंड सा आ जाता है. छोटे पर्दे पर इस समय धार्मिक सीरियल्स की बाढ़ सी आ गई है. टीवी की टीआरपी बढ़ाने के लिए सीरियल्स मेकर लगातार धार्मिक सीरियल्स बनाए जा रहे है. आइये देखते हैं मौजूदा दौर में टीवी पर दिखाए जा रहे धार्मिक शोज की एक लिस्ट.

पहले उन शोज की बात जो हाल ही में ऑफ-एयर हुए हैं और जो अपनी कहानी से दर्शकों के बीच काफी पॉपुलर हुए.

स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले सीरियल ‘‘सिया के राम’ के सेट की खूब र्चचा हुई. इस कथा को पहली बार मिथिला कुमारी सीता के दृष्टिकोण से दिखाया जा रहा है. इसमें मदिराक्षी सीता की भूमिका में है.

लाइफ ओके पर देवों के देव महादेव लगातार तीन साल तक अपना रंग जमाए रहा. उस दौरान महादेव का किरदार निभाने वाले कलाकार मोहित रैना के दर्शन करने लोग उनके घर के बाहर जमा होते थे वे जहां भी जाते, लोग उनके पांव छूने लग जाते थे.

स्टार प्लस पर 2013 में लोकप्रिय 'महाभारत' की कहानी को मौजूदा परिदृश्य के हिसाब से दिखाने की कोशिश की गयी थी. जबरदस्त सेट, विजुअल इफेक्ट्स और टीवी स्टार्स के उम्दा एक्टिंग के दम पर ये शो बेहद लोकप्रिय रहा.

सूर्यपुत्र कर्ण सीरियल में सूत पुत्र कहलाने जाने से लेकर एक योद्धा बनने तक की कर्ण की अनूठी यात्रा है. बेहतरीन परफॉर्मेंस, उत्कृष्ट विजुअल्स व दिलचस्प कहानी इस शो को अन्य धार्मिक सीरियल्स से अलग कर देती है.

महाकाली अंत ही आरम्भ है -कलर्स

हाल में कलर्स पर नया धार्मिक शो 'महाकाली अंत ही आरम्भ है' टेलीकास्ट होना शुरू हुआ है. इस शो ने अपने टेलीकास्ट के पहले हफ्ते में बता दिया कि अब भी धार्मिक शोज को लेकर दर्शकों में जबरदस्त क्रेज है. टीआरपी की रेस में टेलीकास्ट के पहले हफ्ते में ही बड़े बड़े सास-बहू ड्रामा और दूसरे शोज को निचे धकेलते हुए तीसरे नंबर की पोजीशन हासिल कर बता दिया की ये शो अभी लंबे समय तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाला है. शो में पूजा शर्मा और सौरभ राज जैन की उम्दा एक्टिंग तो दर्शकों को पसंद आई ही साथ ही वीएफएक्स से लेकर सेट ने दर्शकों को बेहद प्रभावित किया. पहली बार किसी धार्मिक शो में पार्वती का महाकाली के रूप परिवर्तित होना इतनी खूबसूरती से दिखाया गया.

कर्मफल दाता शनि-कलर्स

कलर्स चैनल पर सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे प्रसारित होने वाला शो 'कर्मफ़ल दाता शनि' ने अपने सौ एपिसोड पूरे कर लिए हैं. कार्तिकेय मालवीय बाल शनि की भूमिका में हैं. कर्मफल दाता शनि में सूर्य देव की भूमिका पूर्व क्रिकेटर और एक्टर सलिल अंकोला निभा रहे हैं. जबकि जूही परमार संज्ञा की भूमिका में नजर आ रही हैं. शो की कहानी को अगर कुछ शब्दों में बयां करें तो न्याय के देवता शनि खुद अपनी जिंदगी में बहुत अन्याय सह चुके हैं. शनि और उनकी माता को उनके पिता सूर्य देव से बहुत तिरस्कार झेलना पड़ा है. यही कारण है कि वे बाद में न्याय के देवता बनते हैं और सभी को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. वे अपने पिता को भी उनके कर्मों के अनुसार फल देने से हिचकिचाते नहीं.

अभिनय की बात करें तो बाल शनि के क़िरदार में बाल कलाकार कार्तिकेय पूरे आत्मविश्वास के साथ पर्दे पर नजर आ रहे हैं. बड़े नामों में हैं अभिनेत्री जूही परमार, जो लंबे ब्रेक के बाद छोटे पर्दे पर नज़र आ रही हैं. उनकी और कार्तिकेय की बॉन्डिंग अच्छी है. सलिल अंकोला सूर्यदेव के क़िरदार को अपनी बॉडी लैंग्वेज से प्रभावी बनाते हैं. इस सीरियल को अच्छी टीआरपी मिल रही है.

परम अवतार श्रीकृष्ण- एंड टीवी

ये शो अपने खूबसूरत सेट्स, कॉस्ट्यूम्स और ज्वेलरी और एडवांस्ड स्पेशल इफेक्ट्स कि वजह से कम समय में ही एंड टीवी का ये पारौणिक शो दर्शकों के बीच पॉपुलर हो गया है. 'परम अवतार श्रीकृष्ण' में 4 साल के नन्हें निर्णय समाधिया के नटखट कृष्णा की भूमिका को देखना किसी मनोरम दृश्य से कम नहीं है. वहीं कंश की भूमिका में मनीषा वाधवा और विष्णु के रोल में विशाल करवाल ने अपनी उम्दा एक्टिंग से दर्शकों को शो देखने के लिए मजबूर कर दिया है.

‘जय संतोषी मां’ - एंड टीवी

एंड टीवी के संतोषी मां की कहानियों पर आधारित सीरियल ‘जय संतोषी मां’ में टीवी स्टार रतन राजपूत मां संतोषी की भक्त संतोषी का किरदार निभाती हुई दिख रही हैं तो वहीं फिल्म और टीवी स्टार ग्रेसी सिंह मां संतोषी का किरदार निभा रही हैं. शो में दिखाया जा रहा हैं कि अगर सैक ची आस्था हो तो खुद मां संतोषी भी भक्तों की मदद करने धरती पर विराजमान हो जाती हैं. बदसलूकी हुई हैं.

विघ्नहर्ता गणेश - सोनी टीवी

सोनी चैनल पर अब एक नया शो शुरू होने जा रहा है, ये नया शो संकटमोचन हनुमान की जगह लेने जा रहा है. ये शो सबसे महंगे शो में से एक होगा. इसके सेट, कलाकार और कैमरा तकनीक अभी आधुनिक होने वाले हैं. वैसे तो इंडियन टेलीविजन पर धार्मिक सीरियल की कोई कमी नहीं है. अब उन शो की लिस्ट में एक और धार्मिक सीरियल जुड़ने वाला है जिसका नाम विघ्नहर्ता गणेश है. ये शो नई तकनीक के साथ टेलीकास्ट होने वाला है. इस शो में जो तकनीक लाइफ ऑफ पाई और अवतार में इस्तेमाल हुई है उस तकनीक को अपनाया जा रहा है, सुनने में आया है कि इंडियन टेलीविजन पर अब तक जितने धार्मिक सीरियल हुए हैं उनमे से ये सबसे महंगा होगा. सबसे पहले इसी इंडियन टेलीविजन प्रोग्राम में मोशन कैप्चर कैमरा का इस्तेमाल हुआ है.

हमने आपको पहले ही बताया स्टार प्लस के पौराणिक शो ‘सिया के राम’ में भगवान राम के बेटे लव का किरदार निभाकर अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाने वाले बाल कलाकार उजैर बसर को ‘विघ्नहर्ता गणेश’ में भगवान गणेश की भूमिका निभाएंगे.

‘विघ्नहर्ता गणेश’ का प्रोमो भी अब आ गया. आप निचे इस प्रोमो को देख सकते हैं.

ये पौराणिक शो माता-पिता और बच्चों के एक विशेष संबंध को प्रदर्शित करेगा और गणेश की यात्रा की अनसुनी कहानियां और देवी पार्वती के साथ उनके रिश्ते को उजागर करेगा.

हमने आपको पहले ही बताया था कि ‘विघ्नहर्ता गणेश’ में भगवान गणेश की भूमिका निभाने के लिए उजैर बसर को फाइनल किया गया है, वहीं देवी पार्वती कि भूमिका फिल्म 'कैलेंडर गर्ल्स' फेम की आकांक्षा पूरी दिखाई देंगी.

'राधा कृष्ण- एक आलौकिक प्रेम गाथा' - स्टार भारत

आज कल हर टीवी चैनल पर धार्मिक सीरियल्स की भरमार सी दिखाई देती है. धार्मिक शोज की हाई टीआरपी को देखते हुए हर चैनल पर प्राइम टाइम में किसी ना किसी देवी-देवता पर आधारित पौराणिक शो जरूर दर्शकों को देखने के लिए मिल ही जाता है. लाइफ ओके को रीलॉन्च कर बनाये जा रहे नए चैनल स्टार भारत पर एक और धार्मिक शो 'राधा कृष्ण- एक आलौकिक प्रेम गाथा' शुरू होने वाला है.

मदिराक्षी मुंडले बनी राधा

'राधा कृष्ण- एक आलौकिक प्रेम गाथा' में सिया के राम में सीता बनीं मदिराक्षी मुंडले राधा का रोल निभाएंगी.यह शो अगले महीने स्टार भारत पर शुरू होगा. इस शो में मदिराक्षी मुंडले राधा और 'डोली अरमानों की और सिंहासन बत्तीसी' फेम सिद्धार्थ अरोड़ा कृष्ण का किरदार निभाते दिखेंगे.

शो की शूटिंग भी गुजरात के उमरगांव में शुरू हो चुकी है. इस शो में राधा और कृष्ण के बेइंतहा प्यार को दिखाया जाएगा. यह शो सिर्फ राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी पर आधारित होगा. इसकी कहानी राधा के नजरिए से लिखी गई है. मदिराक्षी ने सिया के राम के बाद सोनी टीवी के सीरियल 'जाट की जुगणी' में काम किया था लेकिन ये शो ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया और इसे बंद कर दिया गया.

सही मायने में कहा जाए तो दुनिया में किसी भी देश के मुकाबले भारत में टीवी बहुत देर से आया है. हमारे देश में टीवी का वास्तविक विकास तो सिर्फ बीस-पच्चीस साल ही पुराना है. यह अभी-अभी जवान हुआ है. टेलीविजन के असली विकास की शुरुआत को अभी लगभग ढाई दशक का समय भी नहीं बीता लेकिन टीवी आज सबसे ज्यादा और गहरे असरकारक माध्यम के रूप में हमारे सामने है. आज किसी को भी अपनी बात कहनी हो, तो टीवी सबसे व्यापक, सबसे तेज और सबसे असरकारक माध्यम है. तब, जब हमारे देश में सिर्फ दूरदर्शन ही हुआ करता था, तब से ही रामायण और महाभारत के दौर में इसकी भनक मिल गई थी. इसी कारण धार्मिक सीरियल रह रहकर मजबूती के साथ सामने आते रहे हैं.

आज पौराणिक, ऐतिहासिक व मिथक के चरित्र टीवी के दर्शकों को काफी पसंद आ रहे हैं. हर चैनल धार्मिक विषयों पर सीरियल्स बनाकर फायदा उठा रहे हैं. लेकिन धार्मिक ग्रंथ-पुराण और इससे जुड़े विषयों पर सीरियल बनाना अच्छी बात है, पर हर प्रोड्यूसर-डायरेक्टर की यह जिम्मेदारी भी बन जाती है कि वो विषय व तथ्यों के साथ पूरा न्याय करें, वरना विवादों को उठते देर नहीं लगती. आजकल पौराणिक शोज में भी जमकर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की जाती है. साथ ही टीआरपी की लिए शो में वास्तविकता से इतर मसाला भरा जा रहा है, इन सब चीजों से बचने की जरुरत है.