'मैं विक्टिम कार्ड नहीं खेलना चाहती थी. मैंने कभी अपने आप को विक्टिम नहीं बताया और मैं ऐसा कभी करूंगी भी नहीं. मुझे हमेशा से ये लगता रहा है कि हर हालत में मुकाबला करना चाहिए. एक विजेता की ही तरह रहना चाहिए. अगर आपके दिमाग में है कि आप विक्टम हो तो कोई आपको मजबूत नहीं बना सकता है. वहीं अगर आपने सोच लिया कि आप विजेता हो तो आपको कोई हरा नहीं सकता है.'
ये कहना है प्रीति जैन का जिन्हें शुक्रवार को मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्ममेकर मधुर भंडारकर के मर्डर की साजिश रचने के केस में दोषी पाया था.
कोर्ट ने प्रीति को 3 साल की सजा सुनाई है. प्रीति के साथ दो और लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. बाद में प्रीति और उनके साथ के लोगों को जमानत मिल गई है.
प्रीति को मिला हाईकोर्ट में अपील करने का समय
सेशन कोर्ट ने हाईकोर्ट में अपील करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है. उन्हें 15 हजार रुपए नकद की राशि देने पर ये बेल मिली है.
प्रीति बताती हैं कि ये मामला 2005 का है. जिसकी चार्जशीट 2007 में दाखिल हुई थी. 2008 में ये केस सेशन्स कोर्ट में आया. इसमें करीब 51 गवाहों को पेश किया गया जिसमें से किसी ने भी मुझे साजिशकर्ता के साथ नहीं देखा था.
प्रीति का कहना है, 'मेरे वकील सुजीत शेलार ने बताया कि मेरे बैंक अकाउंट में सिर्फ 550 रुपए हैं. तो फिर मैंने 75 हजार की सुपारी कैसे दी होगी.'
उनका कहना है, 'जैसे ही मुझे जजमेंट की कॉपी मिलेगी मेरे वकील और मैं हाईकोर्ट में अपील करेंगे. मुझे अपने देश की न्याय प्राणाली पर पूरा भरोसा है. उनका जो भी निर्णय होगा सही ही होगा.'
प्रीति अपने परिवार में अब अकेली हैं
प्रीति इवेंट्स कम्पेयरिंग का काम करती हैं. उनका कहना है कि उनका कोई प्रोडक्शन बैनर भी है लेकिन फायनेंस की वजह से उसका काम अभी अटका हुआ है.
प्रीति बताती हैं कि उनके पिता इंडियन फॉरेन सर्विसेज में थे इसलिए उनका बहुत सारे देशों में रहना हुआ है. प्रीति का जन्म इजिप्ट के कायरो शहर में हुआ था.
उनका कहना है, 'मैं लंदन, पेरिस, जिनेवा, बेल्जियम और कराची में रही हूं. आज मेरे माता और पिता दोनों मेरे साथ नहीं हैं. उन दोनों की मौत हो चुकी है. मेरे भाई बहन नहीं हैं. मेरा अंधेरी में अपना फ्लैट है जो मैंने 2004 में ही खरीदा था. लेकिन बहुत सारे दोस्त हैं जो मेरा साथ देते हैं और इनमें से कोई भी फिल्म इंडस्ट्री से ताल्लुक नहीं रखता है.'