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मैंने झोपड़ी वाले स्कूल में पढ़ाई की है: मनोज वाजपेयी

मनोज वाजपेयी 'नाम शबाना' फिल्म में शबाना के ट्रेनर की भूमिका में नजर आएंगे

Runa Ashish

मनोज वाजपेयी अगली फिल्म ‘नाम शबाना’ जल्द ही रिलीज होने वाली है. इस फिल्म में तापसी पन्नू एक महिला जासूस शबाना का किरदार कर रही हैं. मनोज वाजपेयी इस फिल्म में शबाना के ट्रेनर की भूमिका में नजर आएंगे.

मनोज वाजपेयी अपने अभिनय के लिए दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं. फ़र्स्टपोस्ट की संवादाता रूना आशीष ने उनसे उनके निजी और फिल्मी जीवन पर बातचीत की.


अपने पालन-पोषण और शिक्षा के बारे में मनोज वाजपेयी कहते हैं, ‘मैंने झोपड़ी में बैठ कर अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की है. जिसे आप हट स्कूल कह सकते हैं. अध्यापक गांव में कुछ बच्चों को ले कर झोपड़ी में इकट्ठा कर लेते थे और उन्हें पढ़ा देते थे. ऐसे ही झोपड़ी वाले स्कूल से मैंने अपनी पढ़ाई शुरू की थी. बाद में मेरे पिता ने पैसे जोड़कर मुझे शहर में पढ़ाई करने के लिए भेजा.’

मनोज आगे बताते हैं कि मेरे पिता एक किसान थे. उनके लिए यह आसान नहीं था कि वे हम छह भाई-बहनों को एक साथ सही तरीके से पाल-पोस कर बड़ा करें. तरह-तरह के तरीके अपना कर उन्होंने मुझे और मेरे भाई-बहनों को इतना बड़ा किया है. हमारी जिंदगी आसान नहीं थी. इस वजह से हम भाई-बहन एक-दूसरे के बहुत ही करीब हैं.

जब भी आप कोई अवॉर्ड जीतते हैं तो आपके भाई-बहन क्या कहते हैं?

मेरा भाई अभी किसी से कह रहा था कि वे आपके लिए मनोज वाजपेयी होंगे. मेरे लिए तो वो बड़े भाई हैं.

हमारा भरा पूरा परिवार है. हम एक-दूसरे पर गर्व करते हैं. एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं. लेकिन हमारा रिश्ता भाई-बहन से भी कुछ ज्यादा है. मुझे कोई भी पुरस्कार मिल जाए उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है. उन्हें गर्व भी होता है तो वे इसे दूसरे सर्कल में लोगों को इस बात का एहसास कराते हैं. हमारे बीच ये बातें नहीं आती क्योंकि मैं तो उनका भैया हूं.

आप लोगों के बीच कभी लड़ाई नहीं होती है?

अरे बहुत होती है और आज भी होती हैं. और आगे भी हम लोगों के बीच में लड़ाई होती रहेगी.

आपकी आने वाली फिल्म का नाम है ‘नाम शबाना’. इस फिल्म के बारे में बताएं.

शबाना मेरे घर में है. शबाना से मेरा ताल्लुक बहुत पुराना है. एक पर्दे पर है और एक मेरे घर पर है. वो मेरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा है वो मेरे जीवन की कर्ताधर्ता हैं.

यहां मनोज वाजपेयी अपने जीवन की शबाना यानी अपनी पत्नी शबाना रज़ा की बात कर रहे हैं. इन्हें दर्शक नेहा नाम से भी जानते हैं. नेहा का असली नाम शबाना है.

अपनी फिल्म शबाना की बात करते हुए मनोज कहते हैं कि यह फिल्म नीरज पांडे ने बनाई है और वो लिखने के मामले में उस्ताद इंसान हैं. पता नहीं कैसे वो रिसर्च कर लेते हैं और कैसे उनके दिमाग में ये सब बातें आती हैं. पता नहीं कैसे ये तीन या चार दिन में सब कुछ लिख डालते हैं.

हम सभी लोग सेट पर भी नीरज से मजाक करते रहते थे कि कैसे किसी का दिमाग इतना चल जाता है. इनके दिमाग पर तो रिसर्च करनी पड़ेगी.

यह फिल्म बहुत फास्ट पेस थ्रिलर है यानी ये फिल्म बहुत तेजी से भागने वाली है. इस फिल्म के सेंटर में एक लड़की है. जिसका नाम शबाना है. मैं उसको देख परख रहा हूं और उसे गढ़ रहा हूं. एक तरीके से यह फिल्म मेरे लिए एक मजेदार सफर की तरह है.

एक तरीके से इस फिल्म में आप शबाना के कोच या गाइड बने हैं

हां, मेरा किरदार एक इंटेलिजेंस चीफ का है. जो लोगों को तैयार करता है. मैं वो शख्स हूं जिसे शबाना पर बहुत ज्यादा भरोसा है. लेकिन इंटेलिजेंस चीफ होने की वजह से मैं बहुत ही ज्यादा निष्ठुर किस्म का भी हूं.

रणवीर नाम के इस शख्स को अगर थोड़ा भी महसूस हो गया कि आपमें कुछ ठीक नहीं है तो वो आपको टीम से बाहर भी निकाल फेंक सकता है. रणवीर के लिए देश पहले है. उसके लिए कोई व्यक्ति या भावना बाद में आती है.

ऐसे ही आपकी जिंदगी में भी तो एक कोच या टीचर रहे हैं बैरी जॉन

हां, बैरी जॉन ने मेरी जिंदगी में एक बहुत ही अहम रोल किया है. मुझे पढ़ाने-सिखाने, तराशने और संवारने में उनका जो रोल रहा है वो बहुत ही महत्वपूर्ण है.

मेरे पिताजी ने तो मुझे जन्म दिया और पाला है लेकिन दिल्ली में मुझे किसी ने संवारा और संभाला तो वो बैरी जॉन ही थे. उन्होंने जो मुझे शिल्प या क्राफ्ट सिखाया उसके लिए तो मैं हमेशा ही शुक्रगुजार रहूंगा.

आपकी आने वाली फिल्में कौन सी हैं?

आने वाले दिनों में 'सरकार 3', 'मिसिंग', 'रुख' और एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म ‘लव सोनिया’ मेरी फिल्में आ रही हैं.